दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर, बस्ती में बागियों से जूझ रही भाजपा
बस्ती, 09 मई। अब से कुछ घण्टे बाद निकाय चुनाव के लिये मतदान होगा। आखिरी दो दिन प्रत्याशियों और प्रशासन दोनो के लिये बेहद महत्वपूर्ण है। प्रत्याशियों को अपनी जीत दर्ज कराने के लिये बची खुची आखिरी कोशिश इन्ही घण्टों में कर लेनी है, वहीं जिला प्रशासन को भी निष्पक्ष, पारदर्शी व भयमुक्त वातावरण में मतदान सम्पन्न कराना होगा। जाहिर है कोई चूकना नही चाहेगा।
निकाय चुनाव 2023 का बिगुल बजने के बाद से ही प्रत्याशियों ने अपनी जमीन तलाशनी शुरू कर दी। जहां तक नगरपालिका परिषद बस्ती की बात है तो इस बार हर प्रत्याशी अपने लिये चुनाव लड़ रहा है, कोई ऐसा प्रत्याशी चुनाव मैदान में नही है जिसे किसी रणनीतिकार ने वोट काटने के लिये खड़ा किया हो। यही कारण है कि शुरूआती दौर में बना समीकरण आखिरी दौर में भी कायम है। यहां कांग्रेस छोड़कर समाजवादी पार्टी ज्वाइन करने के बाद पिछला चुनाव हार चुकी नेहा वर्मा पत्नी अंकुर वर्मा की स्थिति काफी मजबूत हो गयी।
हर समीकरण उन्ही के पक्ष में दिखाई दिया। यहां कायस्थ मतों को निर्णायक माना जाता है, और इस बार कायस्थ अंकुर के पक्ष में खड़ा दिखाई जा रहा है। दो और कायस्थ अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ रहे हैं लेकिन बताया जा रहा है बिरादरी में उनकी गहरी पैठ नही है। पिछला चुनाव हारने के कारण अंकुर वर्मा के साथ जनता की सहानुभूति भी है। पिछले दो टर्म में बस्ती नगरपालिका सीट पर भाजपा का कब्जा था, लेकिन प्रदर्शन बेहद खराब रहा। बीता कार्यकाल तो इतना दागदार है कि जनता हमेशा याद रखेगी। उसके पहले भी कोई खास काम नही हुआ।
10 साल सें भाजपा सीवर लाइन का वादा कर रही है लेकिन धरातल पर कोई काम नही हुआ है। जो नालियां हैं वे भी चोक रहती हैं। शहर में छुट्टा जानवरों और बंदरों की समस्या अलग है, स्ट्रीट लाइटें और रोड लाइटें 60 फीसदी बुझी हैं, ट्राफिक सिंगनल कहीं काम नही कर रहा है, वाटर कूलर जनता को चिढ़ा रहे हैं, बिजली के तारों का मकड़जाल गंभीर समस्या है, टूटी फूटी सड़कें, चोक नालियां, पार्को की बदहाली, रोजाना लगने वाले जाम और अतिक्रमण से हर कोई इससे परेशान है, केवल अंध भक्तों के ऊपर कोई फर्क नही पड़ता। इन सब दुश्वारियों की कीमत भाजपा प्रत्याशी को चुकानी पड़ रही है। हालांकि दूसरे उम्मीदवारों में भी कोई सुरखाब का पर नहीं लगा है, इन सब दुश्वारियों पर जब उन्हे जनता के साथ खड़ा रहना चाहिये था
तब उन्होने मूकदर्शन की मुद्रा में पूरा 5 साल बिता दिया। अब चुनाव आया तो मतदाताओं के पैरों में गिरकर नैया पार लगाने की भीख मांग रहे हैं। इन सबके बावजूद बस्ती नगरपालिका में सभी प्रत्याशी समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार नेहा वर्मा पत्नी अंकुर वर्मा से लड़ रहे हैं। लेकिन नेहा वर्मा के पक्ष में लामबंद हो चुके मतदाताओं में कोई सेंध नही लगा पा रहा है। हर कोई बीजेपी को ही नुकसान पहुंचा रहा है। खास तौर से बागी उम्मीदवार। जानकारों का मानना है कि बागी उम्मीदवार इस बार भाजपा को ऐसी चोट देने जा रहा है जो भाजपा कभी भूल नही पायेगी।
मसलन आप समझ सकते हैं भाजपा नेतृत्व बागियों का रूख मोड़ने में कामयाब रहता तो नतीजों का रूख अपने आप मुड़ जाता। लेकिन आकाओं की हर कोशिश नाकाम रही।अब हालात ऐसे हैं कि मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री की जनसभायें भी कोई खास असर नही छोड़ पाईं। हां हार जीत के लिये वोटों का अंतर जरूर कम होता नजर आ रहा है। अपनी ताकत का अहसास कराने के लिये भाजपा का पूरा कुनबा प्रत्याशी के समर्थन में सड़क पर उतरा। शहर के एक सिरे से दूसरे सिरे तक पदयात्रा की गई। स्वयं आका ने भी जोर लगाया। इसमें में इमानदारी नही दिखी। भीड़ के जरिये ताकत का अहसास कराने के लिये ब्लाकों से लोगों को बुलाया गया, जो शहर में मतदाता ही नही हैं। इतना ही नही दबी जुबान से बताया गया कि जुलूस में सरकारी कर्मचारियों ने भी हिस्सा लिया। आका का हुक्म भला कैसे टालते।
आकड़ों पर नजर
आकड़ों पर नजर डालें तो बस्ती जनपद में नगर निकाय चुनाव में इस बार 153 वार्डों से कुल 5338 मतदाता पहली बार अपने मतदान का प्रयोग करने जा रहे हैं। नगर पालिका परिषद बस्ती के 25 वार्डों में कुल 119990 मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे, जिसमें से 64209 पुरुष और 55781 महिला मतदाता शामिल हैं। मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिये प्रशासनिक स्तर पर कोई प्रयास नही किया गया है। पहले चरण में जिस प्रतिशत में मतदान हुआ है उसी के आसपास का फीगर दूसरे चरण में सामने आया तो अप्रत्याशित परिणाम भी आ सकते हैं।
मुकाबले में प्रत्याशी
भाजपा के टिकट पर श्रीमती सीमा खरे पत्नी अनूप खरे चुनाव लड़ रही हैं, नेहा वर्मा पत्नी अंकुर वर्मा समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। बसपा के टिकट पर प्रीती त्रिपाठी पुत्र बधू संतप्रकाश त्रिपाठी, कांग्रेस के टिकट पर पूर्व विधायक अफसर अहमद की पत्नी सबीहा खातून उर्फ सलमा अफसर, पूर्वांचल राज्य जनान्दोलन पार्टी से शालू चौधरी राजपाल, आम आदमी पार्टी के टिकट पर विनीता सिन्हा पत्नी सिन्हा, भाजपा के बागी आशीष शुक्ला की पत्नी नेहा शुक्ला के बीच कांटे की टक्कर है। इसके अलावा सुभासपा से बबीता शुक्ला सहित कुछ निर्दल उम्मीदवार मतदाताओं में अपनी पैठ के दावे कर रहे हैं।
पिछला परिणाम एक नजर में
पिछले चुनाव में बीजेपी की रूपम मिश्रा को 12205 वोट मिले थे। उनकी निकटतम प्रतिद्वन्दी अंकुर वर्मा की पत्नी नेहा वर्मा को 9286 वोट मिले थे। 2920 वोटों से रूपम मिश्रा चुनाव जीत गई थीं। सपा की शकुन्तला जायसवाल को 8199 वोट मिले थे, जबकि बसपा की अमृता श्रीवास्तव 7958 वोट पाई थीं। निर्दलीय मोहसिना खातून को 4611 वोटों से संतोष करना पड़ा था। नीलम सिंह राना को 3833 तथा रामरती देवी को 3165 वोट मिले थे। कुल 52177 वोट पड़े थे और वोटरों की संख्या लगभग 1 लाख 07 हजार थी।
समीक्षा का आधार
बस्ती शहर के विभिन्न मोहल्लों में निम्न, मध्यम व उच्च वर्ग के करीब 300 मतदाताओं से बातचीत की गई। नाम न छापने पर मुखर हुये मतदाताओं ने बताया कि चुनाव के आखिरी दौर में भी समीकरण बदल जाते हैं लेकिन मौजूदा परिदृश्य करीब करीब वही है जिसे दिखाने का प्रयास किया गया है। सत्ताधारी दल के परंपरागत मतदाता भी विचलित हैं, उनका कहना है कि भाजपा नेतृत्व से प्रत्याशी चयन में चूक हुई है, यही कारण है कि प्रतिष्ठा बचाने में काफी जद्दोजेहद करनी पड़ रही है।