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सीएम हेल्पलाइनः ऐसे तो कई जन्मों में नही मिलेगा न्याय

Posted on: Fri, 23, Aug 2019 6:07 PM (IST)
सीएम हेल्पलाइनः ऐसे तो कई जन्मों में नही मिलेगा न्याय

शिकायतों के त्वरित और पारदर्शी निस्तारण के लिये शुरू किया गया यूपी सीएम हेल्पलाइन 1076 जनता के लिये धोखा साबित हो रहा है। दरअसल शिकायतें पंजीकृत करने के लिये काल सेण्टर पर तैनात की गयी महिलायें निहायत अप्रशिक्षित और अपरिपक्व हैं। साथ ही सीएम द्वारा की जा रही मॉनीटरिंग में भी खोट है। ऐसे कई उदाहरण है जो इस सच को उजागर करते हैं। नतीजा ये है शिकायतें या तो निस्तारित नही हो रही हैं, या निस्तारण का स्तर बहुत ही घटिया है अथवा जबरिया निस्तारित कर दी जा रही हैं।

हम आपको आपबीती बता रहे हैं जिसे किसी साक्ष्य की जरूरत नही है। हम बस्ती सदर तहसील सदर विकास खण्ड के ओरई गांव के रहने वाले हैं। गांव में हमारा एक मकान था जो कुछ साल से गिरकर खण्डहर में तब्दील हो गया है। हम तीन भाई है जो घर से बाहर अलग अलग स्थानों पर रहते हैं। बड़े भाई जो बनकटी में एक निजी स्कूल में शिक्षण कार्य करते हैं, उन्होने गांव पर दो कमरा बनवाने के लिये निर्माण कार्य शुरू किया तो इसी गांव के उमेश चन्द्र श्रीवास्तव उर्फ लालबाबू आदि यह कहकर निर्माण कार्य रोकवा दिये कि यह अब हमारी जमीन हो गयी है। उन्होने कहा कागज जाकर देख लो। हकीकत जानने के लिये लेखपाल दयाराम चौधरी से मिले, उन्हे गांव पर ले गये।

उन्होने बताया कि अभिलेखों में यह जमीन उमेश चन्द्र आदि के नाम से हो गयी है। कहा सिवान से एक नम्बर यहां ट्रांसफर हुआ है। तमाम प्रयासों के बाद पता चला कि उमेश चन्द्र आदि ने चकबंदी और राजस्व कर्मियों को अपने पक्ष में लेकर अपना सिवान का एक नम्बर आबादी में ट्रांसफर करा लिया हैं। कोई यह बताने का तैयार नही था कि हमारी आबादी की जमीन आखिर कहां गयी। हमने जनवरी 2019 में थाने पर प्रार्थना पत्र दिया। पुलिस ने कहा राजस्व का मामला है, हम कुछ नही कर सकते। 05 फरवरी को समाधान दिवस में अर्जी दी। एसडीएम एसपी शुक्ला को हमारी बात नही समझ आ रही थी। वे मानने को तैयार न थे कि कैसे आबादी पर किसी का नम्बर आ जायेगा।

फिलहाल प्रार्थना पत्र ले लिया गया। कुछ दिन लखनऊ से फोन आया, क्या आप शिकायत के निस्तार से संतुष्ट हैं। मै हतप्रभ रह गया। हमने कहा अभी मामला निस्तारित नही हुआ, आप फीडबैक लेने लगे। बोला गया आपका मामला निस्तारित कर दिया गया है। सोच सकते हैं, मामला ऐसा निस्तारित किया गया कि हमे पता ही नहीं। इसी बीच जालसाजों ने मई जून 2019 में लालगंज थाने पर प्रार्थना दिया कि सम्बन्धित जमीन पर हम निर्माण करवाना चाहते हैं, हमें रोका जा रहा है। हमारे बनकटी वाले भाई को थाने पर बुलवाया गया। मेरे पास फोन आया। हमने कहा राजस्व का मामला है आप हाथ न डालिये।

दरोगा जी कुछ ज्यादा इन्ट्रेस्ट ले रहे थे, उन्होने कहा आखिर हम इनको निर्माण से कब तक रोकेगे। हमने कहा कोर्ट बंद चल रहा है, जुलाई में खुलेगा। जुलाई तक मौका दीजिये हम विपक्षी को चुनौती देंगे। हमने 15 जुलाई को यूपी सीएम हेल्पलाइन 1076 पर शिकायत दर्ज करवाकर पूरा मामला बताया। हालांकि चार बार कोशिश के बाद मुश्किल से शिकायत दर्ज हुई थी। हमने शिकायत उर्ज करवाते समय साफ बताया था कि ये राजस्व का मामला है प्लीज पुलिस में मत भेजियेगा। कुछ दिन बाद हलका सिपाही का 10 बजे रात में फोन आया, पूछा क्या मामला है आपके और उमेश के बीच। हमने पूरी बात बताई। उसने भी कहा इसमे हम लोग कुछ नही कर सकते।

कुछ दिन बाद लखनऊ से फोन आया, पूछा गया आपके घर पर कोई गया था या किसी अधिकारी ने संपर्क किया था। हमने कहा एक सिपाही जी का फोन आया था। हमने कहा हमें 1076 से शिकायत है कि यहां निहायत नासमझ लोग बैठे हैं, उन्हे इतना तक नही मालूम कि कौन सी शिकायत कहां से सम्बन्धित है और किस स्तर से निस्तारित होगी। कैसे यहां से किसी को न्याय मिलता होगा। इसी के कुछ दिन बाद मोबाइल पर मैसेज आया कि संदर्भ संख्या 91918500009739 पद दर्ज आपकी शिकायत निस्तारित कर दी गयी है। उधर जालसाजों ने हमारे खण्डहर मकान को बेचने का मन बना लिया था। गांव के राममूरत (रेलवे में कुली) कहांर को इसके लिये तैयार कर लिया गया।

बेहमानों के साथ उसने हाथ मिला लिया और लम्बी रकम देकर उमेश चन्द्र श्रीवास्तव (लालबाबू) आदि से बैनामा करा लिया। सम्बन्धित जमीन का दाखिल खारिज न हो इसके लिये हमने आपत्ति दर्ज करवा दिया है। लेकिन इस हकीकत को सार्वजनिक करने का उद्देश्य सीएम हेल्पलाइन को लेकर बडे़ बड़े दावे करने वाले अधिकारियों और नेताओं की आखों पर पड़ा परदा हटाना है। साथ ही मुख्यमंत्री के दावे को भी हकीकत का आइना दिखाना है। पूर्व की सरकार में आयोजित हो रहे तहसील दिवस का नाम सम्पूर्ण समाधान दिवस रख दिया गया। समाधान की नीयत और रोडमैप होना चाहिये और सबसे बेहतर मॉनीटरिंग होनी चाहिये। नाम बदलने मात्र से लोगों को न्याय नही मिलेगा।

जिस तरह एफआईआर दर्ज कराने कोई अस्पताल नही जाता उसी तरह हमारे मामले में भी हमे न्याय नही मिला क्योंकि जो मामला राजस्व अधिकारियों के पास जाना चाहिये था वह हलका सिपाही के पास पहुंच गया। ऐसे तो फरियादी को कई जन्मों तक न्याय नहीं मिलेगा। निःसंदेह त्रुटिपूर्ण मौनीटरिंग ही ऐसी घटनाओं के लिये जिम्मेदार है। इस अनाड़ी और अनुभवहीन तंत्र के कारण मै अपने गांव से पलायन करने का मजबूर हूं। मुझे न्याय नही मिला तो गांव छोड़ देना पड़ेगा, फिर कहां जायेगा, निश्चित नही है, क्योंकि 53 साल की अवस्था सिर्फ किसी तरह परिवार चलाने के फार्मूले पर बीत गयी। पैसा नहीं बन पाया।

मुझे गांव छोड़ना पड़ा तो हमारे विपक्षी, और सीएम हेल्पलाइन जैसी व्यवस्था में लगे अधिकारी, स्वयं त्रृटिपूर्ण मॉनीटरिंग के जिम्मेदार मुख्यमंत्री और चंद रूपयों की लालच में जमीर बेंचने वाले राजस्व व चकबंदी कर्मचारी और अधिकारी सीधे तौर पर इसके जिम्मेदार होंगे। जिलाधिकारी से लेकर मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री तक एक ही सवाल, हमारे घर की जमीन पर किसी का नम्बर ट्रांसफर होकर आ गया तो हमारी जमीन कहां गयी ? धरती निगल गयी या आसमान ?


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