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धर्म/आस्था

रामलीला महोत्सव का दूसरा दिनः श्रीराम का जन्म होते ही चहुंओर बजने लगीं बधाइयां

Posted on: Tue, 19, Oct 2021 5:24 PM (IST)
रामलीला महोत्सव का दूसरा दिनः श्रीराम का जन्म होते ही चहुंओर बजने लगीं बधाइयां

बस्ती, 19 अक्टूबर। पण्डित अटल बिहारी बाजपेई प्रेक्षागृह में चल रहे श्री रामलीला महोत्सव के दूसरे दिन भगवान राम के जन्म की लीला का मंचन हुआ। श्रीराम का जन्म होते ही चहुंओर खुशियां छा गयीं। भगवान के जन्म के बाद ब्रह्माजी के साथ सभी देवता विमान सजा-सजाकर अयोध्या पहुंच गए। आकाश मंडल देवताओं के समूहों से भर गया। संपूर्ण नगर में उत्सव का माहौल हो गया।

राजा दशरथ आनंदित थे। उन्होने ब्राह्मणों को सोना, गो, वस्त्र और मणियों का दान दिया। घर-घर मंगलमय बधावा बजने लगा। नगरवासी जहां- तहां नाचने गाने लगे। सभी रानियां आनंद में मग्न थीं। श्री धनुषधारी रामलीला मण्डल के कलाकारों की जीवंत प्रस्ुतियों ने दर्शकों का मन मोह लिया। वे भक्तिभाव से झूमने को मजबूर हो गये। महाराजा दशरथ की तीन पत्नियां थी, किसी तरह का कोई दुख नहीं था लेकिन एक चिंता थी कि तीनों रानियों में से किसी से भी पुत्र प्राप्ति न होने से राज्य के उत्तराधिकारी का संकट छा रहा था। तब महाराज दशरथ की गुरुमाता महर्षि वशिष्‍ठ की पत्नी ने इस पर चिंता जताते हुए अपनी शंका जाहिर किया कि “आपके शिष्य पुत्र विहीन हैं ऐसे में राज-पाट को उनके बाद कौन संभालेगा?“

तब महर्षि बोले कि “दशरथ के मन में यह विषय है ही नहीं तो फिर बात कैसे आगे बढ़ सकती है.“ गुरुमाता एक दिन अपने पुत्र को गोद में लेकर दशरथ के महल में जा पंहुची। गुरु मां की गोद में बालक को देखकर दशरथ लाड़ प्यार लगे. तब गुरु मां ने कहा कि “आप तो महर्षि के शिष्य हैं, लेकिन आपका तो कोई पुत्र नहीं है. ऐसे में इसका शिष्य कौन बनेगा.“ गुरु मां के वचन सुनकर दशरथ को ग्लानि हुई और वे महर्षि वशिष्ठ से पुत्र प्राप्ति के उपाय हेतु उनके चरणों में गिर पड़े। इस पर महर्षि ने कहा कि “आपको पुत्र प्राप्ति तो हो सकता है लेकिन उसके लिए पुत्रेष्ठि यज्ञ करवाना पड़ेगा.“ महाराज ने विधि विधान से यज्ञ किया गया। हवन कुंड से प्राप्त खीर तीनों रानियों कौशल्‍या, सुमित्रा और कैकेयी को दी गई।

प्रसाद ग्रहण करने से तीनों रानियों ने गर्भधारण किया। माता कौशल्या के गर्भ से भगवान श्री विष्णु श्री राम रूप में अवतरित हुए। इनके पश्चात शुभ नक्षत्रों में ही कैकेयी से भरत व सुमित्रा से लक्ष्मण व शत्रुघ्न ने जन्म लिया। रामलीला का सार्थक और सफल बनाने में सुभाष शुक्ल, अखिलेश दूबे, कैलाश नाथ दूबे, रमेश सिंह, हरि प्रसाद पांडेय, बृजेश सिंह मुन्ना, आचार्य हरीश त्रिपाठी, वीरेंद्र त्रिपाठी, राहुल त्रिवेदी, भोलानाथ चौधरी, अनिल मिश्र, पंकज त्रिपाठी, जॉन पांडेय, विनय शुक्ल, रामविनय पांडेय, रोहन दूबे, कात्यायनी दूबे, पूजा दूबे, ज्योति, अमन, अंकित, अभय, शशांक आदि लोगों का भरपूर सहयोग मिल रहा है। आयोजन समिति ने बताया कि कल फुलवारी, धनुषयज्ञ और परशुराम लक्ष्मण संवाद का मंचन किया जायेगा।


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