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29 अप्रैल 2024
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चुनाव

10 दिन में 10 भाजपा नेताओं की फजीहत, जानिये पूरी दास्तान

Posted on: Wed, 02, Feb 2022 10:03 PM (IST)
10 दिन में 10 भाजपा नेताओं की फजीहत, जानिये पूरी दास्तान

लखनऊः यूपी में चुनाव प्रचार शुरू होते ही भाजपा नेताओं के प्रति गुस्सा जनता की जुबान पर दिखने लगा। यूपी के अलग अलग हिस्सों में अब तक दर्जन भर प्रत्याशियों को विरोध का सामना करना पड़ा है। एक प्रत्याशी ने परेशान होकर अपने ही क्षेत्र की जनता के खिलाफ केस दर्ज करवा दिया। योगी सरकार में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को प्रयागराज के पड़ोसी जिले कौशांबी की सिराथू सीट से चुनाव लड़ रहे हैं।

22 जनवरी को अपने विधानसभा क्षेत्र गुलामीपुर में प्रचार करने पहुंचे तो महिलाओं ने घेरकर नारेबाजी शुरू कर दी। वे केशव मौर्य के खिलाफ नारा लगाने लगीं। डिप्टी सीएम ने महिलाओं को चुप करवाने की कोशिश लेकिन महिलाओं पर इसका असर नही हुआ। प्रयागराज जिले से एमएलसी सुरेंद्र चौधरी भी 29 जनवरी को केशव प्रसाद मौर्य के लिए सिराथू में प्रचार करने गए थे। अफजलपुर वारी के लोगों ने गांव में घुसने से पहले ही रोक लिया। सुरेंद्र समझाते रहे कि ‘भइया मेरी सुन लो भाजपा ने राममंदिर बनाया’ लेकिन लोग नहीं माने। आखिर में सुरेंद्र चौधरी को वापस जाना पड़ा।

तीसरा मामला बस्ती जिले का है, यहां 308 कप्तानगंज विधानसभा से मौजूदा विधायक चन्द्रप्रकाश शुक्ल फिर चुनाव मैदान में हैं। उनके टिकट की घोषणा हुई तो वे जनसंपर्क में निकले, उनके सामने ही युवक मुरदाबाद के नारे लगाने लगा। विकास के नाम पर की गई अनदेखी अब उन पर भारी पड़ रही है। चौथा मामला भी बस्ती जिले का है। यहां 310 सदर विधानसभा से मौजूदा विधायक दयाराम चौधरी फिर चुनाव लड़ रहे हैं। टिकट की घोषणा के बाद लगातार जनसंपर्क कर रहे हैं। विधानसभा क्षेत्र के अस्पताल चौराहे पर युवक उनके विरोध में नारे लगाने लगा। मौके पर विधायक स्वयं मौजूद रहे। विकास के नाम पर उन्हे जनता घेरने को तैयार है। फिलहाल समर्थकों ने विरोधी का मुंह बंद करा दिया।

पांचवां मामला जालौन का है। यहां से भाजपा के गौरी शंकर वर्मा उरई सीट से विधायक हैं। वे फिर चुनाव मैदान में हैं। 29 जनवरी को क्षेत्र में प्रचार करने पहुंचे तो नारेबाजी शुरू हो गई। लोगों ने कहा, ‘पांच साल में न गांव की एक सड़क बनी और न ही नल मिला’। विधायक जी को चुपचाप वहां से निकल लेना पड़ा। घर पहुंचे तो कहा जो विरोध कर रहे थे वे शराबी थे। छठा मामला बुलंदशहर का है। यहां स्याना सीट से देवेंद्र सिंह लोधी भाजपा के विधायक हैं। 25 जनवरी को प्रचार करने पहुंचे तो लोग हूटिंग करने लगे। लोगों का आरोप है कि गांव में न सड़क बनी, न कोई नल लगवाया। घर पहुंचे तो मीडिया से कहा, ‘ये सभी मुझे ही वोट देंगे।’

सातवां मामला मुजफ्फरनगर का है। यहां खतौली सीट से भाजपा के विक्रम सैनी विधायक हैं। 20 जनवरी को मनव्वरपुर गांव में प्रचार करने पहुंचे तो लोगों ने घेर लिया। मुर्दाबाद के नारे लगने लगे। विधायक समझाने की कोशिश करते रहे, लेकिन जनता नहीं मानी। विक्रम सैनी चले गए। उन्हें फिर 29 जनवरी को चांद समंद गांव में घेर लिया गया। नारेबाजी हुई और काफिले की एक गाड़ी का सामने वाला शीशा तोड़ दिया गया। विधायक को अपने ही क्षेत्र के लोगों पर केस दर्ज कराना पड़ा। आठवां मामला मेरठ का है। मनिंदर पाल मेरठ की सिवलखास सीट से भाजपा प्रत्याशी हैं। 21 जनवरी को पथोनी गांव में प्रचार करने पहुंचे तो हंगामा हो गया। ‘योगी-मोदी जिंदाबाद’ से ज्यादा ‘जयंत चौधरी जिंदाबाद’ का नारा लगने लगा। दोनो पार्टियों के बीच हाथापाई की नौबत आ गई। विधायक ने समझदारी दिखाई और वापस लौट गए।

नौवां मामला संभल का है। यहां असमोली सीट पर दो बार से सपा की पिंकी यादव विधायक हैं। उन्हें चुनौती देने के लिए भाजपा के हरेंद्र सिंह रिंकू जोरदार प्रचार कर रहे हैं। 21 जनवरी को शकरपुर गांव पहुंचे तो विरोध शुरू हो गया। ग्रामीणों ने कहा, ‘भाजपा ने गाजीपुर बॉर्डर पर हम लोगों के लिए कील लगाई गई थी। आंसू गैस के गोले छोड़े। हम कुछ भूले नहीं है...कभी वोट नहीं देंगे’। 10 वां मामला फिरोजाबाद की जसराना सीट से भाजपा ने मानवेंद्र सिंह चुनाव लड़ रहे है। मानवेंद्र की पत्नी ज्योति किरण राजपूत प्रचार करने पहुंची तो विरोध शुरू हो गया। ‘अखिलेश यादव जिंदाबाद’ के नारे लगने लगे। ज्योति वापस लौट गई। कुल मिलाकर यूं कहें कि भाजपा नेता जिन्ना पाकिस्तान, मन्दिर मस्जिद, हिन्दू मुसलमान के नाम पर जनता को भड़काने की तमाम कोशिशें कर रहे हैं लेकिन बुनियादी विकास के मुद्दे सभी विधानसभा क्षेत्रों मेंं छाये हुये हैं जो भाजपा प्रत्याशियों की बोलती बंद कर दे रहे हैं।


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