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Uttar pradesh

यूपी के इन जिलों में दिन रात जल रही हैं चितायें

Posted on: Fri, 07, May 2021 3:54 PM (IST)
यूपी के इन जिलों में दिन रात जल रही हैं चितायें

यूपी डेस्कः उत्तर प्रदेश में कोरोना का कहर बढ़ता ही जा रहा है। अस्पतालों में बेड नहीं मिल रहे हैं। जिन्हें मिल रहे हैं वे ऑक्सीजन की कमी से दम तोड़ रहे हैं। बनारस, गोरखपुर और लखनऊ से लेकर राज्य के लगभग हर अस्पताल में बड़ी संख्या में वेंटिलेटर का संकट है। भाष्कर डॉट कॉम ने 6 जिलों की वास्तविक स्थिति पर फोकस किया है जिसके अनुसार वाराणसी में मरीज सड़कों पर दम तोड़ रहे हैं।

वाराणसी में हालात ये हैं कि सभी अस्पताल कोरोना मरीजों से भर गए हैं। अस्पतालों में बेड के साथ वेंटिलेटर और ऑक्सीजन का संकट भी गहराता जा रहा है। लोग दवाइयों के लिए भी भटक रहे हैं। सरकारी आंकड़ों में यहां कोरोना से जान गंवाने वालों की संख्या हर दिन 10 से 20 होती है, लेकिन इससे उलट श्मशान घाटों और कब्रिस्तानों में लाशों की लंबी लाइन लगी हैं। घाट पर अंतिम संस्कार कराने के लिए वेटिंग लिस्ट तैयार हो रही है। शहर के अंदर के कब्रिस्तान भी फुल हो चुके हैं। अब लोग शहर के बाहरी इलाकों में शवों को दफन कर रहे हैं।

गोरखपुर में रोजाना अस्पतालों की चौखटों पर बेड मिलने के इंतजार में मरीज दम तोड़ रहे हैं। जिले में कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए कुल 1,500 बेड हैं, जिनमें से रोजाना करीब 15 बेड खाली होते हैं। जबकि, भर्ती होने वालों की लिस्ट लंबी होती है। करीब 10 फीसदी मरीजों को वेंटिलेटर वाले बेड की भी जरूरत है। शमशान में लाशें दिन रात जल रही हैं। राजधानी लखनऊ में भले ही नए मरीजों की संख्या कम होने लगी है, लेकिन अस्पतालों और श्मशान घाटों का नजारा पहले की तरह बना हुआ है। जब इसके वीडियो वायरल हुए तो सरकार ने घाटों पर फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी पर ही रोक लगा दी। विवाद बढ़ने के बाद सरकार ने अपना फैसला वापस ले लिया।

कानपुर में भी हालात बेहद खराब हैं। घाट में शव लेकर पहुचे लोगों ने खुद ही शवों की लाइन तय कर ली। 10 बजे या उसके बाद आए कोरोना संक्रमित शवों को और भी ज्यादा इंतजार करना पड़ रहा है। शवों को 10 बजे के बाद अंतिम संस्कार के लिए परिजनों को टोकन लेना होता है। झांसी में भी मौतों के आंकड़ों में हेर-फेर का सरकारी सिस्टम जारी है। यहां हर दिन 5-8 लोगों की मौतें बताई जा रहीं हैं, लेकिन श्मशान घाट और कब्रिस्तानों में एक साथ इससे कहीं ज्यादा शव पहुंच रहे हैं। मतलब हर एक घंटे एक की मौत हो रही है। अंतिम संस्कार के लिए जगह तक नहीं बची है।

नंदनपुरा और बड़ागांव गेट बाहर श्मशान घाट में तो रोज 22 से 30 शव पहुंच रहे हैं। यहां पर रात में भी अंतिम संस्कार किए जा रहे हैं। यहां कोरोना से होने वाली मौतों की संख्या का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जिला प्रशासन ने शहर के मुख्य श्मशान घाट सूरजकुंड और कब्रिस्तानों को लेकर भी सख्ती कर दी है। यहां भीड़ नहीं जुटने दी जा रही है। चिता जलाने के लिए जब प्लेटफार्म कम पड़ गए तो पार्किंग स्थल में भी अंतिम संस्कार किया जा रहा है। सूरजकुंड श्मशान घाट के मुख्य पंडित का कहना है कि प्रत्येक दिन 50 से 55 शव यहां आ रहे हैं जिनमें कोरोना से मरने वाले शव 25 से 30 आ रहे हैं।




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