कोरोना से ठीक हुये फिर भी रह सकता है दिमाग और फेफड़े पर असर
नई दिल्लीः भारत समेत दुनिया भर के तमाम देश कोरोना वायरस का कहर झेल रहे हैं। भारत में कोरोना के मामले अब 4 लाख 56 हजार पार कर गए हैं. कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा बढ़ने के साथ मरीजों के ठीक होने की रफ्तार भी बढ़ी है। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, भारात का रिकवरी रेट 56.38 प्रतिशत हो गया है।
इस बीच एक स्टडी में ये पता चला है कि कोरोना से रिकवर हो चुके हर तीन में से एक मरीज को आजीवन हेल्थ से जुड़ी गंभीर दिक्कतें झेलनी पड़ सकती है। इसमें लंबे वक्त के लिए उनके फेफड़ों में इंफेक्शन रह सकता है। ब्रिटेन के अंग्रेजी अखबार टेलिग्राफ ने इंग्लैंड की प्रमुख हेल्थ एजेंसी नेशनल हेल्थ सर्विस की मदद से ये स्टडी प्रकाशित की है. स्टडी में कहा गया है कि कोरोना से एक बार ठीक हो चुके करीब 30 फीसदी मरीजों को जिंदगी भर फेफड़ों की बीमारी से परेशान रहना पड़ सकता है। उन्हें रोजाना के काम करने में थकान और मानसिक तकलीफ भी हो सकती है।
वहीं, आईसीयू में रहते हुए जो मरीज ठीक हुए हैं, उनके साथ और भी शारीरिक दिक्कतें हो सकती हैं। स्टडी के मुताबिक, जिन मरीजों में कोरोना के गंभीर लक्षण पाए गए थे, ठीक होने के बाद भी उनमें शारीरिक समस्या के साथ-साथ दिमागी परेशानी भी हो सकती है. ऐसे मरीजों में आगे जाकर आलज़ाइमर का खतरा भी बढ़ जाता है। नेशनल हेल्थ सर्विस की चीफ हिलेरी फ्लॉयड कहती हैं, ’कोरोना से रिकवर कर चुके लोगों में आगे जाकर होने वाली शारीरिक परेशानियों को लेकर बहुत कम जानकारी मौजूद हैं. ऐसा पाया गया है कि कई मरीजों की रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद भी वायरस का असर रहता है।