डीवार्मिंग डे : पहले से पेट में मौजूद है कीड़ा तो हो सकती है थोड़ी समस्या

बस्ती, 18 जुलाई 2022। अगर बच्चे के पेट में पहले से कीड़े मौजूद हैं, तो कीड़े की दवा एल्बेंडाजोल का सेवन करने से थोड़ी बहुत समस्या हो सकती है। आशा कार्यकर्ता भी लाभार्थी बच्चों के परिवार के लोगों को इन सामान्य प्रतिकूल प्रभाव के बारे में बताएंगी। ACMO आरसीएच डॉ. CK वर्मा ने बताया कि जिला स्तरीय अंर्तविभागीय व अभिमुखीकरण कार्यक्रम में सभी MOIC, CDPO व अन्य अधिकारियों को भी दवा से होने वाले सामान्य दुष्प्रभाव से परिचित कराया जा चुका है।
लोगों को बताएं कि दवा खाने के बाद अगर समस्या होती है तो घबराएं नहीं, तत्काल स्थानीय आशा कार्यकर्ता, एएनएम, प्रभारी चिकित्सा अधिकारी को सूचना दें। उन्होंने बताया कि सर्दी, खांसी, बुखार, सांस लेने में तकलीफ हो या बच्चा पहले से किसी रोग की दवा खा रहा हो अथवा कोविड पॉजिटिव के संपर्क में आए बच्चों को कीड़े की दवा नहीं खिलानी है।
हो सकती है समस्या
जी मिचलाना, उल्टी-दस्त, पेट में हल्का दर्द, थकान का अनुभव
करें उपाय
बच्चे को खुली व छायादार जगह में लिटा दें। पीने के लिए साफ पानी दें। बच्चे पर परिजन स्वंय अपनी निगरानी रखें। आशा, स्थानीय चिकित्सक को फोन पर सूचना दें। 108 नंबर पर कॉल कर बच्चे को अस्पताल पहुंचाएं।
खिलाई जाएगी एल्बेंडाजोल की गोली
एसीएमओ वेक्टर बार्न डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम डॉ. एफ हुसैन ने बताया कि जिले में एक से 19 साल के 11.99 लाख बच्चों को कीड़े की दवा एल्बेंडाजोल खिलाए जाने का लक्ष्य रखा गया है। 20 जुलाई को नेशनल डिवार्मिंड डे के अवसर पर आंगनबाड़ी केंद्रों, विद्यालयों में दवा खिलाए जाने के साथ ही 25-27 जुलाई तक मॉप अप राउंड चलेगा। दवा घर वालों के हाथ में किसी कीमत पर नहीं दी जानी है। दवा खिलाने के दौरान कोविड प्रोटोकॉल का पालन कराया जाएगा।
खाली पेट भी खिला सकते हैं दवा
डॉ. वर्मा ने बताया कि कीड़े की दवा बच्चों को खाली पेट खिलाई जा सकती है। विद्यालयों में दवा खिलाने के लिए मिड डे मील का इंतजार नहीं करना होगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन की गाइडलाइन के अनुसार दवा पूरी तरह सुरक्षित है, खाली पेट भी दी जा सकती है।
होता है खतरा
वरिष्ठ बालरोग विशेषज्ञ डॉ. आफताब रजा ने बताया कि जो बच्चे मिट्टी में खेलते हैं, उनके पेट में कीड़े हो जाने की आशंका संभावना ज्यादा होती है। इससे सबसे बड़ी समस्या यह होती है कि बच्चों में खून की कमी हो जाती है, अपच व पेट में ऐंठन रहती है। कीड़ों की मात्रा अधिक होने पर वह लीवर, फेफड़े व कभी-कभी दिमाग तक पहुंच जाते हैं, जिससे गंभीर समस्या होती है। हर छह माह पर कीड़े की दवा खिलाने से बच्चे सुरक्षित रहेंगे।