कांटों का ताज है बस्ती नगरपालिका

बस्ती, 16 मई। नगरपालिका अध्यक्ष पद पर समाजवादी पार्टी के अंकुर वर्मा की पत्नी नेहा वर्मा की बम्पर जीत हुई है। उनकी लोकप्रियता के आगे भाजपाई चित हो गये, कोई समीकरण काम नही आया। यहां तक मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री भी वोट मांगने पहुंचे लेकिन हवा का रूख नही बदल पाये। चुनाव जीतने के बाद यह चर्चा जोरों पर है कि नेहा वर्मा की जितनी बम्पर जीत हुई है, उनके सामने चुनौतियां भी बम्पर हैं।
आने वाले दिनों में बहुत सोच समझकर उन्हे फैसले लेने होंगे और शहरी क्षेत्र के विकास को गति देनी होगी। भाजपा के सिम्बल पर चुनाव जीते सभासदों की संख्या भी कम नही है। ऐसे में उन्हे तमाम विरोधों का भी सामना करना पड़ेगा। शहरी क्षेत्र की बदहाली और मानक विपरीत विकास कार्य कराये जाने पर हल्ला मचाने वालों का खेमा भी तैयार है। बजट हिसाब भी मांगने की तैयारी है। शहरी क्षेत्र की बदहाली किसी से छिपी नही है। रेलवे स्टेशन से लेकर अमहट तक रोड और स्ट्रीट लाइटें 60 फीसदी से ज्यादा खराब हैं। नालियां ऐसे चोक हैं जैसे लगता है वर्षों से साफ नही हुईं। डिवाइडर खत्म होते जा रहे हैं। बिजली के तारों का मकड़जाल एक बड़ी समस्या है।
बंदरों और छुट्टा जानवरों की समस्या से हर कोई प्रभावित है। वेण्डिंग जोन निष्क्रिय हैं। जाम से रोजाना जूझना पड़ता है। अतिक्रमण ऐसा है कि सड़क की पटरियां विलुप्त हो गई हैं। मेडिकल कचरे का उचित प्रबंधन नही है। पार्कों की बात करें तो पूरा शहर वीरान दिखता है। अमहट पर वर्षों से निर्माणाधीन पार्क कई सवाल खड़े करता है। आवास विकास, शिवा कालोनी और कटेश्वर पार्क की कितनी उपयोगिता रह गयी है सभी जानते हैं। नगरपालिका क्षेत्र की दुकानों का कई गुना किराया बढ़ाने पर व्यापारियों में जो नाराजगी है उसका भी सामना करना होगा। वाटर कूलर खराब पड़े हैं।
ब्लाक रोड़ धर्मशाला रोड और मालवीय रोड जैसी दर्जन भर गड्ढों में तब्दील सड़के, यूरिनल गंदगी के कारण उपयोग के लायक नही हैं। नगरपालिका को लूटकर पिछले 5 सालों में रेगिस्तान बना दिया गया है। घाटा पूरा करते हुये नगरपालिका की आय कैसे बढ़ाई जाये इस पर एक पुख्ता रोडमैप बनाना होगा। नगरपालिका में कर्मचारियों की संख्या भी जरूरत से ज्यादा है। आमदनी अठन्नी खर्चा रूपइया वाली बात नगरपालिका पर सटीक बैठती है। कर्मचारियों को आये दिन वेतन के लिये आन्दोलन करना पड़ता है। तमाम प्रयासों के बावजूद नगरपालिका क्षेत्र में अधोमानक वाली पॉलीथीन का धड़ल्ले से इस्तेमाल हो रहा है।
ऐसी अनेक समस्यायें हैं जिनका ठोस समाधान निकालना होगा। चूंकि जनता ने नेहा वर्मा पर भरपूर विश्वास जताया है इसलिये उम्मीदें भी ज्यादा होंगी। चापलूसों से बचना होगा और बगैर किसी भेदभाव के फैसले लागू करने होंगे। वरासत तथा जन्म मृत्यु प्रमाण पत्र के लिये नगरवासियों को दफ्तर के चक्कर काटने पड़ते हैं, बगैर सुविधाशुल्क के काम भी नही होते। इन सबके बीच से विकास का रास्ता बनाना होगा, जो पार्षदों को संतुष्ट रखे, तथा ठेकेदारों की मनमानी को भी काबू रखे। समाजवादी पार्टी में रहते हुये नेहा वर्मा विकास योजनाओं को धरातल पर कितना उतार पायेंगी या फिर सरकार से बजट लाने में कितनी सफल होंगी यह वक्त बतायेगा। जनता यह भी देखना चाहती है कि नगरपालिका को नेहा वर्मा चलायेंगी या फिर सबकुछ प्रतिनिधियों के भरोसे होगा।