भयंकर त्रासदी में चालान से खजाना भरने में जुटी सरकार, 21 दिन में वसूला 86 करोड़ रूपया
लखनऊः महामारी के मद्देनजर स्वास्थ्य सुविधायें मुहैया कराने में प्रदेश सरकार फेल हो रही है। भयंकर त्रासदी में चालान काटकर पुलिस सरकार का खजाना भर रही है। हालात ये है कि सरकार कोविड मरीजों की जान बचाने के लिये मुंह खोलकर जनता से मांग ले तो खजाना भर जायेगा, लेकिन सरकार में पारदर्शिता और इच्छाशक्ति का अभाव है।
कोरोना की पहली लहर में पीएम केयर फंड में अथाह धन आया। लेकिन इससे भारत को महामारी से लड़ने में सक्षम बनाने के लिये संसाधन जुटाने पर नही खर्च किया गया। न सरकार पीएम केयर फंड का हिसाब दे रही है और न ही कोरोना की दूसरी लहर में क्राउड फंडिंग का साहस जुटा पा रही है। इसे सरकार दूसरे रास्ते से पूरा करना चाहती है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि आंशिक लॉकडाउन में इसका उल्लंघन करने वालों से पुलिस अब तक 86 करोड़ रुपए जुर्माना वसूल चुकी है। इसकी जानकारी खुद एडीजी कानून व्यवस्था ने कार्रवाई के आंकड़े जारी करते हुए दी।
24 मार्च 2020 में कोरोना की पहली लहर के दौरान सम्पूर्ण लॉकडाउन लगाया गया और लोगों को घर से बाहर निकलने पर पाबंदी थी। उस वक़्त अप्रैल तक पुलिस ने प्रदेश भर में लॉकडाउन का उल्लंघन करने में 42,359 चालान काटकर 5 करोड़ 87 लाख रुपए जुर्माना वसूला था। इस बार कोरोना के घातक रूप में दस्तक के बाद चारों तरफ हाहाकार मच गया। हर घंटे लोग मर रहे हैं और सरकार उन्हें समय से इलाज देने में नाकाम साबित हो रही है। उल्टे हैरान परेशान जनता से चालान के नाम पर धन वसूल किया जा रहा है। रोज बेवा हो रही हजारों औरतों, यतीम हो रहे बच्चों, और जवान बेटा खोने वालों का सरकार आंसू तो पोछ पा रही है।
चालान का दर्द देकर घाव कुरेदे जा रहे हैं। इस आंशिक लॉकडाउन का उल्लंघन करने के मामले में प्रदेशभर में अब तक 53 लाख, 89 हजार, 83 चालान काटे जा चुके हैं। इस चालान की जद में आने वालों से 86 करोड़ 12 हजार 179 रुपए जुर्माना वसूला गया जो सामान्य तौर पर पुलिस की पूरे साल की कार्रवाई से कई गुना ज्यादा है। जानकारों का कहना है कि सम्पूर्ण लॉकडाउन में जनता की मूलभूत सुविधाओं और जरूरतों की जिम्मेदारी सरकार की होती है। पिछली बार यह व्यवस्था देने में सरकारी अमला फेल रहा, इसलिये इस बार सम्पूर्ण लाकडाउन का फैसला सरकार नही ले पा रही है।