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प्रशासनिक हनक और धनबल से दब गया ऐश्प्रा ज्वैलर्स द्वारा की गयी ठगी का मामला

Posted on: Fri, 08, Oct 2021 10:18 AM (IST)
प्रशासनिक हनक और धनबल से दब गया ऐश्प्रा ज्वैलर्स द्वारा की गयी ठगी का मामला

पीड़ितों को न्याय न मिले या न्याय मिलने में बहुत ज्यादा वक्त बीत जाये तो समझ लेना चाहिये देश में बहुत कुछ ठीक ठाक नही चल रहा है। ऐसे में जनता या पीड़ित के मन में कुंठा आती है वह जिम्मेदारों को कोसता है और कई बार खौफनाक कदम भी उठा लेता है। समय से न्याय न मिलना अथवा धनबल या ऊंची रसूख के दम पर पीड़ित की आवाज को दबा देना 50 फीसदी अपराधों की वजह है। देखा जाये तो प्रशासनिक अधिकारियों को जनता से ढेर सारी उम्मीदें रहती हैं, वे दबाव बनाने के लिये समय समय पर गाइडलाइन भी जारी करते हैं लेकिन उनके लिये कोई गाइडलाइन होगी ये वे भूल जाते हैं। बस्ती जनपद मुख्यालय पर कुछ दिनों पूर्व एक घटना हम याद दिलाने चाहते हैं जिसमे धनबल और प्रशासनिक हनक में पीड़ित की आवाज दबा दी गयी। जबकि वह सामान्य व्यक्ति नही बल्कि एक भूतपूर्व सैनिक है। दरअसल 04 सितम्बर 2021 को लालगंज थाना क्षेत्र के रोवागोवा निवासी गंगा यादव ने आभूषणों की खरीद फरोख़्त के मामले में जाने माने प्रतिष्ठान ऐश्प्रा ज्वैलर्स से कुछ खरीददारी की। उन्हे कुछ ठगी की आशंका हुई, शिकायत की तो घटतौली सामने आई। बाट माप विभाग ने इसकी पुष्टि भी की। इस मामले में न्याय पाने के लिये शिकायतकर्ता ने जिलाधिकारी व एसपी को प्रार्थना पत्र देकर सुसंगत धाराओं में मुकदमा दर्ज कराने की सिफारिश की थी।

पीड़ित की माने तो जिलाधिकारी ने मामले में कार्यवाही का भरोसा दिलाकर 24 घण्टे शांत रहने को कहा था। ये समय कार्यवाही के लिये था या फिर मामले को ठंडे बस्ते में डालने के लिये था नही मालूम। लेकिन अभी तक न्याय न मिलने से पीड़ित सहित जनपदवासियों को भी समझ में आ गया है कि शिकायतकर्ता को शांत रहने के लिये क्यों कहा गया था। फिलहाल जाने माने ब्राण्ड की साख का सवाल था, सभी तथाकथित मीडिया संस्थानों को भारीभरकम विज्ञापन देकर उनका मुंह बंद करा दिया गया। पीड़ित का पक्ष कहीं एक लाइन छपने नही पाया।

दूसरी ओर शहरी क्षेत्र में विज्ञापन और होर्डिंग में पानी की तरह पैसा खर्च किया गया। संभव है कि प्रशासनिक अधिकारी भी मैनेज किये गये हों। कुछ मीडिया सस्थान पीड़ित के पक्ष में खड़े नजर आये थे, देर सबेर वे भी मैनेज हो गये। फिलहाल पीड़ित को न्याय नही मिला। उसका शिकायती पत्र रद्दी की टोकरी में डाल दिया गया। ऐसे अनेकों मामले सामने आते हैं जो सवाल बनकर रह जाते हैं। सवाल ये है गंगा यादव जैसे कितने ग्राहकों के साथ घटतौली हुई होगी, उन्हे कितना नुकसान और ऐश्प्रा ज्वैलर्स को कितना फायदा हुआ होगा।

क्या यही लॉ एण्ड ऑर्डर है कि पीड़ित चीख चिल्लाकर रह जाये और प्रशासनिक हनक तथा धनबल से उसकी आवाज दबा दी जाये। जब जब गंगा यादव जैयसे लोग ठगे जायेंगे तब तब ऐसे सवाल उठेंगे। प्रशासनिक अधिकारियों को चाहिये वे जनता के बीच अपनी साख बनाकर रखें। याद रहे बात चाहे कानून व्यवस्था की या फिर सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक बुराइयों की इसमें 50 फीसदी हिस्सेदारी और जवाबदेही आपकी भी है, हर बात के लिये सिर्फ जनता ही जिम्मेदार नही है। आप जो उम्मीदें जनता से करते हैं उससे पहले फुर्सत में कभी सोच लिया करें कि जनता आपसे क्या उम्मीद करती है।


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