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ब्लोबल वार्मिंग का असर सेक्स लाइफ पर भी

Posted on: Sat, 07, Nov 2015 2:25 PM (IST)
ब्लोबल वार्मिंग का असर सेक्स लाइफ पर भी

लंदन: ग्‍लोबल वार्मिंग को अनदेखा करना आनेवाले समय में जीवन पर बहुत गहरा प्रभाव डाल सकता है। ग्‍लोबल वार्मिंग को काफी अब गंभीरता से लेने की जरूरत है, अन्‍यथा ये जीवन पर उस हद तक प्रभाव डाल रहा है जिसकी आप कल्‍पना भी नहीं कर सकते।

हाल में एक शोध में इस बात का खुलासा हुआ की ग्लोबल वार्मिंग का असर यौन जीवन (सेक्‍स लाइफ) पर भी देखा जा सकता है। गर्मी के दिनों में शारीरिक संबंधों में निकटता कम देखी जा सकती है। इस दौरान महिला-पुरुषों के बीच संबंधों के प्रति आकर्षण कम हो जाता है। हाल में एक शोध में इस बात का दावा किया गया की ग्लोबल वार्मिंग के चलते लोगों की शारीरिक संबंध बनाने में दिलचस्पी कम होने लगी है।

ग्लोबल वार्मिंग से लोगों की सेक्स लाइफ पर प्रभाव पड़ रहा है। बढ़ते तापमान के कारण जन्म दर में कमी आ रही है। एक रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि गर्म मौसम के कारण कॉयटल फ्रीक्वेंसी (सहवास आवृत्ति) में गिरावट आती है। यह निष्कर्ष निकालने के लिए शोधकर्ताओं ने अमेरिका के पिछले 80 वर्षों के प्रजनन क्षमता और तापमान के आंकड़ों का अध्ययन किया। यह पता लगाया गया कि जब मौसम की गर्मी 80 डिग्री फारेनहाइट तक पहुंचती है तो जन्म दर में भारी गिरावट आती है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि मौसम के प्रजनन क्षमता पर प्रभाव को दूर करने के लिए एयर कंडीशनिंग का अधिकाधिक प्रयोग करें हालांकि इस बात से इनकार नहीं किया जाता है कि एयर कंडीशनिंग भी ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ाने में सहायक होता है।

ट्यूलेन यूनिवर्सिटी, यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया और यूनिवर्सिटी ऑफ सेंट्रल फ्लोरिडा के शोध के इन आंकड़ों के आधार पर कहा गया है कि अगर ग्लोबल वॉर्मिंग के लिए कोई ठोस कदम यदि अभी भी नहीं उठाया गया तो कुछ समय के बाद अमेरिका में आने वाले समय में 64 दिन तापमान 80 डिग्री फॉरेनहाइट हो जाएगा। इसका अर्थ यह होगा कि अमेरिकी जन्म दर में 2.6 फीसदी की गिरावट होगी और एक वर्ष में 107,000 प्रसूतियां कम होंगी। विशेषज्ञों का कहना है कि तापमान-प्रजनन क्षमता संबंध में होने वाले ऐतिहासिक बदलावों के विश्लेषण से हम कह सकते हैं कि जलवायु परिवर्तन की कीमत को काफी हद तक दूर हटाने के लिए एयरकंडीशनिंग का इस्तेमाल किया जा सकता है।

ट्यूलेन यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट लेखक एलन बेरेका ने कहा कि जन्‍म दर में कमी अमेरिकी और इंग्‍लैंड जैसे देशों के लिए बेहद गंभीर मसला है। जिसका सामाजिक सुरक्षा पर भी गहरा असर होगा।


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