• Subscribe Us

logo
16 अप्रैल 2024
16 अप्रैल 2024

विज्ञापन
मीडिया दस्तक में आप का स्वागत है।
समाचार > संपादकीय

किसके पास है जिला पंचायत की ‘मास्टर चाबी’

Posted on: Tue, 03, Aug 2021 11:30 AM (IST)
किसके पास है जिला पंचायत की ‘मास्टर चाबी’

बस्तीः जिला पंचायत एक ऐसी संस्था है जिसके द्वारा कराये गये विकास कार्य जनता को दिखाई नही देते। करोड़ों अरबों का बजट आता है लेकिन अधिकांश विकास कार्य कागजों में होते हैं। शहरी क्षेत्र में कहीं भी निर्माण हो रहा हो किसी से पूछा जाये तो पता चल जायेगा कि नगरपालिका या दूसरी कोई संस्था इसका निर्माण करवा रही है। लेकिन जिला पंचायत के बारे में इतनी जानकारी किसी को नही रहती।

खास तौर से पिछले 5 सालों में कितने विकास कार्य हुये, कहां कराये गये इसकी जानकारी केवल उन्ही को होगी जिन्होने बजट खर्च किया होगा और अभिलेख दुरूस्त किया होगा। अनेक ऐसे कार्य कराये गये हैं जो जरूरी नही थे। ग्रामीण क्षेत्रों में अनेकों पुलिया ऐसी देखने को मिलेगी जिकस न तो कोई एप्रोच है और न वह किसी गावं या रास्ते को जोड़ती है। आप खुद हैरान हो जायेंगे देखकर आखिर ये पुलिया यहां क्यों बनी है। एक लाख में उसकी छत बनती है और सरकारी बजट से 10 लाख ऐंठ लिया जाता है। पिछले कार्यकाल में कोई अफसर या जनप्रतिनिधि विरोध में आवाज उठाने का साहस नही जुटा पाया।

मौजूदा हालात भी ऐसे ही हैं। एक कुनबे के लोग चारों ओर फैले हैं, विरोध में उठने वाली आवाज दबा दी जायेगी। पंचायत चुनाव के बाद जिला पंचायत को नया किरदार मिल चुका है लेकिन कुछ खास अंतर नही दिख रहा है। सबकुछ पहले जैसा ही दिख रहा है। नये अध्यक्ष ने दो मीडिया प्रभारी और एक प्रतिनिधि भी नियुक्त किया है जो विज्ञप्तियों से अखबारों का पेट भरते रहेंगे और विकास का डंका बजता रहेगा। सूत्रों की माने तो जिला पंचायत की ‘मास्टर की’ फिर उसी के हाथ में पहुंच गयी जिसके हाथ में पिछले 5 सालों से थी। दरअसल जो भारी भरकम धनराशि खर्च करके यह महत्वपूर्ण पद हासिल किया गया है उसकी भरपाई करनी होगी। लाख दो लाख की बात है नही, बात करोड़ों की है, इसलिये इसमे वक्त लगेगा। शासन से जारी बजट से नोचकर एक एक पैसे की भरपाई जब तक नही हो जाती, मास्टर की वहीं रहेगी। अति करीबियों की माने तो दो साल का वक्त लग जायेगा मूलधन वापस लाने में।

इसके बाद तीन साल बचेगा जिसमे विधानसभा और नगरपालिका चुनाव भी होंगे। पार्टी ने पद दिया है प्रतिष्ठा दी है तो उसकी उम्मीदों पर खरा उतरने के लिये प्रत्याशियों के प्रचार प्रसार पर धन खर्च करना होगा। फिर दो साल तक इसकी रिकवरी होगी। बचेगा एक साल। लोग बता रहे हैं कमीशन काटकर यह पूरा साल विकास को समर्पित होगा। इसमें भी खुद अगला चुनाव लड़ने के लिये धन संग्रह करना होगा। इतनी जिम्मेदारियां निभाते हुये जो धन बचेगा उससे विकास कार्य होंगे और वह जनता को दिखाई देंगे। खैर इस बीच न तो कुर्सी डगमगाने का डर है और न ही अंदर की बात बाहर जाने का। दो मीडिया प्रभारी, एक प्रतिनिधि व आधा दर्जन से ज्यादा उम्रदराज अनुभवी सलाहकार इस पर परदा डालने का काम करेंगे। इस पूरे मामले में असली कलाकार वो है जो किरदार बदलने के बाद भी इतना प्रभावी है कि ‘मास्टर की’ आज भी उसी के हाथ में है।


ब्रेकिंग न्यूज
UTTAR PRADESH - Basti: मामूली बात को लेकर भतीजे ने चाचा को मार डाला पैकोलिया सेल्समैन लूटकांड का खुलासा, नगदी बरामद जिला पंचायत सदस्य की पत्नी का शव फंदे से लटकता मिला लखीमपुर से ट्रैक्टर चुराकर भागे, बस्ती में पकड़े गये पत्रकारों के फलाहार कार्यक्रम में बोले राजेन्द्रनाथ तिवारी, बस्ती का महत्व समझें ‘आप’ ने दिया इण्डिया गठबंधन प्रत्याशी राम प्रसाद चौधरी को समर्थन ईद मिलन समारोह में दिया भाईचारे का संदेश Lucknow: ऑनरकिलिंग : बाप ने हंसिया से हमला कर बेटी को मार डाला