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Uttar pradesh

सतर्कता के हथियार से कर रहे हैं कोविड पर वार

Posted on: Wed, 21, Apr 2021 1:25 PM (IST)
सतर्कता के हथियार से कर रहे हैं कोविड पर वार

गोरखपुरः जिले की 48 लाख की आबादी के सापेक्ष 16 अप्रैल तक करीब 28 हजार लोग कोविड पॉजीटिव हो चुके हैं और इनमें से 22 हजार लोग स्वस्थ भी हो चुके हैं। महामारी को आए करीब सवा साल का वक्त होने जा रहा है। ऐसे में एक अच्छी खासी संख्या ऐसे लोगों की भी है जो सतर्कता के हथियार से कोविड पर वार कर रहे हैं।

अगर इनका व्यवहार सभी लोग अपनाएं तो जिले की बड़ी आबादी को कोविड से बीमार होने से बचाया जा सकता है। कोविड की पहली लहर में सतर्कता का व्यवहार अपना कर बीमारी से बचे कुछ लोग दूसरी लहर में भी बाजार से लेकर कार्यस्थल तक जागरूकता की छाप छोड़ रहे हैं। किसी ने अपनी दुकान पर रस्सियां लगा ली हैं तो कोई पॉकेट में हैंड सेनेटाइजर लेकर चलता है। मॉस्क समेत अन्य सावधानियों के जरिये यह लोग कोविड से दो-दो हाथ कर रहे हैं। गोरखपुर शहर के राप्तीनगर में बेकरी, दूध व आईसक्रीम के व्यापारी विपिन कुमार श्रीवास्तव पिछले साल के लॉकडाउन से लेकर इस समय तक कोविड व्यवहार का सख्ती से पालन करते रहे।

उनका सामना हमेशा भीड़भाड़ से हुआ लेकिन दुकान से हेंड सेनेटाइजर और चेहरे से मॉस्क कभी नहीं हटने दिया। दूसरी लहर को देखते हुए उन्होंने अपनी दुकान के चारो तरफ रस्सियां लगा दी हैं और ग्राहक का हेंड सेनेटाइज करवा कर ही सामान देते हैं। ग्राहकों को प्रोत्साहित करते हैं कि वह ऑनलाइन पेमेंट करें। विशेष परिस्थिति में ही कैश पेमेंट लेते हैं। इस व्यवहार से उनका परिवार कोविड से बचा हुआ है। चरगांवा निवासी और स्वास्थ्य विभाग के रैपिड रिस्पांस टीम (आरआटी) से जुड़े चिकित्सक डॉ. पवन कुमार सैकड़ों कोविड मरीजों के घर भ्रमण कर चुके हैं।

उनके घर में छोटा बच्चा भी है लेकिन सतर्कता के जरिये वह खुद को और पूरे परिवार को कोविड से बचा कर रखे हुए हैं। डॉ. पवन मॉस्क लगाते हैं, दो गज दूरी से बात करते हैं, हाथों की नियमित साफ-सफाई करते हैं, सिर पर हेडकैप लगाते हैं और गॉगल्स या फेसशील्ड का आवश्यकतानुसार इस्तेमाल करते हैं। घर जाने के बाद सारे कपड़े बाहर निकाल देते हैं और जूता भी बाहर रखते हैं। नहाने के बाद ही घर का कोई सामान छूते हैं। गोरखनाथ निवासी रंगकर्मी और युवा सामाजिक कार्यकर्ता अमित सिंह पटेल ने भी इसी व्यवहार के जरिये खुद को बचा कर रखा है।

अमित ने लॉकडाउन के समय जानवरों को भोजन बांटने का अभियान चलाया। इस सिलसिले में वह अक्सर शहर में निकलते रहे। रंगमंच से जुड़े कार्यक्रमों का हिस्सा भी रहे लेकिन कोविड से बचे रहे। उन्होंने मॉस्क चेहरे से कभी नहीं उतरने दिया। इस समय अमित ने सतर्कता का स्तर और भी बढ़ा दिया है। जब बाजार जाते हैं तो बाईक से उतरने के बाद भी हेलमेट नहीं उतारते हैं। उनका कहना है कि हेलमेट फेस शील्ड का काम करता है।

पिपराईच निवासी पेशे से ट्यूटर विकास कुमार गुप्त ने लॉकडाउन के बाद कुछ घरों में होम ट्यूशन भी पढ़ाना शुरू किया, लेकिन सतर्कता का व्यवहार जारी रखा। जिसके घर भी होम ट्यूशन पढ़ाने गये खुद मॉस्क पहने रखा और बच्चों को भी मॉस्क पहना कर पढ़ाया। हैंड सेनेटाइजर हमेशा पॉकेट में रखते हैं। बच्चों का भी हाथ सेनेटाइज करवाते हैं और बच्चों को खुद से दूर बैठाते हैं। उनका कहना है कि उनके इस सतर्कता के व्यवहार के कारण अभिभावकों में भी आत्मविश्वास पैदा हुआ और उन्होंने कठिन दौर में भी बच्चों का ट्यूशन जारी रखा।

इन नियमों का पालन आवश्यक- दो गज की शारीरिक दूरी का पालन करें। अनावश्यक घर से बाहर न निकलें। मॉस्क का इस्तेमाल करें और भीड़भाड़ में फेसशील्ड भी लगाएं। हाथों को साबुन पानी से 40 सैंकेड तक धोएं या सेनेटाइज करें। खांसते-छींकते समय मॉस्क, कोहनी या टिश्यू पेपर का इस्तेमाल करें। कोविड का लक्षण दिखे तो जांच अवश्य करवाएं। 45 वर्ष से अधिक उम्र के हैं तो कोविड का टीका अवश्य लगवा लें। कोविड टीके की दोनों डोज लगने के बाद भी मॉस्क, शरीरिक दूरी और स्वच्छता के नियमों का पालन करते रहें। सर्दी, जुकाम और बुखार होने पर खुद से दवा न लें। चिकित्सक के परामर्श से ही कदम उठाएं। पौष्टिक भोजन, काढ़े और फलों का सेवन करें। योग व प्राणायाम करें।




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