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चुनाव

गाजीपुर में आसान नही है मनोज सिन्हा के जीत की राह

Posted on: Mon, 15, Apr 2019 12:29 PM (IST)
गाजीपुर में आसान नही है मनोज सिन्हा के जीत की राह

गाजीपुर व्यूरो (विकास राय) 2014 में मनोज सिन्हा जितना वोट पाकर चुनाव जीते थे उससे ज्यादा वोट मुझे 2009 में हारने के बावजूद मिले थे। बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी के भाई व पूर्व सांसद अफजाल अंसारी अक्सर भाषणों में अपनी और भाजपा प्रत्याशी केन्द्रीय संचार एवं रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा की तुलना मंच से इसी तरह करते हैं। हालांकि 2009 की हार के बाद उन्होंने 2014 में गाजीपुर छोड़ दिया और बलिया से लड़े, लेकिन उन्हें जीत नहीं मिली।

जबकि मनोज सिन्हा मोदी लहर में गाजीपुर से तीसरी बार 33 हजार से अधिक वोटों से जीत गए। इस बार अफजाल अंसारी ने फिर गाजीपुर में वापसी की है। गठबंधन के तहत बसपा ने यहां से उन्हें गाजीपुर लोक सभा सीट से टिकट दिया है। अंसारी परिवार पहले घोर वामपंथी था। अफजाल अंसारी के पिता सुभानुल्लाह अंसारी मुहम्मदाबाद से चेयरमैन भी थे। खुद अफजाल अंसारी ने राजनीति की शुरुआत सीपीआई से की। उन्होंने पहला चुनाव सीपीआई के टिकट पर 1989 में मोहम्मदाबाद विधानसभा से चुनाव जीतकर विधायक बने। 1991 और 1993 में भी वो सी पी आई से ही विधायक बने। 1996 में अफजाल अंसारी समाजवादी पार्टी से विधायक बने। 2002 में पहली बार अफजाल अंसारी को बीजेपी के स्व. कृष्णानंद राय ने हराकर मुहम्मदाबाद विधानसभा क्षेत्र मे भाजपा का परचम लहराया।

इसके बाद अफजाल अंसारी ने 2004 में सपा के टिकट पर पहली बार लोकसभा चुनाव लड़े और 415687 वोट पाकर 226777 वोटों से बीजेपी के मनोज सिन्हा को हरा दिया। 2014 में अफजाल अंसरी बलिया लोकसभा सीट से अपनी खुद की पार्टी कौमी एकता से चुनाव लड़े और वहां 163943 पाकर तीसरे नंबर पर रहे। 2004 में अफजाल अंसारी ने सपा के टिकट पर मुस्लिम यादव समीकरण के चलते बड़ी जीत हासिल की थी। अफजाल अंसारी ने 415687 वोट पाया, जबकि बीजेपी के मनोज सिन्हा को 188910 वोट मिले। बसपा के उमाशंकर 185120 वोट पाकर तीसरे नंबर पर थे। इसके बाद मनोज सिन्हा 2009 के लोक सभा चुनाव में बलिया लोकसभा में चले गए। 2014 में मनोज सिन्हा तीसरी बार गाजीपुर से लोकसभा पहुंचने में कामयाब रहे।

2019 के लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा ने गठबंधन कर लिया है। गाजीपुर लोकसभा सीट बसपा के खाते में गयी है। जातीय आंकड़े दिखाकर गठबंधन अपनी जीत का दावा कर रहा है। यहां यादव और दलित वोटर तकरीबन बराबरी पर सबसे ऊपर हैं। उनके बाद ओबीसी वोट उनसे थोड़े कम हैं। क्षत्रिय और मुस्लिम मतदाताओं की तादाद उनके बाद आती है। बिंद और कुशवाहा वोट भी गाजीपुर लोकसभा क्षेत्र में अच्छी तादाद में हैं। गठबंधन को लगता है कि मुस्लिम$यादव$दलित गठजोड़ के दम पर वह बड़ा उलटफेर कर सकती है। हालांकि यहां गैर यादव ओबीसी की तादाद बड़ी है और बीजेपी की नजर अपने परंपरागत वोट वैश्य, ब्राह्मण, भूमिहार, कायस्थ, क्षत्रिय, भूमिहार के साथ इन्हीं अदर ओबीसी वोटों पर है।

गाजीपुर लोकसभा के जातीय आंकड़े इस प्रकार है।

यादव 3.75 से 4 लाख, दलित 3.50 से 4 लाख, ओबीसी 3 लाख, क्षत्रिय 1.75 से 2 लाख, मुस्लिम 1.50 से 1.75 लाख, बिंद 1.50 से 1.75 लाख, कुशवाहा 1.50 से 1.75 लाख, ब्राहृमण 80 हजार से 1 लाख, राजभर 75 हजार से 1 लाख, वैश्य 90 हजार से 1 लाख, भूमिहार 50 हजार, अन्य सवर्ण जातियां 50 हजार।


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