पैसा लेकर ज़मीर बेंच देते हैं अफसर
अजीब विडंबना है इस देश की न्यायपालिका की। इस देश की बहुत बड़ी आबादी आज भी अनपढ़ है। इसका फायदा इस देश की कार्यपालिका एवं न्यायपालिका उठाती है। बस्ती कोतवाली थाना क्षेत्र के खीरीघाट निवासी गरीब अनपढ़ बेचन पुत्र स्वर्गीय अशरफी जाति से राजभर है, खीरीघाट में गाटा संख्या 279 स्व. अशर्फी के नाम से दर्ज है। बेचन अशर्फी का पुत्र है। इस जमीन पर सब्जी खेती करके घर का खर्च चलाता है।
ये उसकी पुश्तैनी जमीन है। बेचन के पिता अशर्फी एवं गज्ज़र सगे भाई थे, जो मर गए। उनके मरने के बाद उनकी जमीन पर इस गांव के दबंगों की गिद्ध नगर गड़ गई और जबरदस्ती कब्जा करने की उनकी नियत बन गई। इन दबंगों ने न्यायपालिका से अपने पक्ष में गलत फैसला भी करा लिया। अब पुलिस और राजस्वकर्मियों को अपने मिलाकर अवैध कब्जा कराने का प्रयास कर रहे हैं। विडंबना यह है कि अशर्फी और गजजर के नाम जो जमीन थी उसमें चकबंदी में कटौती हुई थी और उसी कटौती के चक में चंद्रभान सिंह पुत्र जयराम सिंह ने दबंग प्रधान पति से मिलकर अपने बैनाम की जमीन जो दूसरी जगह थी।
उड़ान चक के आधार पर चढ़वा लिया। अशर्फी को जब पता चला तो उसने अपील दाखिल की। अपील गुण दोष के आधार पर 26.06.11 का निर्णीत हुई। उसमें अशर्फी के चक को आबादी के आधार पर बाहर कर दिया गया और मुख्य राजस्व अधिकारी ने भी 12.6.18 को अशर्फी आदि के पक्ष में अपना फैसला दे दिया, जो न्याय के पक्ष में था। इसका अमलदरामद भी हो गया। हद तो तब हो गई जब चकबंदी अधिकारी ने बंदोबस्त अधिकारी चकबंदी एवं मुख्य राजस्व अधिकारी के आदेश को दरकिनार करते हुए उनके आदेशों को वापस लेकर अमलदरामद कर दिया।
इस दौरान अशर्फी एवं गज्जर भी मर गये। बच्चों को इसकी जानकारी नही थी। मेरे हस्तक्षेप से उन्हे यह जानकारी हुई। पूरी जानकारी लेने के बाद मैं हैरान हूं कि बस्ती जिले के न्याय में कितना बड़ा दोष है। जिम्मेदारों को बताने के बाद भी उन्हे इल्म नहीं है। बताया गया कि अधिकारी का रूपष्ट आदेश है कि अवैध निर्माण रोका जाए। लेकिन इसका पालन कराने की बजाय उन्होंने अवैध निर्माण कराने में सहयोग दिया। ना जाने कितना पैसा लेकर ये सब अपना जमीर बेंच देते हैं। (लेखक आनंद राजपाल बस्ती कोतवाली क्षेत्र के खीरीघाट निवासी व्यापारी नेता हैं।