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गोडसे होना आसान हैं, गांधी बिरले ही होते हैं

Posted on: Sat, 02, Oct 2021 10:27 AM (IST)
गोडसे होना आसान हैं, गांधी बिरले ही होते हैं

बस्तीः (संपादकीय) आज मां भारती के दो अमर सपूतों का जन्मदिन हैं। एक महात्मा गांधी और दूसरे लाल बहादुर शास्त्री। ये व्यक्तित्व के धनी थे। दोनो महान विभूतियों ने देश को जो संदेश दिया, जिस प्रकार के कार्य किये वह हजारों साल तक भारत का मार्गदर्शन करेंगे। ये कठिन रास्तों पर चले थे। गोधीजी ने जहां दुनिया को सत्य अहिंसा का संदेश दिया वहीं लाल बहादुर शास्त्री ने प्रधानमंत्री होते हुये भी अपने इर्द गिर्द अहंकार को पनपने नही दिया।

सरलता, सादगी का ऐसा दूसरा उदाहरण नही मिलता है। लाखों करोड़ों देशवासी स्वतंत्रता आन्दोलन में गांधीजी की एक आवाज पर देश के लिये कुछ भी करने को तैयार रहते थे। इतने ताकतवर व्यक्ति ने कभी हिंसा का सहारा नही लिया। वे चाहते तो आन्दोलन को हिंसक बना सकते थे, सभव था आजादी कुछ समय पहले मिल सकती थी। लेकिन ऐसा होता तो आज गांधी दुनियां के लिये एक सबक नही होते। कई दशक बाद भी गांधीजी के विचार अमर हैं और देश दुनिया को रास्ता दिखा रहे हैं। ये देश अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता वाला देश है।

आज लोग गोडसे को भी पूज रहे हैं, जिसने गांधी जैसे विराट व्यक्तित्व की निर्मम हत्या की थी। विचारों की स्वतंत्रता वाले देश में कोई किसी को आदर दे सकता है और किसी से नफरत कर सकता है लेकिन हैरानी तब होती है जब लोग गांधी को पूजते हैं और गोडसे को भी। वे खुद भ्रम में हैं और देश की जनता को भी गुमराह कर रहे हैं। अच्छा होता वे किसी एक की विचारधारा को अपनाते और उसका पोषण करते। कम से कम ये तो मालूम होता कि किस विचारधारा के कितने समर्थक हैं। इतना याद रहना चाहिये, गोडसे होना बहुत आसान हैं गांधी कोई दूसरा नही हुआ। फिलहाल आज दोनो महान विभूतियों को देश याद कर रहा है। हम भी श्रद्धानवत हैं।


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