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जाति का जंजाल

Posted on: Mon, 28, Dec 2020 1:18 PM (IST)
जाति का जंजाल

अशोक श्रीवास्तव की संपादकीयः कोर्ट के आदेश पर ही सही, उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने अच्छी पहल की है। जाति का बोर्ड लगाकर संचालित किये जा रहे वाहनों का एमवी एक्ट की धारा 177 के तहत चालान किया जा रहा है। इससे देश और समाज को जातियों के आधार पर बांटने वालों को सबक मिलेगी। अब लोगों की जातिगत भावनाओं से ऊपर उठकर सोचने की आदत बनेगी।

वैसे भी मानवधर्म सबसे बड़ा है, इससे बढ़कर कुछ कुछ भी नहीं। सड़क हादसे में जब कोई चोटिल दर्द से कराह रहा होता है तो आप जाति पूढकर उसकी मदद को नही जाते, बल्कि आपके भीतर की मानवता ऐसा करने को विवश करती है। आमतौर पर लोग अपनी गाड़ियों के नेमप्लेट पर जाट, यादव, गुर्जर, क्षत्रिय, चित्रांश, राजपूत, पंडित, मौर्य जैसे जाति-सूचक नाम लिखवा कर चलते हैं। लेकिन, अब ऐसा करने वालों पर सरकार सख्त कार्रवाई करेगी। सरकार और अदालत की ये पहल सराहनीय है। लेकिन अधूरे मन से किये गये प्रयासों के परिणाम भी अधूरे ही रह जाते हैं, इसलिये समाज से कोई बुराई खत्म करनी है तो इसके लिये ठोस व निर्णायक कदम उठाने होंगे।

इसी फैसले के साथ जाति आधारित संगठनों पर तत्काल रोक लगानी चाहिये। यहीं से जातिगत भावनायें जन्म लेती हैं, अहंकारी बनाती हैं और अपनी जातियों का येन केन प्रकारेण प्रदर्शन कर लोग भीड़ से खुद को अनग करने के लिये वाहनों के ऊपर भी अपनी जाति लिखा लेते हैं। समाज को सही रास्ते पर ले जाना है, जातिगत आधारों पर विकसित हो रही सोच को लगाम देनी है तो बगैर जातिगत संगठनों पर रोक लगाये केवल वाहनों का चालान करना आधा अधूरा प्रयास होगा। ठीक उसी तरह जैसे मानके विपरीत पर्यावरण को नुकसान पहंचाने वाली पालीथीन के निर्माण, बिक्री और भण्डारण पर रोक लगा।

अब पॉलीथीन का स्टाक रखने वाले व्यापारी और पटरी व्यवसाई इसका पालन न करने पर सजा पा रहे हैं और कारखानों में प्रतिबन्धित पॉलीथीन धड़ल्ले से बन रही है। ऐसे ही प्रयासों को आधा अधूरा प्रयास कहते हैं। लगे हाथ सरकार ने जातिगत संगठनों पर भी लगाम कसा होता तो इसके पूरे नतीजे आते और समाज में वाकई बदलाव दिखाई पड़ता। हालांकि साल 2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान यह गाइडलाइन जारी हुई थी कि जातिगत कार्यक्रमों के आयोजनों को अनुमति नही होगी लेकिन यह निर्णय महज चुनावी साबित हुआ। बेहतर होगा इस दिशा में और अच्छे प्रयास किये जायें और समाज से जातिवाद का जहर निकालने का पूरे मन से प्रयास हो। इस साहसिक फैसले का समाज को अंतजार रहेगा।


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