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स्कूल चलो अभियान-अफसरों से जरूर पूछिये ये सवाल

Posted on: Mon, 04, Apr 2022 3:24 PM (IST)
स्कूल चलो अभियान-अफसरों से जरूर पूछिये ये सवाल

बस्तीः मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती जिले से आज स्कूल चलो अभियान की शुरूआत की, कहा जनप्रतिनिधि विद्यालयों को गोद लें और इसे सोलर पैनल तथा पुस्तकालय से लैस करें। इसी के साथ हर जिले में स्कूल चलो अभियान को अधिकारियों ने हरी झण्डी दिखाकर रवाना किया। अजीब बिडम्बना है, परिषदीय स्कूलों के खास्तााल होने के जिम्मेदार ही स्कूल की बेहतरी के प्रयास कर रहे हैं।

नतीजा कितना सुखद होगा, आप अंदाजा लगा सकते हैं। दरअसल स्कूल चलो अभियान को हरी झण्डी दिखाने वाले अफसरों और माननीयों से यह सवाल पूछा जाना चाहिये क्या उनके बच्चे सरकारी स्कूलों में जाते हैं ? हालांकि ये सवाल उन्हे विचलित कर देंगे या फिर वे झण्डी रखकर घर चले जायेंगे। सभी जानते हैं कि यदि अफसरों और माननीयों ने अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में भेजा होता तो उत्तर प्रदेश की प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था इतनी खस्ताहाल न होती। धन्य हैं ये अफसर और इनका ज़मीर। अपने बच्चों को शहर के टॉप कानवेन्ट स्कूल में भेजते हैं और आपसे बच्चों को सरकारी स्कूल में भेजने को कहते हैं।

हालांकि सभी सरकारी स्कूल खस्ताहाल नही हैं, इनमे कई ऐसे हैं जो कानवेन्ट स्कूलों के कान काट रहे हैं, लेकिन इसमे अफसरों या माननीयों की प्रेरणा नही है बल्कि वे अपनी जिम्मेदारी समझते हैं और भीड़ से अलग होकर अपनी पहचान अना रहे हैं। ऐसे स्कूलों की संख्या उंगलियों पर गिनी जा सकती है। जनता को अफसरों और माननीयों से ये सवाल जरूर पूछना चाहिये क्या उनके बच्चे सरकारी स्कूलों में जाते हैं ? पूछकर देखिये उनके चेहरों की भाव भंगिमा देखने लायक रहेगी। फिलहाल आज मुख्यमंत्री ने एक नया शिगूफा छोड़ा है।

उन्होने जनप्रतिनिधियों से स्कूलों को गोद लेने की बात कही है। निश्चित रूप से स्कूलों को गोद लेने वालों की होड़ लगेगी। उसी तरह जैसे प्रधानमंत्री की अपील पर गावों को गोद लेने वालों की होड़ लगी थी। अनेकों गांव गोद लिये गये, लेकिन अपवाद छोड़ दिये जायें तो तस्वीर नही बदली। बस्ती में तो फिलहाल ऐसे गांव नही हैं जो माननीयों के गोद लेने से चतक गये हों। प्रधानमंत्री की इस अपील का क्या हस्र हुआ है सभी को मालूम है, अब मुख्यमंत्री की अपील क्या नतीजे लेकर आयेगी, इसे आगे देखना होगा। फिलहाल अगर ऐसा होता है और परिषदीय स्कूलों की दशा सुधारने के लिये जमीनी प्रयास होते हैं तो इसका स्वागत किया जाना चाहिये। इस दिशा में प्रयास करने वालों को हमारी ओर से ढेर सारी शुभकामनायें।


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