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अन्तर्राष्ट्रीय बाघ दिवस की थीम को साकार कर रहा प्रदेश

Posted on: Mon, 02, Aug 2021 6:02 PM (IST)
अन्तर्राष्ट्रीय बाघ दिवस की थीम को साकार कर रहा प्रदेश

बस्तीः अन्तर्राष्ट्रीय बाघ दिवस प्रतिवर्ष 29 जुलाई को मनाया जाता है। वर्ष 2021 में इस दिवस की थीम है ‘‘उनका अस्तित्व हमारे हाथों में है‘‘। उत्तर प्रदेश की वर्तमान योगी सरकार के गंभीर प्रयासों का ही परिणाम है कि प्रदेश में राष्ट्रीय पशु बाघ की संख्या बढ़ रही है। इस प्रकार इस वर्ष अन्तर्राष्ट्रीय बाघ दिवस की थीम को सरकार ने सार्थक सिद्ध कर दिया है।

उल्लेखनीय है कि वर्ष 2014 की बाघ गणना के अनुसार प्रदेश में 117 बाघ थे, जबकि वर्ष 2018 की बाघ गणना में यही संख्या बढ़कर 173 हो गई है। प्रदेश में राष्ट्रीय पशु बाघ एवं उसके प्राकृतवास संरक्षण हेतु तीन टाइगर रिजर्व-दुधवा, अमानगढ़ तथा पीलीभीत टाइगर रिजर्व स्थित है। इनमें भारत सरकार के सहयोग से ‘‘प्रोजेक्ट टाइगर‘‘ संचालित है। प्रदेश में वन एवं वन्यजीव संरक्षण, संवर्धन हेतु चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं का ही परिणाम है कि पीलीभीत टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या वर्ष 2022 तक दोगुनी करने की वैश्विक प्रतिबद्धता 4 वर्ष पूर्व ही प्राप्त की जा चुकी है।

29 जुलाई, 2021 को अन्तर्राष्ट्रीय बाघ दिवस के अवसर पर नई दिल्ली में एक समारोह में प्रदेश के दुधवा टाइगर रिजर्व को ‘‘प्रतिष्ठित अन्तर्राष्ट्रीय प्रमाणन‘‘ से अलंकृत किया गया है। जो दर्शाता है कि प्रदेश सरकार द्वारा सम्बंधित संरक्षित क्षेत्र का प्रबन्धन बेहतर तरीके से किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि अन्तर्राष्ट्रीय प्रमाणन की यह प्रकिया कई कसौटियों पर परखी जाती है। प्रदेश सरकार द्वारा पेट्रोलिंग, अपराध अनुश्रवण एवं नियंत्रण के लिए तकनीकी का प्रभावी प्रयोग किया गया है। वन्य जीव प्रबन्धन हेतु प्रशिक्षित कर्मचारियों की उपलब्धता भी सुनिश्चित की गयी है।

परिणामतः आज प्रदेश में बाघों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हो पायी है। दुधवा टाइगर रिजर्व एम-स्ट्राईप्स ऐप का उपयोग करते हुए वन्य क्षेत्रों में प्रभावी गश्त करने के मामले में देश में अव्वल रहा है। यह ऐप राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण भारत सरकार एवं भारतीय वन्य जीव संस्थान, देहरादून द्वारा तैयार किया गया है। यह दर्शाता है कि उत्तर प्रदेश सरकार वन तथा वन्य जीवों के संरक्षण हेतु दृढ़ संकल्पित है एवं गम्भीरता से कार्य भी कर रही है। बाघ का महत्व केवल इसलिए नहीं है कि यह हमारा राष्ट्रीय पशु है, बल्कि बाघ समूचे वन पारिस्थितिकी तंत्र का सर्वोच्च प्राणी है। सरकार के सम्मिलित प्रयासों का परिणाम है कि आज प्रदेश में बाघों की संख्या बढ़ रही है। बाघ प्रकृति का एक अनमोल उपहार है और उनके अस्तित्व की रक्षा एवं संख्या वृद्धि करने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा संवेदनशीलता के साथ किए जा रहे प्रयास सराहनीय हैं।


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