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सेहत/प्राकृतिक चिकित्सा

महिलाओं के लिये अधिक लाभकारी है गोमुखासन

Posted on: Fri, 16, Jul 2021 10:25 AM (IST)
महिलाओं के लिये अधिक लाभकारी है गोमुखासन

विभिन्न आसनों की जानकारी आप तक पहुचाने के क्रम में आज हम आपको गोमुखासन के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे। संस्कृत में ‘गोमुख’ का अर्थ होता है ‘गाय का चेहरा’ या गाय का मुख। इस आसन में पांव की स्थिति बहुत हद तक गोमुख की आकृति जैसे होती है। इसीलिए इसे गोमुखासन कहा जाता है। यह महिलाओं के लिए अत्यंत लाभदायक आसन है। यह गठिया, साइटिका, अपच, कब्ज, धातु रोग, मधुमेह, कमर में दर्द होने पर बहुत अधिक लाभप्रद हैं। सावधानियों के साथ इसे दिनचर्या में शामिल करें।

गोमुखासन योग विधि

गोमुखासन योग को करने का तरीका बहुत सरल है। सबसे पहले आप दोनों पैरों को आगे की ओर फैला कर बैठ जाएं और हाथ को बगल में रखें। बाएं पांव को घुटने से मोड़ें तथा दाएं नितंब की बगल से जमीन पर रख लें। उसी तरह से दाएं पांव को घुटने से मोड़ें, बाएं पांव के ऊपर से लाएं तथा दाईं एड़ी को बाएं नितंब के पास रखें। अब आप बाईं हाथ को उठाएं और इसको कोहनी से मोड़ें और पीछे की ओर कंधों से नीचे ले जाएं।

दाईं बांह उठाएं, कोहनी से मोड़ें और ऊपर की ओर ले जाकर पीछे पीठ पर ले जाएं। दोनों हाथों की अंगुलियों को पीठ के पीछे इस तरह से रखें कि एक दूसरे को आपस में गूंथ लें। अब सिर को कोहनी पर टिकाकर यथासंभव पीछे की ओर धकेलने का प्रयास करें। जहाँ तक हो सके आगे देखने की कोशिश करें और अपने हिसाब से आसन को धारण करें। यह आधा चक्र हुआ। पांवों और हाथों की स्थिति बदलते हुए इसे दोहराएं। अब एक चक्र पूरा हुआ इस तरह से आप तीन से पांच बार करें।

गोमुखासन से लाभ

अस्थमा के लिएः यह फेफड़ों के लिए एक बहुत ही मुफीद योगाभ्यास है और श्वसन से सम्बंधित रोगों में सहायता करता है। यह छाती को पुष्ट बनाता है और फेफड़ों की सफाई करते हुए इसकी क्षमता को बढ़ाता है। इसलिए अस्थमा से पीड़ित रोगियों को नियमित रूप से इस आसन का अभ्यास करना चाहिए। बाहों की मजबूती के लिएः अगर आपको पीठ एवं बांहों की पेशियां को मजबूत बनाना हो तो इस आसन का अभ्यास जरूर करें। कूल्हे के लिएः अगर आप कूल्हों के दर्द से परेशान हैं तो इस आसन का अभ्यास करें। रीढ़ की हड्डी के लिएः यह रीढ़ को सीधा व मजबूत बनाता है। बवासीर को रोकने मेंः यह बवासीर के लिए बहुत ही उपयोगी योगाभ्यास माना जाता है।

सर्वाइकल स्पॉेण्डिलाइटिस के लिएः इस आसन के अभ्यास से आप बहुत सारी परेशानियों से छुटकारा पा सकते हैं जैसे कंधा जकड़न, गर्दन में दर्द, तथा सर्वाइकल स्पॉेण्डिलाइटिस। सेक्सुअल प्रोब्लेम्स के लिएः लैंगिक परेशानियों को दूर करने में यह आसन बहुत ही कारगर है। यह स्त्री रोगों के लिए भी बहुत लाभदायक है। कमर दर्द मेंः इसके नियमित अभ्यास से आप कमर दर्द के परेशानियों से राहत पा सकते हैं। यकृत एवं गुर्दे के लिएः यह आपके यकृत एवं गुर्दे को स्वस्थ रखने में अहम भूमिका निभाता है। शरीर को लचकदार बनाने मेंः यह आसन करने से शरीर सुड़ोल एवं लचकदार बनता हैं। मधुमेह के लिएः यह आपके पैंक्रियास को उत्तेजित करता है और मधुमेह के कण्ट्रोल में सहायक है।

सावधानी बरतें

अगर आपके बवासीर से खून बह रहा हो तो इस आसन का अभ्यास नहीं करनी चाहिए। हाथ और पैर में ज़्यदा दर्द होने पर इस आसन का अभ्यास न करें। रीढ़ की हड्डी में कोई गंभीर समस्या हो तो इस योग को बिल्कुल न करें। अगर पीठ के पीछे हाथ बंधने में परेशानी हो रही हो तो जोर जबरदस्ती न करें। घुटनों में दर्द होने पर इसका अभ्यास न करें।


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