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पर्यावरण की समस्याओं के लिये भारतीय संस्कृति की ओर लौटें

Posted on: Sun, 22, Dec 2019 2:23 PM (IST)
पर्यावरण की समस्याओं के लिये भारतीय संस्कृति की ओर लौटें

मऊ, ब्यूरो (सईदुज़्ज़फर) पर्यावरण सुरक्षा के लिए हमें एक बार फिर भारतीय संस्कृति की तरफ लौटना होगा, क्योंकि गांव की जनता आज भी विज्ञान की बातें सही से नहीं जान पाती। जबकि धर्म और संस्कृति से जोड़ने के बाद यह लोग आसानी से बातों को समझ लेते हैं। जैसे कि जल को प्रदूषित होने से बचाने के लिए देखा जाए तो भारतीय संस्कृति में जल की पूजा की जाती है।

ठीक इसी तरह भारतीय संस्कृति और धर्म में पर्यावरण की बात भी कही गई है। महत्वपूर्ण वृक्षों पर देवताओं का वास माना गया है। इस प्रकार से धर्म के आधार पर भी वृक्षों को नष्ट होने से बचाया जा सकता है। उक्त बातें प्रख्यात पर्यावरणविद् एवं श्री अमरनाथ स्नातकोत्तर महाविद्यालय दूबे छपरा बलिया के पूर्व प्राचार्य डाक्टर गणेश कुमार पाठक ने गोपीनाथ पीजी कॉलेज में आयोजित पर्यावरणीय समस्याएं एंव उनका समाधान विषयक एक दिवसीय संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए कहा। आगे उन्होंने कहा कि मनुष्य के जीवन विलासिता होना व जनसंख्या वृद्धि प्रदुषण का मुख्य कारण है। पर्यावरण प्रदूषण रोकने के लिए हमें सबसे पहले अपने घरों से शुरुआत करनी होगी।

विशिष्ट अतिथि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रख्यात भूगोलवक्ता प्रो.विनोद कुमार त्रिपाठी ने अपने संबोधन में कहा कि प्रकृति के साथ हम खिलवाड़ कर रहे है।ं पेड़ काट रहे हैं लेकिन लगा नहीं रहे हैं। हमें अपने घर और अपने स्तर से पर्यावरण प्रदूषण रोकने का प्रयास करना होगा। प्राकृतिक संसाधनों के दुरुपयोग के कारण ही जलस्तर तेजी के साथ नीचे जा रहा है, साफ पानी नहीं मिल रहा तो हमें आज पानी खरीद कर पीना पड़ रहा है, ठीक उसी प्रकार हम दिन भर में 2120 रूपये का आक्सीजन फ्री में प्रयोग कर रहे हैं अगर हम अब भी नहीं चेते तो पानी के साथ-साथ हवा भी खरीदनी पड़ेगी। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से सम्बद्ध जगत तारन डिग्री के असिस्टेंट प्रोफेसर व तीन बार आईएएस का साक्षात्कार देने वाले डॉक्टर दर्शन कुमार झा ने छात्रों के साथ आईएएस की परीक्षा और अपने अनुभव के बारे में विस्तारपूर्वक चर्चा की।

समय और स्थान को दिमाग की दो आंखें बताया। विकास और पर्यावरण पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आप को जानकर आश्चर्य होगा कि पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा एयरकंडीशन भारत में हैं। कहा हम उतना ही संसाधन प्रयोग करें जितना कि लौटा सकें, नहीं तो पृथ्वी स्वयं ले लेगी। रिसर्च स्कालर अतुल कुमार तिवारी ने आज के युग में इलेक्ट्रॉनिक वेस्टेज को भी पर्यावरण प्रदूषण की एक बड़ी समस्या बताया, वहीं रेडियो पॉल्यूशन मोबाईल से निकलने वाली तरंगों को भी खतरनाक बताया। कार्यक्रम के अन्त में कालेज की प्राचार्य डाक्टर सुधा त्रिपाठी ने अतिथियों का आभार व्यक्त किया। इस एक दिवसीय गोष्ठी का आरंभ मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि, संरक्षक, प्रबंधक व कालेज प्राचार्य द्वारा मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्वलित कर किया गया। कार्यक्रम का संचालन भूगोल विभाग के विभागाध्यक्ष डाक्टर ऋषिकेश तिवारी ने किया।




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