आम की बागवानी को बढावा दे रही है प्रदेश सरकार
बस्तीः ‘आम’ भारत ही नहीं, देश विदेश का भी एक पसंदीदा फल है। पोषक तत्वों, विभिन्न क्षेत्रों एवं जलवायु में उत्पादन क्षमता, आकर्षक रंग, विशिष्ट स्वाद और मिठास आदि के कारण इसे फलों का राजा कहते है। आम लगभग 3-10 मीटर तक की ऊॅचाई प्राप्त करने वाला सदाबहार वृक्ष है। भारत आम उत्पादन में विश्व के अनेक देशों में से एक अग्रणी देश है।
विश्व के कुल आम उत्पादन में से लगभग 40 प्रतिशत आम का उत्पादन भारत में होता है। भारत में उत्तर प्रदेश, प्रमुख उत्पादक राज्य हैं। इसके अतिरिक्त यह छोटे स्तर पर लगभग सभी मैदानी क्षेत्रों में उगाया जाता हैं। आम उत्पादन में उचित परिपक्वता निर्धारण के साथ वैज्ञानिक ढंग से तुड़ाई, सुरक्षित रखरखाव एवं पैकेजिंग बेहतर प्रबंधन के मुख्य आधार को दृष्टिगत रखते हुए प्रदेश सरकार आम उत्पादन को बढावा दे रही है। आम (मैंजीफेरा इंडिका एल0) भारतीय उप-महाद्वीप का एक महत्वपूर्ण फल है तथा भारत में विश्व का सबसे अधिक आम उत्पादन होता है। बहुपयोगी होनें के कारण ही आम का भारत की संस्कृति से संबंध रहा है।
आम का उत्पादन भारत में प्राचीन काल से ही किया जा रहा है। आम का फल सरलता से उपलब्ध होता है। आम कच्चा हो या पक्का हो सभी तरह से प्रयोग किया जाता है। आम का अचार तो विश्व प्रसिद्ध है ही साथ में उसकी गुठली के अचार आदि बनते हैं। आम की खट्टी-मीठी चटनी, आम का पना, आम का जूस, शेक, आइसक्रीम, खटाई, रायता, आम रस का सुखाकर बनाया गया अमावट, आदि विभिन्न खाद्य पदार्थ बनाये जाते हैं। आम उत्तर प्रदेश की मुख्य बागवानी फसल है। प्रदेश में लगभग 40-45 लाख मै0टन आम उत्पादित होता है, जो देश के कुल उत्पादन का लगभग 83 प्रतिशत है।
आम उत्पादन की दृष्टि से उत्तर प्रदेश के बाद आंध्र प्रदेश, बिहार एवं कर्नाटक आम उत्पादन करने वाले अग्रणी राज्य हैं। उत्तर प्रदेश में सहारनपुर मेरठ, मुरादाबाद, वाराणसी, लखनऊ, उन्नाव, रायबरेली, सुल्तानपुर जनपद आम फल पट्टी क्षेत्र घोषित हैं, जहां पर दशहरी, लंगड़ा, लखनऊ सफेदा, चौसा, बाम्बे ग्रीन रतौल, फजरी, रामकेला, गौरजीत, सिन्दूरी आदि किस्मों का उत्पादन किया जा रहा है। मलिहाबाद फल पट्टी क्षेत्र के 26,400 हेक्टेयर क्षेत्रफल में दशहरी, लंगड़ा, लखनऊ सफेदा, चैंसा उत्पादित किया जा रहा है। आम उष्ण तथा उपोष्ण दोनों प्रकार की जलवायु में पैदा किया जा सकता है।
भारत में इसकी खेती समुद्र तल से 1500 मीटर की ऊॅचाई तक वाले हिमालय क्षेत्र में की जा सकती है। लेकिन व्यवसायिक दृष्टि से 600 मी0तक की ही ऊॅचाई में अधिक सफलता से पैदा किया जा सकता हैं। आम के पौधों का जड़ विन्यास काफी गहराई तक जाता है। इसके विकास के लिए कम से कम 2 मीटर तक की गहराई की अच्छी मिट्टी आवश्यक है। आम के लिए सबसे उपयुक्त भूमि गहरी, उचित निकास वाली दोमट मानी गयी है। फलों की गुणवत्ता एवं भण्डारण तथा विपणन के लिए प्रदेश सरकार ने मलिहाबाद में विशेष व्यवस्था की है। प्रदेश की लॅगड़ा प्रजाति की उत्पत्ति उत्तर प्रदेश के बनारस जनपद से हुई है। उत्तर भारत की यह प्रमुख व्यवसायिक प्रजाति है।
फल मध्यम आकार के तथा फलों का रंग हल्का पीला होता है फलों की गुण्वत्ता एवं भण्डारण अच्छा है। मध्य मौसम में पकनें वाली यह प्रजाति है। लखनऊ सफेदा प्रजाति के फल 15 जून के बाद पकना शुरू होते हैं। प्रदेश में आम्रपाली प्रजाति दशहरी एवं नीलम के संकरण से प्राप्त, बौनी एवं नियमित फल देनें वाली संकर प्रजाति है। यह सघन बागवानी के लिए उपयुक्त प्रजाति है। एक हेक्टेयर में 1600 पौधे रोपित किये जा सकते हैं तथा 16 टन उत्पादन प्रति हेक्टेयर होता है। यह देर से पकने वाली प्रजाति है। मल्लिका प्रजाति नीलम एवं दशहरी के संकरण से प्राप्त संकर प्रजाति है ंफलों का आकार लम्बा एवं भण्डारण क्षमता अच्छी है। प्रदेश सरकार आम की फसल के उत्पादन करने वाले किसानों को भरपूर सहायता कर रही है।