सिलीगुड़ी से नीलू गुप्ता की रचना
पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में पेशे से शिक्षिका नीलू गुप्ता को कविताएं, कहानियां और आलोचना लिखने का शौक है। वे पारिवारिक दायित्व को बखूबी निर्वहन करने के साथ साथ साहित्यिक के क्षेत्र में बेहतर प्रर्दशन कर अपनी अलग पहचान बना चुकी हैं। उनकी एक रचना
कहते है न
कोई उम्र नहीं होती सीखने की,
और न ही जरूरत है
सही जगह और सुविधाओं की
लॉकडाउन कभी दीवार न बन सकी
बीच में शिक्षक और विद्यार्थियों की,
रोजाना की तरह कक्षाएं चल ही रही
पढ़ना और पढ़ाना बंद हुआ नहीं कभी।
नई नई तकनीकों का इस्तेमाल हो रहा
घर में रहकर ही स्कूल चल रहा,
मजे में बच्चे है, कुछ नया सीख रहे
माता पिता भी उनमें रुचि है दिखा रहे।
शिक्षकों की भी नयी नयी
प्रतिभाएं विकसित हो रही,
ऑफलाइन छोड़ कर अब
ऑनलाइन पढ़ाई चल रही।
इंटरनेट की स्पीड देख
रो देता है दिल कभी कभी,
हिम्मत करके फिर से कोशिश
करते है हम शिक्षक सभी।
रूक नहीं सकते हम कभी
क्योंकि ये बच्चे हमारी जिम्मेदारी है,
पीछे नहीं मुड़ सकते,
क्योंकि कर्तव्य हम पर बड़ा भारी है।
नीलू गुप्ता, सिलीगुड़ी, पश्चिम बंगाल