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मजबूत गठबंधन ही ला पायेगा यूपी में सत्ता परिवर्तन

Posted on: Mon, 31, May 2021 9:33 AM (IST)
मजबूत गठबंधन ही ला पायेगा यूपी में सत्ता परिवर्तन

हाल ही में यूपी में हुये पंचायत चुनाव के नतीजों के बाद सपा और कांग्रेस में एक बार फिर गंठबंधन को लेकर बहंस तेज हो गयी है। दरअसल योगी सरकार की लोकप्रियता में इधर कमी आई है, बंगाल चुनाव में योगी का जादू न चलना, कोरोना काल में प्रबंधन को लेकर उठे सवाल, भयंकर बेरोजगारी और कट्टरवाद इसके प्रमुख कारण बताये जा रहे हैं। लेकिन यह भी सच है कि योगी सरकार की लोकप्रियता इतनी कम नही हुई कि बगैर किसी ठोस रणनीति के उसे सत्ता से बेदखल किया जा सके।

मसलन एक मजबूत गठनबंधन ही भाजपा को शिकस्त दे पायेगा। बसपा की साख काफी कम हुई है, इसके दो कारण है, पहला सक्रिय राजनीति में भागीदारी न होना और दूसरा भाजपा से नजदीकियां। ऐसे में एक बार फिर सपा और कांग्रेस के गठबंधन की कयासबाजी शुरू हो गयी है। अगर ऐसा होता है दोनो पाटियों को सीटों के बटवारे को लेकर अलर्ट रहना होगा। इसमें चूक हुई तो नतीजे पिछली बार की तरह फिर उलट आ सकते हैं। हाल में हुए विधानसभा चुनावों में हार के बाद कांग्रेस पर उत्तर प्रदेश में रणनीति बदलने का दबाव बढ़ गया है। पार्टी के अंदरखाने में गठबंधन की मांग तेज हो गई है।

पार्टी नेताओं का मानना है कि वर्ष 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को भाजपा की हराना है तो क्षेत्रीय दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ना होगा। ऐसा नहीं होता है तो पार्टी के लिए सियासी राह आसान नहीं होगी। उत्तर प्रदेश में चुनावी गठबंधन की वकालत करने वाले नेताओं का कहना है कि पांच राज्यों के चुनाव परिणाम से सबक लेना चाहिए। पार्टी को केरल और असम में जीत नहीं मिली, जहां सरकार में वापसी की सबसे ज्यादा उम्मीद थी। ऐसे में उत्तर प्रदेश में अपने दम पर सत्ता में वापसी का सपना छोड़कर हकीकत का सामना करना चाहिए। वेस्ट बंगाल में कांग्रेस तमाम कोशिशों के बावजूद अपना खाता तक नही खोल पाई,, क्योंकि पार्टी हवा के विपरीत चल रही थी।

यूपी में मुस्लिम मतदाता अभी तक अलग-अलग कारणों से अलग-अलग पार्टियों को वोट करते आ रहे हैं। पर बिहार विधानसभा चुनाव के बाद मुस्लिमों के वोट करने के तरीके में बदलाव आया है। पश्चिम बंगाल में मुस्लिम मतदाताओं ने एकजुट होकर एकतरफा वोट डाला। यूपी में भी मुस्लिम मतदाता एकजुट होकर किसी एक पार्टी को वोट दे सकते हैं। इन नेताओं की दलील है कि मतदाता भाजपा के खिलाफ उसी पार्टी को वोट करेंगे जो उसे हरा सकती हो। कांग्रेस फिलहाल इस स्थिति में नहीं है। यूपी में कांग्रेस का सांग्ठनिक ढाचा भी कमजोर है। ऐसे में कांग्रेस को भाजपा विरोधी वोट एकजुट रखने के लिए गठबंधन पर विचार करना चाहिए।

सपा की स्थिति कांग्रेस से काफी अच्छी है। योगी सरकार के विकल्प के रूप में जनता यहां सपा को ही देखती है। लेंकिन अकेले दम पर सपा भी इस स्थिति में नजर नही आती कि बहुमत हासिल कर सके। हालांकि, गठबंधन को लेकर कांग्रेस के कई नेता खिलाफ हैं। उनका कहना है कि वर्ष 2017 के चुनाव में सपा से गठबंधन से पार्टी को नुकसान हुआ है। किसी बड़ी क्षेत्रीय दल के साथ गठबंधन के बजाय छोटे दलों को साथ लेकर सोशल इंजीनियरिंग करनी चाहिए। लेकिन छोटे दल और कांग्रेस दोनो मिलकर संभवतः इस स्थिति में नही आ पायेंगे कि योगी सरकार को चुनाव हरा सकें। कांग्रेस के वष्ठि नेताओं का कहना है कि 2012 के चुनाव में कांग्रेस को 28 सीटों के साथ लगभग 12 फीसदी वोट मिले थे। पर 2017 में सिर्फ छह प्रतिशत मत हासिल हुए। ऐसे में पार्टी को गठबंधन के साथ साथ संगठन को मजबूत बनाने पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए।


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