यूपी में 15 करोड़ गरीब, सरकार बनेगी पालनहार
अशोक श्रीवास्तव की संपादकीय- गरीबी, नाकामी और समय से न्याय न मिलने के कारण लोग आत्महत्या कर रहे हैं। विगत 7 सालों में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार यह नही तय कर पाई है कि देश में गरीबों की संख्या कितनी है। केन्द्र सरकार कहती है देश के 80 प्रतिशत गरीबों को मुफ्त राशन दिया जा रहा है तो वहीं उत्तर प्रदेश की योगी सरकार 15 करोड लोगों को होली तक मुफ्त राशन दिये जाने की घोषणा कर चुनावी साल में वाहवाही लूट रही है।
ये घोषणायें और जुमले मुट्ठी भर जनता और तमाम कार्यकर्ताओं को खुशी दे सकती हैं लेकिन इससे तस्वीर बदलने वाली नही है। बुनियादी सुविधाओं को मजबूत करने और बुनियादी जरूरतों को पारदर्शी तरीके से जनता तक पहुंचाने में सरकारें बुरी तरह नाकाम रही हैं। धर्म जाति और आतंकवाद के नाम पर केवल जनता के साथ छल किया जा रहा है। अपनी साख मजबूत करने के लिये भाजपा पानी की तरह पैसा बहा रही है। लेकिन एक बड़ा तबका पार्टी से नाराज है और परिवर्तन के मूड मे है। प्रबुद्धजनों से बात की जाये तो यह बात निकल कर सामने आती है कि भाजपा ने सत्ता के अहंकार और जाति धर्म और कथित आतंकवाद की आड़ में देश को कई दशक पीछे छोड़ दिया है। इसकी भरपाई करने में काफी वक्त लगेगा।
मुख्यमंत्री की घोषणा का मतलब ये है कि प्रदेश में 15 करोड़ लोग गरीब हैं, कुल संख्या करीब 23 करोड़ है। 8 करोड़ लोगों में मध्यमवर्ग और अमीर हैं। यही आंकड़ा देश का भी है। इन्ही गरीबों के बीच उत्तर प्रदेश के सभी जिलों में स्वनिधि दीप उत्सवों के आयोजन हो रहे हैं। प्रधानमंत्री ने केदारनाथ का दर्शन किया। इसका लाइव प्रसारण पूरे देश को दिखाया गया। भारीभरकम धनराशि खर्च हुई। ये कहां से आया, किसका पैसा है, क्या सरकारी धन से ये कार्यक्रम आयोजित किये गये, यदि हां तो क्यों, प्रधानमंत्री मंदिर गये दर्शन पूजन किये तो देश की जनता का इससे क्या लेनादेना ? और यदि ये कार्यक्रम जनता या नेताओं के पैसे से आयोजत हुये तो उनके पास ऐसे मदों में खर्च करने के लिये धन कहां से आता है ? ऐसे अनेक सवाल जनता के बीच तैर रहे हैं। इनके जवाब नेताओं और अफसरों के पास नही हैं लेकिन जनता अपने तरीके से जवाब के लिये तैयार हो रही है।