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29 मई 2024
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धर्म/आस्था

ब्रम्ह सम्बन्ध होने पर जगत के बन्धन टूट जाते हैं-उत्तम कृष्ण शास्त्री

Posted on: Fri, 08, Dec 2023 5:18 PM (IST)
ब्रम्ह सम्बन्ध होने पर जगत के बन्धन टूट जाते हैं-उत्तम कृष्ण शास्त्री

बस्ती। श्री राम कथा, भागवत कथा, अन्य पुराण आपको मोक्ष दिला दे इसमें भले किसी को संशय लगे किन्तु यदि आप अपने माता- पिता की सेवा, सम्मान करते हैं तो पुराणों में लिखा है कि आपको मोक्ष मिलेगा। ‘चार पदारथ करतल ताके। जे पितु- मातु प्राण सम जाते।।’ जो भी माता पिता को प्राण के समान अपने माता पिता को मानता है।

अर्थ, धर्म, काम ,मोक्ष देने के लिए परमात्मा खुद उसके सामने आते हैं।यह सद् विचार स्वामी उत्तम कृष्ण शास्त्री जी महाराज ने दक्षिण दरवाजा के निकट आयोजित 9 दिवसीय संगीतमयी श्रीमद्भागवत कथा के पांचवे दिन व्यासपीठ से व्यक्त किया। कथा स्थल पर श्री कृष्ण का जन्मोत्सव उल्लास के साथ मनाया गया। ‘नन्द घर आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की हाथी घोडा पालकी, जय कन्हैया लाल की नंद घर आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की’ से कथा पाण्डाल गूंज उठा। श्रद्धालु नृत्य के साथ कीर्तन करने लगे, बधाईयां बजने लगी और चर्तुदिक उल्लास छा गया।

श्री कृष्ण के जयकारों के साथ भगवान श्री कृष्ण का जन्म उत्सव उल्लास के साथ मनाया गया। बाल कृष्ण की छवि ने सबका मन मोह लिया। महात्मा जी ने कहा कि धरती पर जब-जब अत्याचार, पापाचार बढता है तो ईश्वर अवतार लेते हैं। कहा कि हमारे भीतर का कन्हैया सोया हुआ है, उसे जगाने की आवश्यकता है। श्री कृष्ण के हृदय में होने पर पाप जलते हैं और पुण्य का उदय होता है। श्रीकृष्ण जन्म के उद्देश्य का रोचक वर्णन करते हुये महात्मा जी ने कहा कि ब्रम्ह सम्बन्ध होने पर जगत के बन्धन टूट जाते हैं। यशोदा के गोद में खेलते हुये बाल कृष्ण का गोपियां दही से अभिषेक करने लगी।

आनन्द में पागल गोपियां कन्हैया का जय-जयकार कर रही है। महात्मा जी ने कहा कि जो सदैव आनन्द में रहे वही नन्द हैं। ईश्वर से मिलन होने पर जीव आनन्द से झूम उठता है। उत्सव तो हृदय में होना चाहिये। आजकल लोग शरीर की अपेक्षा मन से अधिक पाप करते हैं। शरीर को मथुरा बनाओ तो आनन्द आ जाय। गजेन्द्र मोक्ष कथा का विस्तार से वर्णन करते हुये महात्मा जी ने कहा कि संसार सरोवर है, जीव गजेन्द्र है, काल मगर है, सांसारिक विषयासक्त जीव को काल का भान नहीं रहता। महात्मा जी ने कहा कि गजेन्द्र पशु होकर भी परमात्मा को आवाज देता है किन्तु मनुष्य मृत्यु शैय्या पर पड़कर भी हाय हाय करता है।

गजेन्द्र अकेला होने पर सोचता है कि अब ईश्वर के सिवा मेरा कोई नहीं। ईश्वर के आधार बिना जीव निराधार है, अन्त मे सब छोड़कर चले जाते है । अंतकाल मे जीव पछताता हुआ हाय हाय करता हुआ प्राण त्यागता है। गजेन्द्र की स्तुति सुनकर भगवान ने सुदर्शन चक्र से मगर को मारकर उसकी रक्षा की भगवान ने सुदर्शन चक्र से मगर का बध किया। अर्थात सुदर्शन भगवान के दर्शन से काल की हत्या होगी। गजेन्द्रमोक्ष का पाठ करने से सभी संकटो से छुटकारा मिलता है।

यज्ञाचार्य श्री विष्णु शरण शास्त्री, वेद प्रकाश शास्त्री, विनीत शास्त्री, पं पंकज शास्त्री, पं रंजीत शास्त्री, विनीत शास्त्री, पं. शुभम आदि ने विधि विधान से वैदिक परम्परानुसार पूजन कराया।मुख्य यजमान दिनेश चन्द्र पाण्डेय ने विधि विधान से परिजनों, श्रद्धालुओं के साथ व्यास पीठ का वंदन किया। देवेश पाण्डेय, अविनाश पाण्डेय, पिकूं पाण्डेय, प्रदीप चन्द्र पाण्डेय, दिलीप चन्द्र पाण्डेय, राहुल सांकृत्यायन, जया, वागार्थ सांकृत्यायन, शिवम, शुभम, ओमजी, सुमन, अर्चना, प्रतिभा, अंजु, प्रमिला, प्रतिमा, पूर्णिमा, कंचन, सात्विक, बंटी, क्षमा, सविता, संदीप गोयल, राकेश चन्द्र श्रीवास्तव के साथ ही बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।


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