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सेहत/प्राकृतिक चिकित्सा

वर्ल्ड हाइपरटेंशन डे पर विशेषः उच्च रक्तचाप के प्रति लापरवाही बन सकती है जानलेवा

Posted on: Mon, 16, May 2022 10:49 PM (IST)
वर्ल्ड हाइपरटेंशन डे पर विशेषः उच्च रक्तचाप के प्रति लापरवाही बन सकती है जानलेवा

गोरखपुर, 16 मई। उच्च रक्तचाप (बीपी) की बीमारी इस दौर में सामान्य हो गयी है। ऐसे में चिकित्सक के परामर्श के अनुसार इसकी नियमित दवा लेना और सही तरीके से जांच करवाना अनिवार्य है। बीच में दवा बंद कर देना या फिर इसके प्रति लापरवाही जानलेवा साबित हो सकती है। सभी राजकीय अस्पतालों में उच्च रक्तचाप की जांच व इलाज की सुविधा निःशुल्क उपलब्ध है।

यह जानकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे ने दी और अपील की है कि अगर किसी को उच्च रक्तचाप के लक्षण महसूस हों तो सरकारी अस्पताल में अवश्य संपर्क करें। सीएमओ ने बताया कि सिर दर्द, नाक से खून आना, धुंधला दिखना, चक्कर आना, पेशाब में खून आना, सांस तेज चलना या सांस लेने में तकलीफ होना, दिल की धड़कन बढ़ना और थकान होने जैसे लक्षण अगर लगातार बने हुए हैं तो यह उच्च रक्तचाप हो सकता है। ऐसे में इस बीमारी की समय से जांच व इलाज शुरू करना आवश्यक है। केवल बीपी बढ़ना हाइपरटेंशन नहीं होता है, लेकिन अगर एक सीमा के बाद लगातार बीपी बढ़ा रह रहा है तो यह चिंता का विषय है।

डॉ दूबे ने बताया कि उच्च रक्तचाप की सही रीडिंग होना अति आवश्यक है। यही वजह है कि इस बार की थीम है-अपना ब्लड प्रेशर सही से नापें, इसे काबू रखें और लंबा जिएं। बीपी की सही रीडिंग के लिए आवश्यक है कि आरामदायक स्थिति में बैठा जाए और खड़े होकर बीपी बिल्कुल न नापें। व्यायाम करने या कहीं से चल कर आने पर बीपी थोड़ी देर बाद चेक करें। धुम्रपान, चाय, काफी या भोजन के तुरंत बाद बीपी न नापें। दोनों हाथों का उच्च रक्तचाप लें और अगर रीडिंग में फर्क है तो चिकित्सक से मिलें। अगर एक रीडिंग में यह बढ़ा हुआ है तो बिना घबराए पांच मिनट बाद दोबारा नाप सकते हैं। अगर बीपी के साथ शुगर, ह््रदय रोग आदि कोई अन्य बीमारी है तो सुबह और शाम इसे नियमित चेक करें और इसका रिकॉर्ड अपने पास रखें।

16 से 20 फीसदी प्रभावित

सीएमओ ने बताया कि राष्ट्रीय पारिवारिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण (2019-21) के मुताबिक 15 वर्ष से अधिक आयु वर्ग की 16.8 फीसदी महिलाओं और 20.7 फीसदी पुरूषों के बीपी का स्तर इतना अधिक है कि उन्हें दवाओं का सेवन करना पड़ता है। उन्होंने बताया कि इसके मरीजों अत्यधिक मात्रा में नमक का सेवन नहीं करना चाहिए। धुम्रपान, तलाभुना, शराब, फैटी भोजन, तनाव से दूर रहना चाहिए। भरपूर नींद लेनी चाहिए और सुबह-शाम टहलना चाहिए। प्राणायाम और योग भी बीमारी से बचाव में काफी मददगार है।


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