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29 अप्रैल 2024
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चुनाव

बस्ती की सभी सीटों पर नतीजों के इर्द गिर्द घूमती चुनावी समीक्षा

Posted on: Thu, 03, Mar 2022 12:43 AM (IST)
बस्ती की सभी सीटों पर नतीजों के इर्द गिर्द घूमती चुनावी समीक्षा

बस्तीः जिले में छठे चरण में 03 मार्च को होने वाले मतदान के लिये चुनाव प्रचार थमने के बाद चाय पान की दुकानों पर प्रत्याशियों की जीत हार को लेकर कयास तेज हो गये हैं। सभी प्रत्याशियों के समर्थक अपने नेता के जीत के दावे कर रहे हैं। कई जगहों पर लोगों को सट्टेबाजी करते देखा गया। चर्चाओं की माने तो जनपद की 5 विधानसभाओं में हॉट सीट हरैया को छोड़कर सभी सीटों पर भाजपा सपा का सीधा मुकाबला है। कांग्रेस उम्मीदवार किसी भी सीट पर सीधे मुकाबले में नही हैं। कहीं तीसरे तो कहीं कहीं चौथे स्थान के लिये कांग्रेस प्रत्याशी संघर्ष करते नजर आ रहे हैं। पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी का रोड शो हुआ लेकिन सदर प्रत्याशी को छोड़कर किसी अन्य को इसका लाभ नही मिल पाया।

कम समय होने के कारण प्रियंका गांधी बस्ती में केवल 20 मिनट रहीं। रोड शो औपचारिक बनकर रह गया। जिस गाड़ी की छत पर वे सवार थीं वह इतना तेज चल रही थीं कि उसके पीछे सुरक्षाकर्मियों और पार्टी समर्थकों को दौड़ लगानी पड़ी। आइये बस्ती जनपद की सभी 5 सीटों पर बेबाक समीक्षा को समझें, जो अलग अलग स्थानों पर हो रही चर्चाओं को आधार बनाकर लिखी गयी है।

बस्ती सदर सीट

की बात करें तो यहां भाजपा सपा का सीधा मुकबला दिख रहा है, कांग्रेस, बसपा तीसरे और चौथे स्थान के लिये लड़ती नजर आ रही है। यहां भाजपा के मौजूदा विधायक दयाराम चौधरी, सपा से महेन्द्रनाथ यादव, बसपा से डा. आलोक रंजन तथा कांग्रेस से देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव भाग्य आजमा रहे हैं। यहां जिसकी भी जीत होगी अनुमान है वोटों का अंतर बहुत कम होगा।

महादेवा सुरक्षित सीट

की बात करें तो यहां भाजपा प्रत्याशी और मौजूदा विधायक रवि सोनकर की जीत आसान नही है। भासपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे पूर्व विधायक दूधराम उन्हे कड़ी टक्कर दे रहे हैं। बसपा से लक्ष्मीचंद खरवार और कांग्रेस से बृजेश आर्य भाग्य आजमा रहे हैं। बृजेश युवा हैं, अपनी राजनीतिक जमीन सुरक्षित करने के लिये काफी मेहनत की है। लेकिन बसपा और कांग्रेस यहां तीसरे और चौथे नम्बर पर जा सकती है। दूधराम की लोकप्रियता, उनकी सादगी और मौजूदा विधायक द्वारा की गयी विकास की अनदेखी उनकी लुटिया डुबा सकती है।

रूधौली विधानसभा

का परिणाम सबकी जुबान पर है। यहां भाजपा से मौजूदा विधायक की पत्नी संगीता जायसवाल, सपा से पूर्व विधायक राजेन्द्र प्रसाद चौधरी, कांग्रेस से बसंत चौधरी, बसपा से अशोक मिश्रा अपना भाग्य आजमा रहे हैं। आम आदमी पार्टी के पुष्कर आदित्य सिंह सभी को कड़ी टक्कर दे रहे हैं। चर्चा है कि वे चुनाव तो नही जीतेंगे लेकिन भाजपा प्रत्याशी की हार का कारण जरूर बनेंगे। फिलहाल इस सीट पर भी भाजपा सपा का सीधा मुकाबला बताया जा रहा है।

कप्तानगंज सीट

के बारे में शुरूआती समीक्षा बदल गयी है। यहां शुरूआत में भाजपा को लड़ाई से बाहर बताया जा रहा था। लेकिन जनता के बीच विधायक सीए चन्द्रप्रकाश शुक्ला के प्रति नाराजगी को भावनात्मक खेल के जरिये खत्म करने का प्रयास सफर रहा। साथ ही यहां से भाजपा से टिकट मांग रहे दिग्गजों को भी अपने पक्ष में करने में मौजूदा विधायक सफल रहे। जबकि उन्होने विरोधी तेवर अख्तियार किया था। यहां तक कि उनके निर्दल चुनाव लड़ने की अटकलें लगाई जा रही थीं। यहां से सपा के अतुल चौधरी भाजपा के सीए चन्द्रप्रकाश शुक्ल को कड़ी टक्कर दे रहे हैं। वे पूर्व कैबिनेट मंत्री रामप्रसाद चौधरी के सुपुत्र हैं। हार जीत के वोटों का अंतर बहुत कम होगा। हालांकि उन्हे युवा होने का लाभ मिल रहा है। यहां बसपा से जहीर उर्फ जिम्मी और कांग्रेस से पूर्व विधायक अंबिका सिंह भाग्य आजमा रहे हैं। जिम्मी को सिर्फ और सिर्फ धनबल पर भरोसा है। चर्चा है कि वे तीसरे स्थान पर जा सकते हैं।

हॉट सीट हरैया

में मुकाबला काफी दिलचस्प है। यहां पूर्व कैबिनेट मंत्री राजकिशोर सिंह बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। मौजूदा विधायक अजय सिंह को भाजपा ने फिर प्रत्याशी बनाया है। कांग्रेस की लाबोनी सिंह, सपा के त्रयम्बक पाठक चुनाव मैदान में हैं। जनचर्चाओं की मानें तो यहां भाजपा लड़ाई से बाहर है और सपा बसपा सीधे मुकाबले मे है। पूर्व कैबिनेट मंत्री राजकिशोर सिंह सपा के त्रयम्बक पाठक को कड़ी टक्कर दे रहे हैं। बताया जा रहा है मौजूदा विधायक से जनता नाराज है और उन्हे हराने का मन बना चुकी है। ऐसे में पूर्व विधायक राजकिशोर सिंह के पक्ष में जनता खड़ी नजर आ रही है। अजय सिंह को चुनाव हराना है तो जनता उनके मुकाबले में सिर्फ राजकिशोर सिंह को ही पाती है, इसका उन्हे लाभ मिल सकता है। त्रयम्बक पाठक के समर्थक ब्राह्मण मतों को निर्णयक बता रहे हैं लेकिन निर्दल चुनाव लड़ रहे चन्द्रमणि पाण्डेय उर्फ सुदामा उन मतों में में सेंध लगाते नजर आ रहे हैं। कुल मिलाकर जहां लोग मौजूदा विधायक से नाराज हैं वहीं राजकिशोर सिंह को सहानुभूति का भी फायदा मिल रहा है।


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