भगवान श्रीराम जैसा पुत्र पाने के लिये मनु-सतरूपा की तरह करनी होती है तपस्या
बस्ती। बस्ती सदर विकास खण्ड के दसकोलवा गांव में आयोजित 9 दिवसीय श्री हरिविष्णु महायज्ञ के दूसरे दिन कथा व्यास आचार्य रामायण दास और जितेन्द्र तिवारी ने मनु-सतुरूपा की कथा को विस्तार से सुनाया। कहा कि भगवान जैसा पुत्र पाने के लिए राजा मनु व शतरूपा की तरह तपस्या करनी पड़ती है। इस कठिन तपस्या को पूरा करने के बाद ही मनु व शतरूपा ने पुनर्जन्म में भगवान राम को पुत्र के रूप में प्राप्त किया।
स्वामी ने कहा कि राजा मनु अपने पुत्र को राजपाट सौंपकर पत्नी के साथ भगवान की भक्ति करने के लिए वन में चले गए। कथा व्यास ने कहा कि कठिन तपस्या को पूरा करने के बाद ही मनु व शतरूपा ने पुनर्जन्म में भगवान राम को पुत्र के रूप में प्राप्त किया। स्वामी ने कहा कि राजा मनु अपने पुत्र को राजपाट सौंपकर पत्नी के साथ भगवान की भक्ति करने के लिए वन में चले गए। उन्होंने भगवान विष्णु की तपस्या की और जब भगवान प्रसन्न होकर सामने आए तो दोनों ने भगवान से वर मांगा कि हमें आप जैसा पुत्र चाहिए।
इस पर भगवान ने कहा कि मेरे जैसा तो मैं ही हो सकता हूं। इसलिए आपके अगले जन्म में आपके पुत्र के रूप में जन्म लूंगा। कथा में मुख्य रूप से भोलानाथ पाण्डेय, कृष्ण मुरारी पाण्डेय, संजय पाण्डेय, शैलेन्द्र पाण्डेय, विश्वम्भरनाथ, विजयनाथ, प्रभुनाथ, दीनानाथ, राम मूरत, अनुज पाण्डेय, नीरज, रूद्र प्रसाद, हरिश्चन्द्र, सुशील कुमार, शकुनतला, परी देवी, माला देवी, कुशलावती, हरिहर, आरती, कौशल पाण्डेय, विवेक पाण्डेय, विनोद, निर्मला, सुनील कुमार पाण्डेय, कमल पाण्डेय, कृष्ण गोपाल पाण्डेय, अर्पिता, नरसिंह तिवारी, चन्द्रमणि पाण्डेय, आरती, चन्द्रमणि पाण्डेय, पूनम देवी, आस्था, महिमा, मानसी, आंचल, सतीश पाण्डेय, उमेश, अंशू के साथ ही अनेक भक्त उपस्थित रहे।