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25 अप्रैल 2024
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सेहत/प्राकृतिक चिकित्सा

एड्स से भी ज्यादा खतरनाक है हेपेटाइटिस बी, गर्मी में खानपान का ध्यान रखें-डा. वी.के. वर्मा

Posted on: Sun, 28, Feb 2021 2:22 PM (IST)
एड्स से भी ज्यादा खतरनाक है हेपेटाइटिस बी, गर्मी में खानपान का ध्यान रखें-डा. वी.के. वर्मा

गर्मी के दिनों में होने वाले रोगों में पीलिया प्रमुख है. इसे हेपेटाइटिस ए भी कहा जाता है. इसमें शरीर में खून की कमी हो जाती है, जिससे शरीर पीला पड़ने लगता है और पाचन तंत्र भी कमजोर हो जाता है। गर्मी में दूषित खाद्य पदार्थों से दूर रहना चाहिये। कोशिश करनी वाहिये कि उबला हुआ खाना खायें और पानी पीयें। स्वच्छता का पूरा ध्यान रखना चाहिये। पीलिया तब होता है, जब शरीर में बिलीरुबिन नामक पदार्थ बहुत अधिक हो जाता है। बस्ती के जिला अस्पताल में तैनात आयुष चिकित्साधिकारी से पीलिया रोग के बारे में विस्तार से चर्चा हुई। उन्होने गर्मी के मौसम में खान खान में सावधानियां बरतने के साथ ही अनेक महत्वपूर्ण जानकारियां दी।

डा. वी.के. वर्मा के अनुसार बिलीरुबिन की अत्यधिक मात्रा होने से लिवर पर बुरा प्रभाव पड़ता है, और इससे लिवर के काम करने की क्षमता कम हो जाती हैं। बिलीरुबिन धीरे-धीरे पूरे शरीर में फैल जाता हैं। यह पीले रंग का पदार्थ होता है। ये रक्त कोशिकाओं में पाया जाता है। जब ये कोशिकाएं मृत हो जाती हैं तो लिवर इनको रक्त से फिल्टर कर देता है। जब लिवर में यह प्रक्रिया ठीक से नहीं हो पाती तो बिलीरुबीन बढ़ने लगता है। इसी के चलते त्वचा पीली नजर आने लगती है। लिवर में गड़बड़ी के कारण, बिलीरुबिन शरीर से बाहर नहीं निकलता है, और इससे पीलिया हो जाता है।

पीलिया के लक्षण

इस रोग में त्वचा, नाखून और आंख का सफेद हिस्सा तेजी से पीला होने लगता है। फ्लू जैसे लक्षण दिखाई देना, मितली आना, पेट दर्द, भूख ना लगना और खाना ना हजम होना, वजन घटना, गाढ़ा, पीला पेशाब होना, लगातार थकान महसूस करना, भूख नहीं लगना, पेट में दर्द होना, बुखार बना रहना, हाथों में खुजली पीलिया के लक्षण हैं।

घरेलू इलाज

1. गन्ने का रसः गन्ने का रस पीलिया के इलाज में अत्यंत लाभकारी होता हैं। अगर दिन में तीन से चार बार सिर्फ गन्ने का रस पिया जाए तो इससे बहुत ही लाभ होता हैं। अगर रोगी सत्तू खाकर गन्ने का रस सेवन करे तो सप्ताह भर में ही पीलिया ठीक हो जाता है।अगर गेहूं के दाने के बराबर सफेद चूना गन्ने के रस में मिलाकर सेवन किया जाय तो भी जल्द से जल्द पीलिया रोग ठीक हो जाता है।

2. हल्दी

हल्दी पीलिया रोग के उपचार के लिए बहुत अच्छी होती हैं। पीलिया होने पर आप एक चम्मच हल्दी को आधे गिलास पानी में मिला लें। इसे रोजाना दिन में तीन बार पिएं। इससे शरीर में मौजूद सभी विषाक्त पदार्थ बाहर निकल जाएंगे। यह नुस्खा बिलीरुबिन को शरीर से बाहर करने में भी बहुत मदद करता है। पीलिया के इलाज के लिए बहुत ही आसान नुस्खा हैं। जिससे शरीर के खून की सफाई भी हो जाती हैं।

3. नारंगी

नारंगी पाचनतंत्र को दुरुस्त करती है। यह पीलिया में भी बहुत ही प्रभावकारी साबित होती है। नारंगी के रस का सेवन करने से बिलीरुबिन की मात्रा कम होती है, और लिवर की कमजोरी भी दूर होती है। पाचन तंत्र ठीक से काम करने लगता है और पीलिया से छुटकारा मिल जाता है।

4. टमाटर

टमाटर लाइकोपीन का एक भरपूर स्रोत है। सुबह खाली पेट टमाटर का रस लेने से लिवर स्वस्थ होता है। टमाटर को नरम बनाने के लिए पानी में कुछ टमाटर उबालें। अच्छे से उबल जाने के बाद टमाटर की छाल को अलग निकाल लें। टमाटर के अंदर के हिस्से को एक बर्तन में निकालें। इसे अच्छे से मिलाकर पी जाएं। पीलिया के लक्षण दिखने पर कुछ दिनों तक इसका सेवन करें।

5. दही

आयुर्वेद के अनुसार दही सेहत के लिए काफी अच्छा माना जाता है। इसमें भरपूर मात्रा में कैल्शियम, प्रोटीन, राइबोफ्लेविन, विटामिन बी 6 और विटामिन बी 12 जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। पीलिया रोग में दही का सेवन करने से बैक्टीरिया के संक्रमण की रोकथाम होती है। दही पीलिया के लक्षणों को कम करने में बहुत अधिक लाभ पहुंचाता है।

5. पपीता

कच्चे पपीते की बिना मसाले की सब्जी खाएँ। इसके साथ ही पका पपीता खाने से भी पीलिया के लक्षणों में कमी आती है। पपीता स्वादिष्ट तो होता ही है इसके अलावा स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है। सहज पाचन योग्य है। पपीता भूख और शक्ति बढ़ाता है। यह प्लीहा, यकृत को रोगमुक्त रखता और पीलिया जैसे रोगों से छुटकारा दिलाता देता है।

6. मूली का पत्ता

5 तोला मूली के पत्तों का अर्क निच़ोड़कर 1 तोला मिश्री मिला लें। बासी मुंह पियें। यह पीलिया का रामबाण इलाज है। मूली को पत्तों सहित पीसकर केवल रस निकाल लें। इसमें नींबू का रस 10 मि.ली., चीनी इच्छानुसार मिला लें। सब मिलाकर एक कप की मात्रा में रोज सुबह खाली पेट, एवं रात को सोने से पहले सेवन करायें। एक सप्ताह में ही चमत्कारी लाभ होता है।

पीलिया में खान पान

ऐसी कई आदतें होती है जो कि पीलिया जैसे रोग उत्पन्न करती हैं। खान पान को नियंत्रित कर हम इस रोग पर काबू पा सकते हैं। ताजा व शुद्ध भोजन की करना चाहिए। खाना बनाने, परोसने और खाने से पहले हाथों को साबुन से अच्छी तरह धोना चाहिये। अधिक से अधिक पानी पीना चाहिये। इससे लीवर मैजूद टॉक्सिन्स बाहर निकलता है, और लीवर ठीक रहता है। पीने के लिये साफ एवं स्वच्छ जल का ही प्रयोग करें। नींबू, संतरे तथा अन्य फलों के रस से ताकत मिलती है, और शरीर भी स्वस्थ रहता है। दिन में कई बार थोड़ा-थोड़ा खाएं। इससे लीवर पर ज्यादा दवाब नहीं पड़ता। पीलिया होने पर अधिक आराम करें।

क्या न करें

डा. वर्मा कहते हैं पीलिया यानी जॉन्डिस के लक्षण दिखने पर तत्काल खानपान और दिनचर्या में बदलाव लाएं। बाहर के बने खाने का परहेज करें। एक साथ ढेर सारा खाना ना खाएं। ज्यादा मिर्च-मसालेदार तले हुए खाना मैदा आदि का प्रयोग ना करें। दाल और बींस न खाएं। ये लीवर पर ज्यादा बोझ डालते हैं और तकलीफ बढ़ सकती है। ज्यादा मेहनत करने से बचें। शराब लिवर के लिए बहुत हानिकारक होता है। इसके सेवन से लिवर पर बुरा असर पड़ता है।

पीलिया में ज्यादा नमक वाली चीजें, अचार आदि खाने से बचना चाहिए। ज्यादा नमक वाली चीजें खाने से पीलिया को ठीक होने में अधिक समय लगता है। चाय और कॉफी में मौजूद कैफीन पीलिया ठीक होने में बाधक बन सकती है। इसलिए पीलिया में इनका परहेज करना चाहिए। पीलिया में दाल खाने से परहेज करना चाहिए, क्योंकि दालों से आंतों में सूजन हो सकती है। पीलिया के मरीज को मक्खन खाने से परहेज करना चाहिए। मक्खन में वसा बहुत ज्यादा होता है।

इसे खाने से पीलिया के मरीज में तनाव भी बढ़ता है। पीलिया में जंक फूड खाने से बचना चाहिए। जंक फूड में कई तरह के तेल मसाले डाले जाते हैं, जो कि पीलिया के मरीज के लिए बहुत ही नुकसानदायक होते हैं। पीलिया में प्रोटीन युक्त आहार अंडा, मांस आदि लेने से बचना चाहिए। पीलिया के मरीज के लिए इन सभी चीजों को पचा पाना मुश्किल होता है। डा. वर्मा कहते हैं घरेलू उपचारों के अलावा होम्योपैथ में पीलिया रोग का रामबाण इलाज है। लक्षण दिखने पर डाक्टर से तत्काल संपर्क करें।

होम्योपैथिक उपचार

डा. वी.के वर्मा कहते हैं चाइना चेलिडोनियम, कार्डुअस, कालमेघ, ब्राइनिया, मर्कसाल, फासफोरस, नेट्रम्योर आदि दवायें लक्षणानुसार चिकित्सक की देखरेख में उचित पोटेंसी में ली जा सकती हैं। मदर टिंचर 30, 200 की मात्रा को आवश्यकतानुसार चिकित्सक की देखरेख में लिया जा सकता है। यह हेपेटाइटस बी जो एड्स से भी ज्यादा खतरनाक होता है उसे भी निगेटिव कर सकता है।


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