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09 मई 2024
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चुनाव

जानिये नेताओं के बारे में क्या हो रही चर्चायें

Posted on: Mon, 15, Apr 2024 9:51 PM (IST)
जानिये नेताओं के बारे में क्या हो रही चर्चायें

बस्ती, 15 अप्रैल। लोकसभा चुनाव को लेकर तीन दलों के प्रत्याशी मतदाताओं को मनाने में जुट गये हैं। सपा, भाजपा, कांग्रेस सभी के घोषणा पत्र जनता के बीच पहुचे रहे हैं। बसपा का कोई घोषणा पत्र नही है, आम धारणा ये है कि बसपा भाजपा की पूरक है। यानी बसपा भाजपा के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों को कमजोर करती है और भाजपा प्रत्याशी का पलड़ा भारी हो जाता है। पिछले दो लोकसभा चुनावों से बसपा की यही भूमिका रही है।

देखा जाये तो यूपी की करीब करीब सभी सीटों पर यही हालात रहते हैं। बस्ती में भाजपा प्रत्याशी हैट्रिक लगाने को बेताब हैं, चुनाव जीतने के लिये बेहद नई तकनीक अपना रहे हैं, अव्वल दर्जे का चुनाव प्रबंधन, समर्पित कार्यकर्ता, सोशल मीडिया से लेकर धरातल तक जबरदस्त कैंपेनिंग और अकूंत धन उनकी ताकत है। महिलाओं, युवा, प्रधान से लेकर जिला पंचायत सदस्य और प्रधान, कोटेदार, लेखपाल से लेकर सफाईकर्मी तक यहां तक कि विकास भवन और कलेक्ट्रेट के कर्मचारी तक सभी भाजपा प्रत्याशी को मजबूती दे रहे हैं।

वहीं इण्डिया गठबंधन के प्रत्याशी 5 बार विधायक व एक बार सांसद रहे रामप्रसाद चौधरी लोकसभा चुनाव को परंपरागत तरीकों ले लड़ रहे हैं, उन्हे भरोसा है कि अपने 20 साल पुराने तरीके अपनाकर सशक्त भाजपा प्रत्याशी को शिकस्त दे पायेंगे, लेकिन ये उनकी भूल है। भाजपा की अत्याधुनिक प्रशिक्षित आईटी सेल के सैंकड़ों कार्यकर्ता, हजारों की संख्या में ब्लाइन्ड सपोर्टर, सरकारी सिस्टम और स्वयं प्रत्याशी की सक्रियता, उनके आभा मंडल पर साफ दिख रहा जीत का आत्मविश्वास लोगों की इस धारणा को बदल रहा है कि रामप्रसाद चौधरी पिछड़ों के नेता हैं, चुनाव जीतने या नतीजों का रूख मोड़ने में माहिर हैं, चुनावी प्रबंधन उनका लाजवाब रहता है। लेकिन जीतता वही है जो दुश्मन की सैन्य शक्ति का अंदाजा लगाकर अपनी सेनायें व्यवस्थित करता है।

कार्यकर्ता कई बार हतोत्साहित हो जा रहे हैं। रामप्रसाद चौधरी चुनावी सभाओं में मंचों पर प्रायः सो जाते हैं, बात करते वक्त उनका आई कान्टैक्ट सामने वाले से नही रहता। उनकी आखें बंद रहती हैं, हमेशा थके थके रहते हैं। मीडिया हो या कार्यकर्ता किसी का वजन नहीं आंक पा रहे हैं। न उन्होने प्रेस वार्ता की और न ही कार्यकर्ताओं को नई तकनीक का प्रशिक्षण दिया। ये भी आरोप लग रहे हैं कि इण्डिया गठबंधन के घटक दलों के कार्यकर्ताओं को भी वे चुनावी मैदान में उतारने में नाकाम हैं। उनके कुछ समर्थकों ने आज एक फोटो साझा करते हुये कहा हम लोगों को घेर निराशा हो रही है, रामप्रसाद जी का चेहरा बुझा बुझा रहता है, हमेशा थके हुये लगते हैं।

रही बात बसपा प्रत्याशी की, तो उनका लक्ष्य खुद जीतने से ज्यादा भाजपा को हराना है, जबकि वे भाजपा प्रत्याशी को कम इण्डिया गंठबंधन के प्रत्याशी को ज्यादा कमजोर कर रहे हैं। उनके बारे में एक चर्चा और है, कि वे भाजपा के बेहद समर्पित कार्यकर्ता रहे हैं। अभी भाजपा ने उन्हे पार्टी से निकाला भी नही है, जबकि बसपा उन्हे अपना प्रत्याशी घोषित कर चुकी है। चुनावी चर्चाओं की माने तो वे कुछ समय बाद वापस भाजपा में चले जायेंगे। इस चर्चा को जैसे जैसे बल मिलेगा वे कमजोर हो सकते हैं। खबर ये भी आ रही है भाजपा प्रत्याशी के तरकश में अभी कई तीर हैं। उन्होने एक भी इस्तेमाल नही किया है। ऐसा भी हो सकता है कि उनके ऊपर स्थानीय प्रशासन की ओर से कोई ऐसी कार्यवाही हो जिससे उनकी छबि खराब हो और उनके समर्थक विचलित हों। फिलहाल चुनाव निकट आने तक कई बार तस्वीर बदलेगीऔर हम सही तस्वीर आप तक पहुचाने का प्रयास करेंगे। उपरोक्त समीक्षा जनचर्चाओं पर आधारित है।


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