मुंशी प्रेमचंद को समर्पित संध्या पाण्डेय की रचना

लिखूं क्या कवि तेरे ऊपर ,
तू कविता का समंदर था ,
नैनों में इतनी गहराई ,
औ निश्चल प्रेमे अन्दर था !
छरहरा था बदन जिसका ,
और थी खुशनुमा आंखें ,
सघन मूछें प्रेम छलके ,
कला मुख पर थी ममता की,
अट्ठारह सौ अस्सी में जन्म लमही में पाया था,
जन्म का नाम धनपत राय ,
सबके मन को भाया था,
पिता उनके अजायब राय ,
डाक मुंशी के पद पर थे !
कटा जीवन संघर्षों में जीवन,
सृजन साहित्य का करते ,
रंगभूमि ,कर्म भूमि और बलिदान लिख डाले ,
ओ प्रेमा पत्र मंगलसूत्र गोदान लिख डाले ,
कायाकल्प ,सारंगा, लिखा है पंच परमेश्वर ,
ली अभिलाषा ओं ने करवट ,
बहुत साहित्य लिख डालें,
समंदर से ही सीखा था ,
सलीका अपने जीने का ,
नहीं ख्वाहिश रही उनकी,
कभी मशहूर होने का,
कलम के वह सिपाही थे,
और रचनाओं में डेरा था ,
आज उनके जन्मदिन पर,
यही बस भेंट मेरा था,
- संध्या पांडे
रचनाकार का परिचय
रचनाकार श्रीमती संध्या पाण्डेय रमन पाण्डेय की धर्मपत्नी हैं। वह एक घरेलू महिला हैं और सामाजिक कार्यों में बढ़चढ़कर हिस्सा लेती हैं। बस्ती जनपद मुख्यालय पर धर्मशाला रोड पर रमन पाण्डेय की ओम सांई रिटेल के नाम से एक मशहूर दुकान है।