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धर्म/आस्था

11 साल बाद इंतजार हुआ खत्म, सूर्यग्रहण 21 को-आचार्य कौशलेन्द्र शास्त्री

Posted on: Sat, 20, Jun 2020 10:34 PM (IST)
11 साल बाद इंतजार हुआ खत्म, सूर्यग्रहण 21 को-आचार्य कौशलेन्द्र शास्त्री

21 जून को साल का पहला सूर्यग्रहण साल 2020 का भारत में दिखाई देने वाला एक मात्र सूर्य ग्रहण इस ग्रहण का परमग्रास 99.4 प्रतिशत रहेगा, यानी कुछ स्थानों पर सूर्य पूरी तरह छुप जाएगा। यह ग्रहण करीब 03 घंटे 25 मिनट रहेगा।यह छल्लेदार सूर्य ग्रहण होगा और लखनऊ में आंशिक दिखेगा मगर राजस्थान, उत्तराखंड के कुछ हिस्सों से पूर्ण छल्लेदार दिखाई देगा।

क्या होता है सूर्यग्रहण ?

सूर्य ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच से गुजरता है। इस छल्लेदार सूर्य ग्रहण को देखने के लिये वैज्ञानिक और आमलोग सालों इंतजार करते हैं। वर्ष 2009 के बाद इस तरह की खगोलीय घटना सामने नहीं आई।

ग्रहण का समय

ग्रहण स्पर्श 10ः14 प्रातः, ग्रहण मध्य 11ः53 प्रातः, ग्रहण काल 03ः25 मिनट, ग्रहण मोक्ष 01ः38 दोपहर बाद, ग्रहण सूतक का प्रारम्भ 20 जून रात्रि 10 :14 चउ से प्राम्भ हो जाएगा।

सूर्य ग्रहण की शर्तें

सूर्य ग्रहण सदैव अमावस्या को ही होता है. जब चन्द क्षीणतम हो और सूर्य पूर्ण क्षमता संपन्न तथा दीप्त हों. चन्द्र और राहू या केतु के रेखांश बहुत निकट होने चाहीए. चन्द्र का अक्षांश लगभग शून्य होना चाहिये और यह तब होगा जब चंद्र रविमार्ग पर या रविमार्ग के निकट हों, सूर्य ग्रहण के दिन सूर्य और चन्द्र के कोणीय व्यास एक समान होते हे. इस कारण चन्द सूर्य को केवल कुछ मिनट तक ही अपनी छाया में ले पाता है.सूर्य ग्रहण के समय जो क्षेत्र ढक जाता है. उसे पूर्ण छाया क्षेत्र कहते है. चन्द्र छाया की गति 1800 कि. मीटर से 8000 कि. मीटर प्रति घण्टा होती है. परन्तु यह चन्द्र की स्थिति पर निर्भर करती है. इस कारण सूर्यग्रहण किसी भी स्थान पर साढे सात मिनट से अधिक नहीं हो सकता है.

किन राशियों पर कैसा रहेगा प्रभाव ?

मिथुन राशि के जातक रहें सावधान,सिंह, कन्या, तुला, मीन राशि के जातक होंगे मालामाल बाकी राशियों के जातक भी हो सकते हैं हलकान। इस ग्रहण के प्रभाव स्‍वरूप देश व दुनिया में पड़ोसी राष्‍ट्रों के आपसी तनाव, अप्रत्‍यक्ष युद्ध, महामारी, किसी बड़े नेता की हानि, राजनीतिक परिवर्तन, हिंसक घटनाओं में इजाफा, आर्थिक मंदी आदि पनपने के संकेत हैं। जहां तक भारत की बात है, विश्‍व में भारत का प्रभाव बढ़ेगा।

महामारी से कई देशों को नुकसान होगा।प्राकृतिक आपदाएं आएंगी। विश्व में कहीं पर युद्ध होगा वैश्विक शक्तियां लड़ने को हावी होगी। किसी ख्याति प्राप्त यशस्वी कीर्तिमान राजनीति नेता की हत्या होगी कुछ जगह पर आपसी लड़ाईया होगी। जल प्रलय का खतरा हम सभी पर मंडरा रहा है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, चंद्र ग्रहण के दिन बहुत से काम करना मना है. यदि कोई व्यक्ति उन नियमों को तोड़ता है, तो उससे उसका जीवन प्रभावित होता. आइए जानते हैं कि सूर्य ग्रहण के दिन क्या करें और क्या न करें.

धार्मिक शास्त्रों के अनुसार ग्रहण काल में भगवान की मूर्ति स्पर्श नहीं करनी चाहिए. सूर्य ग्रहण के समय ब्रम्हचर्य का पालन करना चाहिए. सूतक काल ग्रहण लगने पहले ही शुरू हो जाता है. इस समय खाने पीने की मनाही होती है. सूतक काल के समय शुभ काम और पूजा पाठ नहीं की जाती है. भगवान की मूर्ति को स्पर्श करने की भी मनाही होती है. ग्रहण के दौरान बाल और नाखून काटने से बचना चाहिए. इसके अलावा न तो कुछ खाना चाहिए और न ही खाना बनाना चाहिए. गर्भवती महिलाओं को सूर्य ग्रहण के समय विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता होती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ऐसी महिलाओं को सूर्यग्रहण नहीं देखना चाहिए.सूर्यग्रहण देखने से शिशु पर दुष्प्रभाव पड़ सकते हैं।

गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के समय कैंची, चाकू आदि से कोई वस्तु नहीं काटनी चाहिए. ग्रहण के दौरान कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए ऐसा शास्त्रों का कहना है। इन उपायों को करने से ग्रहण के बुरे प्रभावों से बचा जा सकता है। ग्रहण समाप्त होने के बाद सूर्योदय के समय पुनः स्नान करके संकल्पपूर्वक इन वस्तुओं का दान कर दें। शास्त्रों के अनुसार संतान की उत्पत्ति, यज्ञ, सूर्य संक्रांति और सूर्य एवं चंद्रग्रहण में रात में भी स्नान करना चाहिए। ग्रहण के सूतक एवं ग्रहणकाल में स्नान, दान, जप-पाठ, मंत्र स्रोत पाठ, मंत्र सिद्धि, ध्यान, हवनादि, शुभ कार्यों का संपादन करना कल्याणकारी होता है।

सूतक एवं ग्रहणकाल में अनावश्यक खाना-पीना, मैथुन, निद्रा, तेल लगाना नहीं चाहिए है। झूठ, कपटादि, बेकार की बातें, मल-मूत्र त्याग, नाखून काटने से भी बचना चाहिए। वृद्ध, रोगी, बालक एवं गर्भवती स्त्रियों को यथाकूल भोजन या दवाई आदि लेने में कोई दोष नहीं होता है। गर्भवती महिलाओं को ग्रहण काल में सब्जी काटना, शयन करना, पापड़ सेंकना आदि उत्तेजित कार्यों से परहेज करना चाहिए। धार्मिक ग्रंथ का पाठ करते हुए प्रसन्नचित रहना चाहिए। इससे भावी संतान स्वस्थ एवं सद्गुणी होती है। हरिद्वार, प्रयाग,वाराणसी आदि तीर्थों पर स्नानादि का इस समय विशेष माहात्म्य होगा।

ग्रहण सूतक से पहले ही दूध/दही, अचार, चटनी, मुरब्बा आदि में कुश(एक प्रकार का घास) या तुलसीदल रख देना उचित होता है। इससे यह दूषित नहीं होते हैं। सूखे खाद्य-पदार्थों में कुशा डालने की आवश्यकता नहीं है। रोग-शांति के लिए ग्रहणकाल में श्रीमहामृत्युंजय मंत्र का जप करना शुभ होता है। विशेष प्रयोग चांदी/कांसे की कटोरी में घी भरकर उसमें चांदी का सिक्का( मंत्रपूर्वक) डालकर अपना मुंह देखकर छायापात्र मंत्र पढ़ें तथा ग्रहण समाप्ति पर वस्त्र, फल और दक्षिणा सहित ब्राह्मण को दान करने से रोग से मुक्ति मिलती है ऐसा मान्यताएं कहती हैं।

ग्रहण के दिन गर्भवती मह‍लिओं को कोई भी चीज काटनी नहीं चाहिए और न ही सुई धागे का प्रयोग करना चाहिए। ये चीजें होने वाले बच्‍चे के लिए सही नहीं मानी जातीं। नुकीली और धारदार वस्तु के प्रयोग से बचना चाहिए, यह गर्भ में पल रहे शिशु के लिए अच्छा नहीं माना जाता है। इससे सामान्य दिनों में किए गए दान की अपेक्षा कई गुना पुण्य प्राप्त होता है। इससे घर में सुख समृद्धि आती है और इष्ट देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

ग्रहण के बाद दान

चांदी का दान देने से मन मजबूत और बुद्धि कुशाग्र होती है। चांदी के आप गहने, सिक्के, मूर्तियां, बर्तन आदि दान कर सकते हैं। इससे घर में वैभव और संपन्नता आती है। चावल का दान देने से घर में धन-धान्य की कमी नहीं आती है। साथ ही अगर आप ग्रहण के दौरान चावल से हवन करेंगे तो घर से दरिद्रता दूर भागेगी और घर में जल्द मांगलिक कार्य होगा। दूध और दही दान का भी शास्त्रों में विशेष महत्व बताया है और चंद्रमा का संबंध भी दूध और दही से होता है। ग्रहण के दौरान दूध और दही दान करने से माता लक्ष्मी और भगवान नारायण का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

शक्कर दान करने से इष्ट देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही श्रीसूक्त का भी पाठ करना चाहिए। ऐसा करने से ग्रहण का नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता है। आप सफेद फूल का दान कर सकते हैं। संभव हो सके तो आप मंदिर में जाकर भगवान पर भी सफेद फूल चढ़ा सकते हैं। ऐसी मान्यताएं हैं कि इससे विवाद सुलझता है और लाभ मिलता है। सम्‍मान के लिए ग्रहण के बाद आपको सफेद कपड़ों का भी दान कर सकते हैं। सफेद कपड़ों के दान देने से शुभ परिणाम प्राप्‍त होंगे और घर में फिर से धन की आवक शुरू हो जाती है। ग्रहण में मोती का दान करने से कई विकट समस्याएं दूर हो जाती हैं। आपके परिवार में सुख-शांति का वातावरण रहेगा और संतान की करियर संबंधित समस्याएं भी खत्म हो जाएगी।

ज्योतिष सेवा केन्द्र लखनऊ। आचार्य कौशलेन्द्र पाण्डेय जी, मो.9455715061, 8896344970


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