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05 मई 2024
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केजरीवाल की गिरफ्तारी, इलेक्टोरल बाण्ड कहीं आखिरी कील तो नहीं......

Posted on: Sun, 24, Mar 2024 4:59 PM (IST)
केजरीवाल की गिरफ्तारी, इलेक्टोरल बाण्ड कहीं आखिरी कील तो नहीं......

पूरे देश में सत्तारूढ़ भाजपा की हालत खराब है। इलेक्टोरल बाण्ड ने भाजपा की बैण्ड बजा दी है। सोशल मीडिया से लेकर सड़क तक हर जगह भाजपा के चाल, चरित्र, चेहरे की आलोचना हो रही है। स्विस बैंक से पैसा वापस लाने का वादा कर सत्ता में आई भाजपा की कथनी करनी में इतना बड़ा अंतर दिखा कि उसे अपने ही बैंक खाते छिपाने पड़े। सुप्रीम कोर्ट ने जब एसबीआई को फटकार लगाई तो सरकार के मुखिया खुद उसकी ढाल बनकर खड़े हो गये।

भला हो सीजेआई का जिन्हे देश के सबसे बड़े लूटकांड का अंदाजा हो गया था और उन्होने आखिरकार एसबीआई के हलक में हाथ डालकर इलेक्टोरल बाण्ड का सारा डाटा चुनाव आयोग को देने को मजबूर कर दिया। अब ईसी की वेबसाइट पर डाटा लोड होने के बाद भाजपा बिलकुल निर्वस्त्र हो गई। परत दर परत भाजपा की लूट उजागर होती गई। पूरा देश जान गया कि किस तरह से भारतीय जनता पार्टी ने चुनावी चंदा लेकर जनता की गाढ़ी कमाई उद्योगपतियों पर लुटाया है।

सीबीआई, ईडी और आयकर विभाग जैसी केंद्रीय एजेंसियों की जांच का सामना कर रहीं 41 कंपनियों ने चुनावी बॉन्ड के जरिए भाजपा को 2,471 करोड़ रुपये दिए। कम से कम 30 शेल (मुखौटा) कंपनियों ने 143 करोड़ रुपये से अधिक के चुनावी बॉन्ड खरीदे। उन्होंने कहा कि 33 समूहों, जिन्हें सरकार से 172 प्रमुख कॉन्ट्रेक और परियोजना की मंजूरी मिली है, ने भी चुनावी बॉन्ड के माध्यम से दान दिया है। पाकिस्तानी कम्पनी से भी चंदा लिया। इतना ही नही गाय को माता बताकर वोट खींचने वाली भाजपा ने बीफ का कारोबार करने वाली कम्पनी से भी चंदा लिया।

हैरानी तब ज्यादा होती है जब मामूली लाभ कमाने वाली कम्पनियों ने भी भाजपा को करोड़ों का चंदा दिया। इन कम्पनियों ने या तो जांच के डर से चंदा दिया है अथवा बड़े से बड़ा कान्ट्रैक्ट पाने के लिये चंदा दिया है। जिस पैसे का जनता और बाजारों में चलन होना चाहिये वह सरकार और पूंजीपतियों की जेब में चला गया। जनता कंगाल होती चली गई। अब सामने लोकसभा का चुनाव है। राजनीतिक दलों को जनसभाओं और तमाम प्रचार माध्यमों से जनता के बीच अपना घोषणा पत्र रखना चाहिये तब कांग्रेस पार्टी के बैंक खातों पर रोक लगा दी गई। पार्टी एक रूपया बैंक खातों से विद ड्रा नही कर सकती।

दूसरी ओर प्रधानमंत्री और भाजपा को लगातार चुनौती देने वाली आम आदमी पार्टी के बड़े नेताओं को जेल में डाल दिया गया है। अरविन्दो फार्मा के मालिक शरतचन्द रेड्डी ने गिरफ्तारी से बचने के लिये करोड़ों रूपये का बाण्ड खरीदा। दिल्ली की लिकर पॉलिसी से भी इनका नाम जुड़ा है। जांच एजेंसी के दबाव में ये सरकारी गवाह बन गये, इन्होने सिसोदिया, सतेन्द्र जैन, संजय सिंह सभी को मामले में घसीट दिया। यहां तक कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल भी नही बंचे। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ईडी से पूछता रहा कि शराब नीति मामले में मनी ट्रेल कहां है ? लेकिन संतोषजनक जवाब नही मिला। दो वर्षों से चल रही जांच में अभी तक ईडी एक रूपये की रिकवरी नही कर पाई, बावजूद इसके आप के 3 बड़े नेता जेल में हैं और चौथे अरविन्द केजरीवाल ईडी की हिरासत में हैं।

लेकिन इस बार दांव उल्टा पड़ गया है। अरविन्द केजरीवाल भी सामान्य मिट्टी से नही बने हैं। जेल से ही सरकार चला रहे हैं। समय समय पर दिल्ली के जनता के नाम संदेश भेज रहे हैं जो सोशल मीडिया के जरिये जनता तक पहुच रहा है। दूसरी ओर पार्टी के कार्यकर्ता अरविन्द केजरीवाल बनकर उनके साथ खड़े हैं। देशभर में केजरीवाल की गिरफ्तारी को लेकर ऐतिहासिक विरोध हो रहा है। झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पहले ही जेल भेजा जा चुका है। वे सरकार को और जांच एजेंसियों को चुनौती देते रहे कि उनके खलाफ सबूत लाकर दिखाओ। लेकिन संविधान हाशिये पर हो तो सबूत की जरूरत कहां पड़ती है ? ईवीएम पर जनता का भरोसा पहले ही टूट चुका है।

विपक्ष को कमजोर करने के लिये भाजपा ने कौन-2 से हथकंडे अपनाये, ये सभी को पता है। मंशा है कि विपक्ष की कमर तोड़ दो और मैदान में उतरकर अकेले बैटिंग करो। ऐसे में तो कोई भी मैदान फतह कर सकता है। लड़ाई बराबर की हो तो लड़ने में भी मजा आता है और परिणाम भी आनंददायक होता है। देशवासियों को कठुआ, उन्नव, हाथरस का बलात्कार कांड, उज्जैन में तमाशा बनी बेटी, देश के लिये मेडल लाने वाली बेटियों संग यौनाचार, मणिपुर में महिलाओं को निर्वस्त्र कर सड़कों पर घुमाया जाना, चण्डीगढ़ मेयर के चुनाव में सरासर बेइमानी, पेपर लीक, बेरोजगारों पर लाठियां, किसानों की राह में कील कांटे, एमएसपी पर वादा खिलाफी, बेरोजगारी, महंगाई, रिश्वतखोरी, धर्म की आड़ में राजनीति और व्यापार सबकुछ याद है। दशा कैसी भी हो 10 साल बाद बदलती जरूर है।

इस बार का चुनाव आसान नही है। भाजपा को हर सीट पर जूझना होगा। जनता वोटिंग मशीन तक पहुचने पाई तो इस बार कोई सेटिंग काम नही आयेगी और बदलाव दिखाई देगा। अन्यथा आप जानते हैं मोदी आज भी, और मोदी कल भी, मोदी वर्तमान भी, मोदी भविष्य भी। मोदी हैं तो सबकुछ मुमकिन है। इलेक्टोरल बाण्ड से लेकर मणिपुर तक, झारखण्ड से लेकर दिल्ली तक, मीडिया से लेकर संवैधानिक संस्थाओं को गुलाम बनाने तक कहीं भी कुछ भी संभव है। एक अपील आपसे जरूर करना चाहूंगा कि इस बार का चुनाव बेहद खास है। परिणाम चाहे जो हो, यह चुनाव देश में अभूतपूर्व परिवर्तन का कारण बनेगा, इसलिये वोटिंग ज्यादा से ज्यादा हो, कहीं पछताना न पड़े कि हमने भी वोट किया होता तो ऐसा नही होता।


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