कांग्रेस को मिला धाकड़ क्षत्रिय, रोचक होगा मुकाबला
बस्तीः काफी जद्दोजेहद और तलाश के बाद आखिरकार कांग्रेस को धाकड़ क्षत्रिय मिल ही गया। दरअसल समाजवादी पार्टी को तगड़ा झटका लगा और पूर्व कैबिनेट मंत्री राजकिशोर सिंह ने कांग्रेस का दामन थाम लिया। वे बस्ती मंडल की तीनों सीटें बसपा को दिये जाने से नाराज थे। साथ ही पार्टी ने कई अवसरों पर उनकी तौहीन करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। जब तक समाजवादी पार्टी में शिवपाल सिंह दूसरे नम्बर के नेता थे तब तक राजकिशोर सिंह का कद कोई छोटा नहीं कर पाया,
लेकिन जब पार्टी की कमान पूरी तरह से अखिलेश ने अपने हाथों में थामा तो पार्टी में उनकी अहमियत कम होने लगी। ज्यादा अखरने वाली बात उस वक्त सामने आई जब तीन तीन बार लगातार विधानसभा चुनाव में जीत का परचम लहराने वाले राजकिशोर सिंह को लोकसभा का टिकट नहीं दिया गया। यही आखिरी वक्त था जब राजकिशोर सिंह ने दूसरे दलों के बारे में सोचना शुरू किया। जनता में चर्चा है कि अपना राजनीतिक वजूद बंचाने के लिये उन्होने कांग्रेस, बसपा, भाजपा में जगह बनाने की हर संभव कोशिश की। लेकिन वे जिस चौखट पर हाथ लगाते वह वह सरक कर और आगे चला जाता था। निराशा तब हाथ लगी जब कांग्रेस ने यहां से चन्द्रशेखर सिंह को प्रत्याशी घोषित कर दिया, यही अंतिम उम्मीद थी जो हाथ से निकल गयी।
लेकिन राजकिशोर सिंह भी आसानी से हार मानने वाले नहीं थे, साथ ही घोषित प्रत्याशी का जोरदार विरोधकर कांग्रेसियों ने उनकी जमीन तैयार कर दी और नेतृत्व राजकिशोर सिंह को विकल्प के रूप में देखने लगा। 26 फरवरी को कार्यकर्ताओं की नब्ज़ टटोलने बस्ती पहुंचे कांग्रेस नेता सचिन नाइक को विरोध के चलते कमरे में बंद होना पड़ा। मीडिया दस्तक ने खबर चलाई थी कि कांग्रेस को बस्ती सीट के लिये धाकड़ क्षत्रिय की तलाश है। इसको लेकर कांग्रेसजनों ने नाक सिकोड़ लिया था। अंततः कांग्रेस को कद्दावर उम्मीदवार के रूप में धाकड़ क्षत्रिश् मिल ही गया। फिलहाल बस्ती मंडल में राजकिशोर को समर्थक बाहुबली मानते हैं, उनके कांग्रेस ज्वाइन करने के बाद चौपालों पर चर्चाओं का रूख बदला है।
हालांकि बगैर उनका नाम लिये चर्चा पहले भी नही होती थी लेकिन तब चर्चा में कयासबाजी होती थी लेकिन अब राजकिशोर सिंह कांग्रेसी हो चुके हैं, इससे बस्ती मंडल में बेजान हो चुकी कांग्रेस में फिरसे उत्साह तो आयेगा ही, नतीजों पर भी फर्क पड़ेगा। दनके आने से पहले गठबंधन के उम्मीदवार रामप्रसाद चौधरी अपनी जीत पक्की मानकर चल रहे थे, चर्चा होती थी कि डेढ़ से दो लाख के वोटों के अंतर से वे चुनाव जीत सकते हैं। लेकिन अब जंग आसान नही है। बस्ती लोकसभा सीट पर पर आमने सामने की नहीं बल्कि त्रिकोणीय संघर्ष की उम्मीद है। तस्वीर तब साफ होगी जब सभी दलों के उम्मीदवार घोषित हो जायेंगे।