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संघर्षों के दम पर ज़फर खां ने बनाया मुकाम

Posted on: Sun, 29, Jan 2017 2:55 PM (IST)
संघर्षों के दम पर ज़फर खां ने बनाया मुकाम

बस्ती (उत्तर प्रदेश) कबीर की माटी में जन्मे अभिनय के क्षेत्र में अपना लोहा मनवाने वाले ज़फर खां ने दर्जनों सीरिअल एवं हिंदी फिल्मो में अभिनय कर पूर्वांचल ही नहीं पुरे देश का नाम रौशन किया है। वे बस्ती के बाकर मंजिल में अपनी आने वाली हिंदी फिल्म आई एम द गाॅड को लेकर पत्रकारों से बातचीत कर रहे थें उन्होंने एक विशेष बातचीत में बताया की उनकी आने वाली फिल्म में बतौर हीरो मरुत सिंह एवं अनुपम खेर, शक्ति कपूर राजपाल असरानी, जोनी लीवर एक अलग भूमिका अदा करेंगे।

2.5 रूपये लेकर मुम्बई जैसे शहर में मंज़िल की तलाश में भटकने वाले अभिनेता, डायरेक्टर ज़फर खान की फ़िल्मी ज़िन्दगी का सफ़र काफी दिलचस्प है। छोटी सी उम्र में ही परदे पर चलती दुनिया का हिस्सा बनने का सपना लिए ज़फर खान ने गोरखपुर से एकरंग मंच में जुड़ने के बाद पीछे नहीं देखा। कभी किसी से मांगी हुई साईकिल से मंजिल तक पहुचने की कोशिश की तो कभी पैदल सफ़र तय किया। सैकड़ो नाटको में हिस्सा लिया साथ ही कलाकारों के संघर्ष में खुद को शामिल किया। इस जद्दो-जहद के बीच कुछ लोग उत्साह बढ़ाते तो कुछ मज़ाक बनाते हुए निकल जाते। दिल को तकलीफ होती तो खुद को समझाते और मंजिल की तरफ बढ़ जाते। उन्होंने कहा की गुरुजनों से गुड़ सीखना और अवसरवादियों से बच कर निकल लेना मैंने अपनी फितरत में शामिल कर लिया। फिर भी ठगने वालो ने भी खूब ठगा। मेरे इस बड़े सपने को सुनकर लोग मज़ाक बनाते गए, फिर भी मै रुका नहीं और आगे चलता रहा। मेरी सफलता के पीछे मेरे घर वालो और दोस्तों का भरपूर हाथ था।

अपना सपना लिए ज़फर खान ट्रेन से मुंबई तो पहुच गये थे लेकिन जाना किधर था कुछ पता नहीं था। मुंबई में चाचा के वहा गए लोग बहुत खुश हुए जब चाचा ने सुना की यही रहने का इरादा है तो चेहरे पर कुछ मुझे आभास हुआ समझते देर ना लगी की इतने बड़े शहर में मुफ्त में खिलाना पिलाना रहना मुमकिन नहीं था। इसलिए वहीँ चचा के कारखाने में नौकरी करने लगा। दिन में फिल्मो में काम करने को संघर्ष करता और रात में नौकरी। अपने घर से निकलते वक़्त माँ पापा की आँखों में एक आशा की किरण देखी थी जिसे मुझे हर हाल में पूरा करना था। उन्होंने कहा की मेहनत का फल मीठा होता है सुना था और देख भी लिया। ज़फर खान को भोजपुरी फिल्म में कार्यकारी निर्माता के रूप में काम मिल गया इसके साथ साथ अपने अभिनय को को भी सवारता गया। काम कठिन था लेकिन हौसला बुलंद था जिसकी बदौलत बिहारी माफिया, रक्षाबंधन, खिलाडी नम्बर एक जैसी कई भोजपुरी फिल्मो में काम किया। इसके बाद मैंने कई टीवी सीरिअल सीआईडी, बेगुसराय, दिया और बाती, क्राइम पेट्रोल, लाजवंती, हमनवाज, कोड रेड, काल टिका, पवित्र रिश्ता जैसे कई धारावाहिकों में काम किया। बातचीत के दौरान सैय्यद अलाउद्दीन, सैय्यद सद्दाम हुसैन, अशरफ हुसैन, संजय श्रीवास्तव, सैय्यद ज़फर अहमद, परवेज़, अरिज, सैय्यद असलम अशरफ, अबरार आलम, शमशाद खां, जावेद अहमद, व फैज़ अहमद मौजूद रहे।


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