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सहें नहीं, चुप्पी तोड़ें महिलायें

Posted on: Wed, 09, Aug 2017 9:45 AM (IST)
सहें नहीं, चुप्पी तोड़ें महिलायें

राष्ट्रवादी विचारों की लेखिका उर्मिला वर्मा (अरूणिमा) वूमेन पावर लाइन 1090 को लखनऊ निवासी एक महिला प्रिया सिंह (काल्पनिक नाम) के द्वारा काल कर शिकायत दर्ज करायी गयी कि, 2 अगस्त को शाम लगभग 9.00 बजे जब वह अपनी कार से अपने ऑफिस से अपने घर अलीगंज जा रही थी, तो रास्ते में मोटर साइकिल सवार एक व्यक्ति ताज होटल के पास से लगातार उसके समानान्तर गाड़ी चलाकर, लगातार उसे घूर रहा था, वह अपनी मोटर साइकिल आगे-पीछे कर रहा था। मोटर साइकिल का नं0-यू0पी0 62, जेड 3047, है। निशातगंज पुल पर उसकी गाड़ी के सामने खड़ी करके उसे घूरने लगा, जिससे वह काफी डर गयी। किसी तरह उसने वहां से निकलकर अपनी गाड़ी कपूरथला स्थित पुलिस पिकेट के पास रोकी तो वह लड़का वहां से भाग गया।

पूरे मामले की गम्भीरता से छान-बीन की गयी तो, अजय सिंह उम्र लगभग 30 वर्ष पुत्र स्व. कृष्ण मोहन सिंह, निवासी सी-2, भीकमपुर, पेपरमिल कालोनी के पीछे महानगर लखनऊ को पकड़ा गया, अजय सिंह कुसुम प्लाजा, निशातगंज महानगर में प्राइवेट कोचिंग चलाता है। 1090 की टीम द्वारा जब अजय सिंह से पूछ ताछ की गयी तो ज्ञात हुआ कि प्रिया सिंह का पीछा अजय सिंह के द्वारा ही किया जा रहा था, तथा पूछ ताछ में अजय सिंह ने इसको स्वीकार भी किया, प्रकरण की गम्भीरता को देखते हुए अग्रिम विधिक कार्यवाही हेतु प्रकरण को थाना गोमती नगर, को आन्तरित किया गया। यहां अजय सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उसे जेल भेज दिया गया।

उपरोक्त प्रकरण में टीम 1090 द्वारा अत्यन्त संवेदनशीलता एवं तत्परता का परिचय देते हुए न केवल प्रभावी कार्यवाही सुनिश्चित करायी गयी बल्कि वूमेन पावर लाइन से लगातार सम्पर्क में रहने के कारण पीड़िता का मनोबल तथा पुलिस व्यवस्था के प्रति भरोसा बना रहा। तभी समय रहते यह कार्यवाही इतनी प्रभावी ढंग से सुनिश्चित हो पायी। जबकि घटना के दिन पीड़िता द्वारा पुलिस से की गयी शिकायत बेनतीजा रही। कार्यवाही करने की बजाय उससे कहा गया कि घर जाओ कुछ नही होगा। उन्होने आरोपी को पकड़ने की जहमत नही उठायी।

सवाल उठता है कि महिलायें आखिर असली आजादी का अनुभव कब कर पायेंगी। क्या ऐसा भी माहौल कभी बनेगा। पुरूष महिलाओं को अपने बराबर का दर्जा क्यों नही देते। एक पुरूष पूरी रात सड़कों पर घूम टह ता है, लड़की क्यों नही। उसे घूरने, छेडने की बजाय हम उसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी बि लेंगे। खैर पीड़िता की दिलेरी और बेबाकी का मीडिया दस्तक कायल है। वह चुपचाप घर चली गयी होती और सबकुछ सहन कर लेती तो आज अजय जैसे भेड़ियों का दुस्साहस इस कदर बढ़ जाता कि आज वह किसी को घूर रहा था कल किसी का अपहरण और परसों किसी का रेप भी कर सकता था।


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