प्रशासन लड़ रहा है जिला पंचायत का चुनाव
बस्तीः जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिये शनिवार को परचा दाखिल किया जायेगा। बस्ती जनपद का चुनाव बड़ा ही रोचक है। भाजपा ने पुराने और जमीनी कार्यकर्ता संजय चौधरी को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। खास बात ये है कि यहां 43 जिला पंचायत सदस्यों में सत्तारूढ़ भाजपा के केवल 9 सदस्य हैं। फिर भी संजय का अध्यक्ष बनना तय माना जा रहा है।
सामने से समाजवादी पार्टी ने विरेन्द्र चौधरी को प्रत्याशी बनाया है। उनकी हार तय है क्योंकि प्रशासन भाजपा के साथ है। जीत पक्की होते हुये भी भाजपा नेताओं ने चुनाव को प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया है और येन केन प्रकारेण संजय को निर्विरोध अध्यक्ष बनवाना चाहते हैं जिससे पार्टी में उनकी हनक कायम हो और जिले की राजनीति में विरोध में उठ रही आवाजों को दबाया जा सके। पूर्व के चुनावों की भांति प्रशासन ने सपा उम्मीदवार और उनके समर्थकों पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है।
उद्देश्य वहीं जो नेताओं का है, कि विपक्ष से कोई परचा न दाखिल होने पाये। अपना घटिया चरित्र दिखाते हुये प्रशासनिक अमला जेसीबी लेकर सपा अध्यक्ष के बड़े भाई जीतेन्द्र यादव का सिविल लाइन स्थित मकान गिराने पहुंच गया। दूसरी ओर सपा की ओर से प्रत्याशी घोषित किये गये वीरेन्द्र चौधरी के आवास और भठ्ठे पर आबकारी, खनन, श्रम विभाग के साथ पुलिस विभाग ने घेरेबंदी कर गहन जांच-पड़ताल की। दोनो जगह सपा नेता जमे रहे। सपा के पास सदस्यों की संख्या 16 है। राजनीतिक समीकरण किसी भी दशा में भाजपा के पक्ष में नही है।
लेकिन यह सभी मानते हैं कि जिला पंचायत और ब्लाक प्रमुखों के चुनाव बाहुबलियों और धनाढ्यों के होते हैं, आम आदमी की इसमे कोई जगह नही है। भारी भरकम रूपया खर्च कर लोग पद हासिल करते हैं उसके बाद 5 साल मनमानी करते हैं कोई चू चपड़ नही कर पाता। जिला पंचायत सदस्य भी मौके का फायदा उठाकर अपना उल्लू सीधा कर लेते हैं। नाम न छापने की शर्त पर कई लोगों ने बताया कि वे कितना भी कोशिश करें स्थिति सुधरने वाली नही है, इससे अच्छा ताकतवर के साथ खड़े रहो और सिर्फ अपना भला देखो। मजे की बात ये है कि खुद को इमानदार और संवेदनशील कहने वाले विधायक और कद्दावर लोगों ने भी चुप रहने में अपना फायदा समझ लिया है।