बसपा प्रत्याशी डा. आलोक ने सबसे पहले किया नामांकन, जानिये डा. आलोक को
बस्तीः 310 सदर विधानसभा सीट से घोषित बसपा प्रत्याशी डा. आलोक रंजन ने अपना नामांकन दाखिल किया। 04 फरवरी से शुरू हुई नामांकन प्रक्रिया में डा. आलोक पहले प्रत्याशी हैं जिन्होने सबसे पहले नामांकन किया है। डा. आलोक जनपद की 5 विधानसभा सीटों पर घोषित प्रत्याशियों में सबसे युवा हैं। टिकट की घोषणा होने के बाद शुरू किये गये जनसंपर्क अभियान में पहले दिन से ही युवा उनसे जुड़ने लगे।
डा. आलोक ने नामांकन दाखिल करने के बाद अपने पिता का आर्शीवाद लिया और कहा सभी जातियों में बसपा के वोटर हैं लेकिन युवा मतदाता बस्ती की तकदीर लिखेंगे। अवसर मिला तो विकास की नई परिभाषा लिखी जायेगी। 5 सालों में वे सभी कार्य होंगे जो सदर विधानसभा को यूपी की आदर्श विधानसभाओं में जगह बनाने के लिये किये जाने चाहिये। जीत के प्रति आश्वस्त डा. आलोक ने कहा उनका सीधा मुकाबला भाजपा से है। पिछले 5 साल में भाजपा विधायक ने जनता को निराश किया है। गांव में संपर्क के दौरान जनता का गुस्सा देखा जा रहा है। निश्चित रूप से परिवर्तन होगा और मतदाता उन पर भरोसा कर रिकार्ड मतों से चुनाव जितायेंगे।
जानिये कौन हैं डा. आलोक
डा. आलोक पेशे से डाक्टर हैं। जुलोजी से एमएससी हैं। शीघ्र ही उन्हे एमडी की डिग्री मिलने वाली है। उनके पिता डा. वीके वर्मा प्रख्यात आयुष चिकित्सक हैं। जिला अस्पताल में आयुष चिकित्साधिकारी की जिम्मेदारी बड़ी निष्ठापूर्वक निभा रहे हैं। उन्होने कोरोना महामारी के समय एक दिन भी छुट्टी नही ली, बल्कि सबसे ज्यादा मरीज देखने वाले डाक्टर बने। यह उस वक्त की बात है जब प्राइवेट डाक्टर अपने अस्पताल बंद कर चुके थे और मरीजों को कोई हाथ भी नही लगा रहा था। आपने गोटवा कस्बे में और इसके आसपास मेडिकल कालेज, गर्ल्स इण्टर कालेज, नर्सरी, पूर्व माध्यमिक विद्यालय और 150 बेड वाला अस्पताल स्थापित किया है।
करीब 35 साल से बगैर एक रूपया फसि लिये लाखों मरीजों को देख चुके हैं, इनके अस्पताल में न तो कोई परामर्श शुल्क लिया जाता और न ही भर्ती शुल्क। कुर्मी महासभा, व्यापार मंडल, रोटरी क्लब सहित अनेक सामाजिक संगठनों में आपका सक्रिय योगदान है। आपकी समाजसेवा में जो रूचि है वह बिरले ही देखने को मिलती है। डा. वीके वर्मा का कहना है कि अपने जीवन में देने के बजाय हमने कुछ मांगा नही। हमेशा यही प्रार्थना रहती है कि ईश्वर और ज्यादा दें जिससे लोगों को और ज्यादा दे सकूं। लेकिन आज बेटा चुनाव लड़ रहा है। समाजसेवा और जरूरतमंदों की हर संभव मदद की परंपरा अगली पीढ़ी भी निभाये इसके लिये डा. आलोक का समर्थन लाजिमी है। जिससे जीवन के अंतिम सांस तक ये सिलसिला चलता रहे।