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सेहत/प्राकृतिक चिकित्सा

नियमित हाथ धुलना, मतलब सुरक्षा कवच में रहना

Posted on: Sun, 06, Dec 2020 8:58 PM (IST)
नियमित हाथ धुलना, मतलब सुरक्षा कवच में रहना

बस्तीः शरीर को निरोगी रखने के लिए हाथों की सही तरीके से सफाई करें। यह बात बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक को समय-समय पर समझाई जा रही है क्योंकि कोरोना ने इसकी महत्ता को और बढ़ा दिया है। चिकित्सकों ने साफ कहा है कि कोरोना ही नहीं कई अन्य बीमारियों से बचने के लिए साबुन-पानी से हाथों की अच्छी तरीके से कम से कम 40 सेकेण्ड तक सफाई बहुत जरूरी है।

चिकित्सक आईडीएसपी के नोडल ऑफिसर डॉ. सीएल कन्नौजिया का कहना है कि तमाम तरह के वायरस, बैक्टीरिया या मैल हमारे हाथों से होकर मुंह तक पहुँचते हैं और फिर शरीर के अन्दर या पेट तक पहुंचकर बीमारियों को जन्म देते हैं। इसलिए कोरोना ही नहीं बल्कि कई अन्य संक्रामक बीमारियों की चपेट में आने से बचना है तो समय-समय पर हाथों की सफाई करते रहें। उनका कहना है कि जब हम किसी से हाथ मिलाते हैं, वस्तुओं का हाथों के सहारे लेन-देन करते हैं या किसी वस्तु या सतह को स्पर्श करते हैं तो वहां मौजूद संक्रमण आसानी से हमारे हाथों तक पहुँच जाते हैं और ऐसे में अच्छी तरह से हाथों की सफाई किये बगैर कुछ भी खा कर-पी कर या आँख, नाक, कान या मुंह को छूकर बीमारियों को अनजाने में दावत दे बैठते हैं।

हाथ धोने का सही तरीकाः

हाथ धोने का सही तरीका जानना बहुत जरूरी है। हाथों को साबुन से रगड़कर करीब 40 सेकण्ड तक साफ करें, नाखूनों में मैल जमा होने की संभावना ज्यादा रहती है, इसलिये नाखूनों की सफाई खास तौस से होनी चाहिये।

नियमित स्नान करेंः

लम्बे समय तक बाहर रहने से तमाम तरह के वायरस या बैक्टीरिया के साथ ही धूल कणों के प्रभाव से शरीर को सुरक्षित बनाने के लिए नियमित रूप से स्नान करना भी बहुत ही जरूरी है।

किन बीमारियों से होगी रक्षाः

अच्छी तरह से हाथों की स्वच्छता को बनाए रखकर एक नहीं अनेक बीमारियों से बचा जा सकता है। इसमें डायरिया, दस्त, पेट दर्द, कुपोषण, कृमि संक्रमण, फ्लू, त्वचा सम्बन्धी रोग, आँख सम्बन्धी बीमारियां प्रमुख हैं। वायरस, बैक्टीरिया या गंदगी हाथों से होते हुए मुंह के रास्ते शरीर में प्रवेश पा जाते हैं और अन्दर पहुंचकर वह कई बीमारियों को जन्म देते हैं।

बच्चों के सम्पूर्ण विकास के लिए भी जरूरी :

भारत सरकार के अनुसार उत्तर प्रदेश में एक से 19 साल के करीब 76 फीसद बच्चों में कृमि संक्रमण की बात कही गयी है। इसके अलावा एक से पांच साल के बच्चों की होने वाली कुल मौत में से 10 फीसद मौत डायरिया या दस्त के कारण होती है। इन बीमारियों का भी रिश्ता सीधे तौर पर हमारे हाथों की सफाई से जुड़ा हुआ है, क्योंकि यह कृमि या डायरिया हमारे हाथों में मौजूद गंदगी को पेट तक पहुंचाते हैं जिसके बाद ही इनका संक्रमण शुरू होता है। यह ऐसी बीमारियाँ हैं जो बच्चों को कुपोषण की जद में पहुंचा देती हैं जिससे उनका शारीरिक व मानसिक विकास प्रभावित होता है। इसलिए बच्चों के सम्पूर्ण विकास को ध्यान में रखकर भी हाथों की सफाई के मौके से हमें कदापि नहीं चूकना चाहिए।

कब-कब हाथ धुलना न भूलेंः

शौच के बाद, कुछ भी खाने-पीने से पहले, खाना बनाने से पहले, बच्चों को खाना खिलाने व स्तनपान कराने से पहले, किसी भी सतह या वस्तु को छूने के बाद


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