हास परिहास न करें, सोचें क्या नोटा से मजबूत हो रहा लोकतंत्र ?
बस्तीः विधानसभा चुनाव में नोटा पर झमाझम वोट पड़े। जनपद में 6967 मतदाताओं को एक भी प्रत्याशी पसंद नही आये। उन्होने नोटा को वोट करना उचित समझा। विधानसभावार बात करें तो बस्ती सदर विधानसभा में 1320, कप्तानगंज में 1221, महादेवा में 1582, रूधौली में 1140 तथा हरैया में नोटा को 1704 वोट मिले। ये आंकड़े भारतीय लोकतंत्र के शर्मनाक हैं।
निश्चित रूप से इसे सुधार की प्रक्रिया का हिस्सा नही कहा जा सकता। किसी सीट पर जितने भी प्रत्याशी चुनाव लड़ते हैं उनमे कोई तो ऐसा होगा जिसमे सबसे कम बुराइयां या कमियां होंगी। ऐसे में किसी को वोट न करना कहां का न्याय है। कहीं इससे भारतीय लोकतंत्र कमजोर तो नही हो रहा ? कहा जाता है हर वोट कीमती है, यदि ये सही है तो जिले में 6967 मतदाताओं की क्या भूमिका है ? नोटा के आंकड़ों पर हास परिहास छोड़कर इस पर चिंतन करने की जरूरत है। यह मतदान है, और ऐसा तो हो नही सकता कि आपके मत किसी से न मिलते हों।