शो पीस बन गये हैं वाटर कूलर, शुद्ध पेयजल मयस्सर नहीं
बस्ती, 01 मई, 2024। 40-42 डिग्री तापमान और आग बरसती धूप के मौसम में बस्ती की जनता को पीने का शुद्ध पानी मयस्सर नही है। भीषण गर्मी में गला सूख रहा होता है तो राहगीर ठंडे पानी की तलाश करता है, लेकिन शहरी क्षेत्र में रहने वाले या गांव देहात से जनपद मुख्यालय पर आने वाले सड़कों के किनारे लाखों की लागत से लगे वाटर कूलर के पास जाते हैं तब उन्हे ठगे जाने का अहसास होता है।
दरअसल शहरी क्षेत्र में भारी भरकम बजट से पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष श्रीमती रूपम मिश्रा ने कई जगहों पर वाटर कूलर लगवाया था, अपवाद को छोड़ दें तो सभी खराब पड़े हैं और जनता को चिढ़ाने के साथ साथ उन्हे धोखा भी दे रहे हैं। यी बजट उस वक्त खर्च किया गया था जब नगरपालिका अध्यक्ष का कार्यकाल समाप्त हो रहा था। जाते जाते एक घोटाला कर दिया। पता चला कि भारी भरकम लागत से लगवाये गये वाटर कूलर एक सप्ताह बाद ही जवाब दे गये थे। अब सफेद हाथी की तरह कई जगहों पर खड़े हैं जो भ्रष्टाचार का जीता जागता उदाहरण है। इस बात को अफसर से लेकर नेता तक सभी जानते हैं लेकिन कोई ऐसा नही जिसको इस लूट में बखरा न मिला हो, इसीलिये सबका मुंह बंद है। वरना जनता की गाढ़ी कमाई यूं बरबाद नही होती।
ऐसा नही कि यह लूट सिर्फ पिछले नगरपालिका अध्यक्ष के कार्यकाल में हुई। अपनी पिछली पीढ़ी से हर कोई सीखना चाहता है। पूर्व के अध्यक्ष ने भी ऐसा ही किया। उनसे पहले यहां अशोक गुप्ता और स्नेहलता पाल चेयरमैन थीं। उन्होने भी शहरी क्षेत्र की जनता की प्यास बुझाने के लिये दर्जनो वाटर कूलर लगवाया था। एक दशक से ज्यादा हो गया आज भी ढांचा खड़ा है। नये अध्यक्ष ने उसकी मरम्मत न कराकर नया कूलर लगवाया। होशियार लोगों ने बताया मरम्मत में ज्यादा कमीशन नही मिलता, नया लगवाने पर मामला ठीक रहता है। शहर की जनता तो जान गई है लेकिन जो नही जानता वह प्यास लगने पर कूलर के पास पहुंचता है, तो उसे पता चलता है कि यहां शुद्ध पेयजल तो दूर कूलर में टोटी और मोटर तक नही बंचा है।
हमारा इरादा किसी को बदनाम करना नही है बल्कि हम अफसरों और जनप्रतिनिधियों को उनकी जिम्मेदारी का अहसास कराना चाहते हैं। जल जीवन मिशन योजना में उ.प्र. सरकार ने पानी की तरह पैसा खर्च किया। हालांकि पेयजल उपलब्ध कराने के लिये जितने संसाधन विकसित किये गये उससे ज्यादा पैसा योजना के प्रचार के लिये होर्डिंग्स में लगा दिया। इसमें भी सभी का बखरा तय था जो उन्हे मिल गया होगा। जमीनी धरातल पर सच्चाई ये है कि लोग इस भीषण गर्मी में 20 रूपये की पानी की बोतल खरीद कर अपनी प्यास बुझा रहे हैं। पानी बेंचने वाले चांदी काट रहे हैं। जनता हर बार इसलिये ठगी जा रही है कि मुद्दों पर वोट नही करती। किसी बड़े चेहरे को देखकर, जाति धर्म के आधार पर, नेता का प्रभाव देखकर वोट किया जा रहा है इसलिये नेता अपनी जवाबदेही नही समझ रहा और जनता सवाल पूछने का अधिकार पहले ही खो चुकी है। अच्छा होता यदि नेता और अफसर जनता की बुनियादी जरूरतों पर सोचने के लिये भी थोड़ा वक्त निकाल लेते। कन्टेन्ट राइटर अशोक श्रीवास्तव- संपादक मीडिया दस्तक न्यूज मो.न. 7007259802