इतिहास रचेगी कायस्थ वाहिनी- पंकज भैया
भारत में ही नही विश्व के कई देशों में सफलतापूर्वक परचम फहरा चुकी कायस्थ वाहिनी ने बिरादरी के लोगों में एकजुटता और राष्ट्रवाद को मजबूत कर उन्हे मुख्य धारा में लाने का जो बिगुल फूंका है उसका असर अब दिखने लगा है। वाहिनी प्रमुख कायस्थ पंकज भैया ने बस्ती में मीडिया दस्तक को दिए गए साक्षात्कार में बताया कि हमारा अपना कायस्थ समाज अपने ही कुलदेव प्रभु चित्रगुप्त की भक्ति से दूर है। नियमित पूजन-अर्चन करना तो छोड़िए साप्ताहिक गुरूवार जो चित्रगुप्तवार माना जाता है, इस दिवस को भी हमारा समाज अपने प्रभु को शद नहीं करता है। सामाजिक एकता का सूत्रपात ही धार्मिक जागृति से होता है इसलिये पहले कायस्थों के भीतर उनके अपने प्रभु के प्रति आस्था जागृत करनी होगी। पंकज भैया से बातचीत के कुछ अंश।
मीडिया दस्तकः आप अपने नाम के साथ कायस्थ और भैया क्यों लगाते हैं ?
वाहिनी प्रमुखः हमारा नाम ही पंकज भईया है हमारी सभी पहचान पत्र पंकज भईया के ही नाम से हैं। जब हमने अपने कायस्थ समाज से यह अपेक्षा जाहिर की कई उप नाम होने की वजह से कभी कभी यह नहीं पता चल पाता की सामने वाला भी हमारा कुलवंशज है तो नाम के आगे, पीछे या बीच में कायस्थ शब्द का प्रयोग हो तो सबसे पहले अपने ही नाम के साथ ही कायस्थ लगाना शुरु किया।
मीडिया दस्तकः आप मूलतः कहाँ के रहने वाले हैं?
वाहिनी प्रमुखः मैं बस्ती जनपद जो की अयोध्या और गोरखपुर के बीच में है शेखर सदन हथियागढ़ का रहने वाला हूँ।
मीडिया दस्तकः आपका कायस्थ समाज की सामाजिक चेतना से जुड़ने का कोई खास कारण ?
वाहिनी प्रमुखः जब मैं पढ़ता था तभी अपने समाज के युवाओं को अन्य जाति के युवाओं को सामाजिक और राजनितिक रूप से कमजोर देखता था तो पीड़ा होती थी कि संख्या बल होने के बावजूद एकता की कमी की वजह से हमारी यह दुर्दशा है जिसने मुझको भविष्य में कायस्थ समाज के लिए कुछ करने की प्रेरणा दी। आज भी कुछ खास परिवर्तन नहीं आया है लेकिन अब संतुष्टि है कि कायस्थ समाज में अब एकजुटता की बयार बह निकली है जो कि एक बड़े परिवर्तन का संकेत है।
मीडिया दस्तकः कितने वर्ष हुए इन गतिविधियों में और कितने सफल हुए आप अपने इस अभियान में?
वाहिनी प्रमुखः इस गतिविधि से जुड़े 19 वर्ष हो गए। पहली उपलब्धि आज के 14 वर्ष पहले बस्ती में राष्ट्रीय कायस्थ सम्मेलन। दूसरी भारत सरकार के युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय से सम्मान। तीसरी देश का चौदहवाँ चित्रगुप्त सम्मान सहित दर्जनों सम्मान। चौथी कायस्थ वाहिनी आज जो विश्व के भारत सहित 31 देशों में कार्यरत है।
मीडिया दस्तकः कायस्थवाहिनी अंतर्राष्ट्रीय क्या है ?
वाहिनी प्रमुखः यह भारत के कायस्थो की वह संस्था जो रोटरी क्लब के तर्ज पर चैप्टर सिस्टम से पूरे विश्व के कायस्थों को एक दूसरे से जोड़ने का प्रयास कर रही है। इसका मूल उद्देश्य है प्रभू चित्रगुप्त को सर्व समाज में स्थापित कराना। और कायस्थ समाज को एकसूत्र में बांधने के लिए हर संभव प्रयास करना।
मीडिया दस्तकः आपकी भविष्य में कायस्थ समाज के लिए क्या योजनायें हैं ?
वाहिनी प्रमुखः पहली योजना वर्ष 2019 तक 100 देशों तक कायस्थ वाहिनी का विस्तार, दूसरी योजना भारत के हर घर तक प्रभू श्री चित्रगुप्त की स्थापना। तीसरी अलग से चित्रगुप्त मन्दिर न बनाते हुए पहले से बने मन्दिरों में प्रभू की स्थापना। जिससे वो स्वतः एक दूसरे का सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक सहयोग कर सके। अंतिम कायस्थ समाज को राजनैतिक रूप से जागरूक कर नेतृत्व की तरफ अग्रसर करना।
मीडिया दस्तकः अंत में आपकी तरफ से कायस्थ समाज के नाम कोई संदेश ?
वाहिनी प्रमुखः समाज एक हो, अपने वास्तविक पहचान को जाने, हम प्रभू श्री चित्रगुप्त की सन्तान है देव पुत्र हैं। अपने देव के करीब चले, एकता लायें। कलयुग का एक मन्त्र है संघे शक्ति कलयुगे संघ मतलब साथ में, एकता में ही शक्ति है। जो हमको सामाजिक, राजनैतिक और आर्थिक सहित सभी मोर्चों पर विजय दिला सकती हैं। समय का इंतजार करेगी कायस्थ वाहिनी इतिहास में रचेगी और कायस्थों को उनका सम्मान वापस दिलाकर रहेगी।