मिट्टी में मिला माफिया
एक और माफिया मिट्टी में मिल गया। यूपी की योगी सरकार एक एक कर माफियाओं की कमर तोड़ने में लगी है खास तौर से उनकी जो कभी सपा बसपा की ताकत हुआ करते थे। यूपी की बांदा जेल में बंद मुख्तार अंसारी की कार्डियक अरेस्ट से गुरुवार रात को मौत हो गई। उसे रात करीब साढ़े आठ बजे जेल से रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज ले जाया गया जहां 9 डॉक्टरों ने इलाज किया।
लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका। बताया जा रहा है कि वह बैरक में बेहोश होकर गिर गया था। आज उसका पोस्टमार्टम होगा इसके बाद शव परिजन को सौंपा जाएगा। पता चला है सड़के मार्ग से मुख्तार को उसके पुश्तैनी घर गाजीपुर लाया जाएगा। यहां काली बाग कब्रिस्तान में उसे सुपुर्द-ए-खाक किया जा सकता है। जहां तैयारियां शुरू हो गई हैं। उधर, पूरे राज्य में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। मऊ और गाजीपुर में धारा 144 लागू कर दी गई है। बांदा में भी सुरक्षा के विशेष इंतजाम किए गए हैं। मौके पर बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं।
डीजीपी मुख्यालय ने भी सतर्कता बरतने के निर्देश दिए हैं। मुख्तार के मौत की खबर सुनकर उसके गाजीपुर आवास पर उसे चाहने वालों का तांता लग गया। बड़ी मशक्कत के बाद भीड़ हटाने में पुलिस सफल रही। दरअसल उसे मसीहा मानने वालों की तादाद भी कम नही है। साल 1978 में महज 15 साल की उम्र में अंसारी ने अपराध की दुनिया में कदम रखा। उसके खिलाफ गाजीपुर के सैदपुर थाने में पहला आपराधिक मामला दर्ज किया गया था। लगभग एक दशक बाद 1986 में, वह ठेका माफियाओं के बीच अपनी एक पहचान बना चुका था, तब तक उसके खिलाफ गाजीपुर के मोहम्मदाबाद थाने में हत्या का मुकदमा दर्ज हो चुका था।
अगले एक दशक में वह अपराध की दुनिया में कदम जमा चुका था और उसके खिलाफ जघन्य अपराध के तहत कम से कम 14 और मामले दर्ज हो चुके थे। हालांकि उसकी आपराधिक छबि में राजनीति में उसे आगे बढ़ने में बाधा नही बनी। 1996 में मऊ से बसपा के टिकट पर विधायक चुना गया। उसने 2002 और 2007 के विधानसभा चुनावों में एक निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में इस सीट पर अपना दबदबा कायम रखा। साल 2012 में, अंसारी ने कौमी एकता दल (क्यूईडी) बनाया और मऊ से फिर से जीत हासिल की। 2017 में उन्होंने फिर से मऊ से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की।
साल 2022 में मुख्तार ने अपने बेटे अब्बास अंसारी के लिए यह सीट खाली कर दी, जो सुभासपा के टिकट पर चुनाव जीत गया। वह पिछले 19 वर्षों से उत्तर प्रदेश और पंजाब की विभिन्न जेलों में बंद रहा। साल 2005 से जेल में रहते हुए उसके खिलाफ हत्या और गैंगस्टर अधिनियम के तहत 28 मामले दर्ज थे और सितंबर 2022 में आठ आपराधिक मामलों में उसे दोषी ठहराया गया था। फिलहाल मुख्तार अंसारी पर विभिन्न अदालतों में 21 मुकदमे लंबित थे। बांदा जेल में उसने खाने में स्लो प्वाइजन देने की बात कही। थी। फिलहाल इसी के साथ आतंक का पर्याय रहे मुख्तार अंसारी का अंत हो गया। मंख्तार की मौत के बाद मायावती, तेजस्वी यादव और पप्पू यादव ने मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग किया है।