औचक निरीक्षण में पकड़ी खामी तो मनरेगा मजदूरों ने किया हंगामा
गोलूवाला, राजस्थान (बलविन्द्र खरोलिया) एक सरकारी रिकॉर्ड पर जिम्मेदार अधिकारी टिप्पणी अंकित करता है और फिर हंगामा बरपा जाता है उसी अधिकारी की टिप्पणी उसी सरकारी रिकॉर्ड पर दूसरा अधिकारी आकर बदलवा दे तो इसे व्यवस्था की खामी ही कहा जाएगा। कुछ ऐसा ही यहां कस्बे में सिहागान पंचायत में हुआ। जिसके बाद यह समझ से बाहर हो गया कि जिस अधिकारी ने गफलत पकड़ कर पहले सरकारी रिकॉर्ड में कोई टिप्पणी अंकित की वह अपनी जगह सही था या फिर हंगामा होने के बाद मौके पर पहुंचे पंचायत समिति विकास अधिकारी ने दूसरी टिप्पणी अंकित करवाई वह सही है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार आज राज्य सरकार के आदेश पर जिलेभर में मनरेगा कार्यों का औचक निरीक्षण अल सुबह शुरू हुआ। जिले भर में करीब 20 टीमें बनाई गई थी। 4 टीमों में राज्य स्तरीय अधिकारियों के द्वारा निरीक्षण किया गया। वही 16 टीमें जिला स्तरीय अधिकारियों की बनाकर अलग-अलग जगह मनरेगा कार्यों का निरीक्षण हुआ।
इसी कड़ी में गोलूवाला सिहागान पंचायत में चल रहे मनरेगा कार्यों के लिए निरीक्षण हेतु पीलीबंगा पीडब्ल्यूडी के सहायक अभियंता परमजीत धिगडा और पीलीबंगा पंचायत समिति के कनिष्ठ अभियंता कृष्ण लाल चक 23 जेआरके ए व बी चल रहे मनरेगा कार्यों के हेतु प्रातः करीब 7ः30 बजे पहुंचे। अधिकारियों का कहना था कि उस समय तक दो महिला मेट मोनिका व सुमन और दो अन्य मेट जगदीश कुमार व भूपेंद्र ने मस्टर रोल में हाजिरी श्रमिकों की लगाई हुई नहीं थी। बताया गया कि यहां कुल 5 मस्टरोल चल रहे थे। एई एन परमजीत के आदेश पर कनिष्ठ अभियंता कृष्ण लाल ने समस्त मजदूरों की अनुपस्थिति दर्ज कर दी और उन्होंने आगे निरीक्षण हेतु रवानगी ले ली।
इसी मध्य कृष्ण लाल बीच रास्ते उतरकर पीलीबंगा जाने हेतु गोलूवाला की तरफ आने लगा तो समस्त मजदूरों की अनुपस्थिति लगा दिए जाने से नरेगा श्रमिक आग बबूला हो गए और उन्होंने हंगामा करते हुए पंचायत समिति के कनिष्ठ अभियंता कृष्ण लाल को घेर लिया। बताया गया कि भूपेंद्र कुमार के पास कुल 49 श्रमिक थे जिनमें से 6 की हाजिरी लगी हुई थी जो काट दी गई वही दूसरे मैट जगदीश कुमार के पास 50 श्रमिकों का मस्टरोल था और बकौल अधिकारी जब निरीक्षण किया गया एक भी श्रमिक की हाजिरी अंकित नहीं थी। मेट से हाजिरी अंकित न होने का कारण पूछा गया तो उसने टास्क मापने मैं व्यस्त होने की बात कहते हुए आनाकानी की।
हंगामे की सूचना मिलने पर सिहागान गांव पंचायत से कामरेड जगदीश सारस्वत और गोलूवाला पुलिस थाने से एएसआई मुसे खा मौके पर पहुंचे। काफी देर तक यही घटनाक्रम चलता रहा तमाम तरह के उच्चाधिकारी भी राज्य सरकार के आदेश पर मनरेगा कार्यों का निरीक्षण हेतु फील्ड में थे अतः कोई त्वरित कार्रवाई नहीं हुई। काफी देर बाद पीलीबंगा एसडीएम के आदेश पर पंचायत समिति विकास भारत भूषण मौके पर पहुंचे और दोनों पक्षों की बात सुनी। श्रमिकों ने अधिकारियों पर आरोप लगाए वहीं अधिकारियों ने अपनी कार्रवाई को न्याय संगत बतायाद्यअंत में बीडीओ के आदेश पर मस्टर रोल में उपस्थिति दर्ज कर मामला शांत किया गया।
सही कौन, बीडीओ या निरीक्षण दल के सदस्य
अब यहां एक बड़ा सवाल उभर कर सामने आया कि कार्रवाई में सही कौन है? क्या निरीक्षण दल के सदस्यों ने मस्टरोल जैसे सरकारी रिकॉर्ड में कोई टिप्पणी अंकित करते हुए श्रमिकों की हाजरी शुन्य दिखाई वह सही थी या फिर मौके पर पहुंचे पंचायत समिति विकास अधिकारी भारत भूषण शर्मा ने जिला स्तरीय टीम के एक अधिकारी की रिपोर्ट को गलत ठहराते हुए उसी मस्टरोल पर उसी अधिकारी से श्रमिकों की उपस्थिति दिखलाई वह सही है? आखिर कुछ ही समय के अंतराल पर एक ही सरकारी दस्तावेज पर एक ही अधिकारी द्वारा दो अलग-अलग टिप्पणी अंकित करना क्या सही कहा जाएगा? यह सवाल अभी भी अनुत्तरित बना हुआ है इसी सवाल का जवाब तलाशने के लिए जब हमने पंचायत समिति विकास अधिकारी से सवाल पूछा तो वह बात को घुमाने लगे। उनका कहना था,“कुछ श्रमिक गलत है तो कुछ अधिकारी भी गलत है“अब श्रमिक कैसे गलत है और अधिकारी की उपस्थिति ना दिखाने में क्या रुचि थी इस सवाल का जवाब उनके पास भी नहीं था।