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भावी दुल्हनेें क्यों ले रही हैं सिलिकाॅन गुब्बारों का सहारा

Posted on: Tue, 03, Nov 2015 1:57 PM (IST)
भावी दुल्हनेें क्यों ले रही हैं सिलिकाॅन गुब्बारों का सहारा

नई दिल्ली : दिल्ली में जल्दी ही शादी के बंधन में बंधने जा रही कई भावी दुल्हनें खास मकसद से सिलिकॉन गुब्बारों का सहारा ले रही हैं। ये मकसद है वजन कम करने का। ये एक विशेष मेडिकल प्रोसीज़र का सहारा ले रही हैं, जिसमें पानी से भरे सिलिकॉन गुब्बारे को पेट में इम्प्लांट किया जाता है। डॉक्टरों का कहना है कि इससे उन्हें पेट भरा रहने की फीलिंग रहती है जिससे कम भूख लगती है। ये तरीका अपनाने से छह महीने से एक साल के भीतर ही 10 से 15 किलोग्राम वजन कम किया जा सकता है।

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक बीएलके सुपर स्पेशिएल्टी हॉस्पिटल में बैरिएट्रिक सर्जरी के डायरेक्टर डॉ दीप गोयल का कहना है- युवा लड़कियां, जो शादी करने जा रही हैं, बैरिएट्रिक सर्जरी की जगह इस तकनीक को तरज़ीह दे रही है। इसे गैस्ट्रिक बैलून भी कहा जाता है। इस बैलून को हमेशा के लिए पेट में नहीं रखा जाता है। जैसे ही मनमुताबिक वजन घट जाता है, इस बैलून को पेट से बाहर निकाल लिया जाता है। जिससे कि कोई साइड इफैक्ट ना हो।

डॉ गोयल के मुताबिक वे हर महीने सात से आठ गैस्ट्रिक बैलून इम्पलान्ट करते हैं। इस तकनीक का सहारा लेने वाली अधिकतर भावी दुल्हनें होती हैं।

सर गंगा राम अस्पताल में डायरेक्टर डॉ अनिल अरोड़ा के मुताबिक उनके अस्पताल में रेगुलर तौर पर ये प्रोसीज़र होता है। इसमें एंडोस्कोप के ज़रिए बैलून को पेट में इम्पलांट किया जाता है। फिर इने फुलाया जाता है। नए बैलून कैप के साथ आते हैं जिससे कि आप उसमें भरने वाले द्रव की मात्रा को नियंत्रित कर सकते हैं। एक गुब्बारे के लिए 350 से 400 मिलीलीटर द्रव का इस्तेमाल किया जाता है। अगर उल्टी जैसा महसूस होता है तो इस मात्रा को कम कर दिया जाता है।

विशेषज्ञों के मुताबिक बैलून टेक्नोलॉजी का खर्च एक लाख रुपये आता है जो कि अस्थायी लाभ को देखते हुए बहुत ज़्यादा है। ज़्यादातर बैलून अमेरिका से आयात किये जाते हैं। अगर भारतीय कंपनियां ये बनाना शुरू कर देंगी तो लागत कम हो जाएगी। ये किडनी और हार्ट के उन मरीज़ों के लिए मोटापा घटाने का अच्छा विकल्प है जो बैरिएट्रिक सर्जरी नहीं करा सकते।

ब्रिटेन में डाक्टर गैस्ट्रिक बैलून को गोली के ज़रिए देते हैं जिसे मुंह से निगला जा सकता है। अभी यह भारत में उपलब्ध नहीं है।

मैक्स हॉस्पिटर मे मिनिमल एक्सेस सर्जरी डिपार्टमेंट के चेयरमैन डॉ प्रदीप चौबे कहते हैं कि बैलून टेक्नोलॉजी बाइपास सर्जरी के ब्रिज की तरह काम करती है। इससे वजन का कुछ हिस्सा कम किया जा सकता है। इस लिहाज़ से इसकी लागत बहुत ज़्यादा है। हम पेशेन्ट्स को वजन कम करने के लिए डाइट में बदलाव और एक्सरसाइज़ की सलाह देते हैं।

बैरिएट्रिक सर्जरी में उभरे पेट का कुछ हिस्सा सर्जरी के ज़रिए निकाल दिया जाता है जिससे कि भूख कम लगे।


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