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29 मार्च 2024
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साक्षात्कार शख्सियत / व्यक्तित्व / लेख

पर गलत थी मैं!

Posted on: Sat, 27, Apr 2019 8:49 AM (IST)
पर गलत थी मैं!

अजीब विड़म्बना है जीवन में जो हम चाहते हैं वो कर नहीं पाते, जो लोग चाहते हैं वो कर नहीं सकते। कभी मेरे विचार थे कि दुनिया में सब कुछ प्यार से मिलता है, पर गलत थी मैं। लोग प्यार के बदले प्यार दें ये दूर की बात है। गर विचार जुदा हुए तो दूरियां बना लेते हैं लोग। कभी सोचना था परंपरा और आधुनिकता का समन्वय जरूरी है। क्योंकि तोड़ा तो रूढ़ियों को जाता है, पर गलत थी मैं। आज अनुचित कार्यों को लोग आधुनिक मानते हैं। कभी सोचती थी मैं जिससे प्यार करो उस पर हक है।

हर बात को बताने का। मेरी जिन्दगी से जुड़ी हर बात वह जाने पर गलत थी, लोग बस काम भर बात करना पसंद करते हैं। कभी सोचती रिश्ते में दौलत और रूपए का कोई मोल नहीं, दिल पवित्र होना चाहिए, पर गलत थी मैं। लोगों ने केवल कपड़े व खूबसूरती देखी। कभी सोचती अपने जन्म से मिले संस्कार को नहीं गलत आदतों को छोड़ना चाहिए, पर गलत थी मैं। लोगों ने हर तरह से बदलना चाहा। कभी सोचती थी मोहब्बत के लिए एक व्यक्ति और उसका प्यार ही काफी है, पर गलत थी मैं। कपड़ों की तरह लोग रिश्ते भी बदलने लगे। कभी सोचती थी हर बात अपनों को बताऊं, पर गलत थी मैं। लोग तो सुन कर बाद में खिल्ल्यिं उड़ाते हैं। कभी सोचती थी जो प्यार करता है कभी छोड़कर नहीं जाता, चाहे जो हालात हो।

पर अब प्यार तक बदलने लगे हैं। देखा है मैने टूटते रिश्तों को, बिखरते लोगों को, आंसू तो उनके लिए निकलता है जो दिल के करीब होता है, जिसे हम अपना समझते हैं। पर लोग इसे भी झुठलाने से बाज नहीं आते। कभी सोचा था जो अपना होगा हमारे सुख-दुख सभी बातों को सुनेगा, हमारे अंदर की भी बातें जानेगा और बाहरी जीवन की भी, पर मैं गलत थी। लोग तो केवल सुख में पसंद करते हैं। यह विड़म्बना नहीं तो और क्या है?

जहां इनसान अपनों की खुशी के लिए खुद को तोड़ने लगे, सच में सोचने-विचारने और वास्तविक जीवन में कितना फर्क होता है। अब सोचती हूं बदल डालूं खुद को, अपनी प्रकृति को नहीं अपनी सोच को। अब अपनी बात नहीं बतानी किसी से। आखिर क्यों हंसी का पात्र बना जाए। अपने दर्द-ए-गमों को जाहिर नहीं करना, क्यों अपने को इतना कमजोर बनाएं। इसलिए बदल रही खुद को ताकि अपने खुश रहें। ये जिन्दगी तो उनकी है पर मैं गलत थी, गलत रहूंगी सदा। तब उनकी नजरों में और खुद की। क्योंकि मेरी आत्मा मेरे बदलाव को कभी स्वीकार नहीं करेगी। श्वेता तिवारी ‘रोशनी’ बनारस बीएचयू मो.न. 9695210125


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