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चुनाव

गठबंधन और भाजपा सीधे मुकाबले में

Posted on: Sun, 05, May 2019 6:46 PM (IST)
गठबंधन और भाजपा सीधे मुकाबले में

बस्तीः (दिनेश कुमार पाण्डेय) मतदान की तारीख जैसे जैसे नज़दीक आ रही है मुस्लिम मतदाताओं का रूख साफ नज़र आने लगा है। अधिकांश मुस्लिम मतदाता भाजपा को हराने में कांग्रेस को सक्षम नहीं पा रहे हैं ऐसे में यदि वोटों का ध्रुवीकरण सपा बसपा गठबंधन के पक्ष मे हुआ तो कांग्रेस मुकाबले से बाहर हो सकती है और गठबंधन व भाजपा उम्मीदवार सीधे मुकाबले में होंगे। बस्ती मंडल की तीनों सीटों पर छठें चरण में 12 मई को मतदान होना है। प्रचार के आखिरी बेहद पांच दिन बेहद अहम हैं।

इस दौरान स्टार प्रचारकों के भ्रमण, प्रत्याशियों और समर्थकों के प्रचार करने के तौर तरीकों और प्रचांर प्रबंधन का व्यापक असर होगा। जाहिर है समर्थक व प्रत्याशी दोनो हर कदम फूंक फूंक कर रखेंगे। मीडिया दस्तक द्वारा तमाम जागरूक मतदाताओं से उनकी राय जानने के बाद पता चला कि प्रचार प्रसार में भाजपा अव्वल है, एक एक कार्यकर्ता को वहां जिम्मेदारी सौंपी गयी है, सभी बखूबी अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं, चुनाव कार्यालय पर पहुंचकर छोटी छोटी बातों की जानकारी भी ली जा सकती है। यदि बेहतर चुनाव प्रबंधन प्रत्याशी को जीत दिला सकता है तो निःसंदेह मौजूदा सांसद हरीश द्विवेदी भाग्यशाली होंगे।

मतदाताओं ने व्यक्तित्व को आधार बनाया तो इसका भी लाभ उन्हे मिलेगा। हालांकि उनका वोट काटने वाले उम्मीदवार भी चुनाव मैदान में है, सुभासपा से विनोद राजभर, निर्दल चन्द्रमणि पाण्डेय, पंकज दुबे, रोहित पाठक सहित कई उम्मीदवार हैं जो उन्हे प्रभावित कर रहे हैं। जबकि सपा बसपा गठबंधन के वोटों में कोई सेंध नही लगा पा रहा है। रामप्रसाद चौधरी गठबंधन के प्रत्याशी हैं। उनका चुनाव प्रचार का अपना तरीका है, लोग कहते हैं जब 24 घण्टे चुनाव में बाकी रहते हैं उस अवधि में भी वे नतीजों का रूख बदलना जानते हैं। मुस्लिम मतदाताओं की रूझान से वे काफी खुश हैं।

जिस तबके का वोट पाकर वे चुनाव जीतने का हस्र पूरा करना चाहते हैं वे मौन मतदाता हैं, कभी मुखर नही होते। हालांकि उनका चुनाव प्रबंधन दोयम दर्जे का बताया गया है। कांग्रेस प्रत्याशी की बात करें तो पूरे खेमे में अति आत्मविश्वास नज़र आता है। चुनाव प्रबंधन सबसे कमजोर बताया गया है। मुस्लिम मतदाताओं के भीतर यह विश्वास होना कि कांग्रेस उम्मीदवार भाजपा को हराने में सक्षम नही है नुकसान पहुंचा सकता है।

बस्ती की राजनीति में खास रूचि रखने वाले कुछ रणनीतिकारों की मानें तो राजकिशोर सिंह पिछले लोकसभा चुनाव में अपने अनुज बृजकिशोर सिंह डिम्पल द्वारा खींची गयी लाइन को पार नही कर पायेंगे। यदि रणनीतिकारों की बात सच हुई तो कांग्रेस तीसरे नम्बर भी जा सकती है। कुछ मतदाता यह भी कहते हैं कि उनके चुनाव जीतने पर लोकसभा क्षेत्र में अराजकता फैल सकती है। फिलहाल 100 प्रतिशत सच जानने के लिये हमें 23 मई तक सब्र रखना होगा। तब तक अटकलों का दौर जारी रहेगा। प्रबुद्ध मतदाता प्रत्याशियों की क्राइम हिस्ट्री की भी तुलना कर रहे हैं।


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