कवि सम्मेलन मुशायरे में सम्मानित हुई विभूतियां
बस्ती। राम रहमान साहित्यिक संस्थान द्वारा प्रेस क्लब सभागार में कवि सम्मेलन, मुषायरे के साथ ही विभिन्न क्षेत्रों में योगदान करने वाले विभूतियों को अंग वस्त्र, प्रमाण-पत्र, शील्ड भेंटकर अध्यक्ष रहमान अली रहमान के संयोजन में सम्मानित किया गया। संस्था के गतिविधियों पर प्रकाश डालते हुये रहमान अली रहमान ने अतिथियों, कवि, शायरों के सम्मुख अपने विचार रखे।
कहा कि साहित्य के माध्यम से समग्र मानवता की सेवा मूल उद्देश्य है। अलीहसन मकरैंडिया द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना ‘विघ्न नाशिनी माता दे दो, हमको भी कुछ ज्ञान, उर में मेरे बस कर मैया करो मेरा कल्याण से आरम्भ कार्यक्रम में विजय प्रकाष श्रीवास्तव ‘सागर गोरखपुरी ने नाते पाक से मुशायरे का आगाज किया। इस अवसर पर संस्था की ओर से अलीहसन मकरैंडिया, सागर गोरखपुरी, डा. रामनरेश मंजुल, एन.एन. श्रीवास्तव ‘बेचैन’ राम किशोर तिवारी, दिनेश चन्द्र पाण्डेय, डा. रमा शर्मा, डा. अफजल हुसैन अफजल को सम्मानित किया गया।
रामकिशोर तिवारी की रचना ‘तुम स्वयं अपना दीपक जलाओ सखे, सो गई चेतना की जगाओ सखे’ को श्रोताओं ने सराहा। अलीहसन मकरैंडिया का गीत ‘मंदिर से मस्जिद से निकलो, गिरजे व गुरूद्वारों से, करो देश की आज हिफाजत भीतर के गद्दारों से, ने मंच को नई दिशा दिया। डा. अफजल हुसेन अफजल के संचालन में अजीत कुमार श्रीवास्तव ‘राज, जगदम्बा प्रसाद भावुक, पं. चन्द्रबली मिश्र, राममणि शुक्ल, चन्द्र मोहन लाल श्रीवास्तव ‘पुजारी’ ने रचनाओं के माध्यम से वर्तमान संगति, विसंगति पर रोषनी डाली।
अध्यक्षता करते हुये वरिश्ठ साहित्यकार डा. रामनरेश सिंह ‘मंजुल’ ने कवि धर्म के सरोकारों पर विस्तार से प्रकाश डाला। मुख्य अतिथि राजेन्द्रनाथ तिवारी ने कहा कि साहिय का अपना लोक धर्म है। कार्यक्रम में राना दिनेश प्रताप सिंह, प्रदीप चन्द्र पाण्डेय, रोहित यादव, विश्वनाथ पाण्डेय आदि ने साहित्यिक परिदृष्य पर विस्तार से चर्चा की। मुख्य रूप से परसुराम यादव, सामईन फारूकी, उमेश सिंह, विष्वनाथ पाण्डेय, सुधीर श्रीवास्तव, दीपक प्रसाद, अनिल श्रीवास्तव के साथ ही बड़ी संख्या में श्रीवास्तव के साथ ही अनेक श्रोता उपस्थित रहे।