सीएम योगी ने समरसता कुंभ का किया लोकार्पण
अयोध्या ब्यूरोः (विनोद तिवारी) मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या पहुंचकर समरसता कुंभ का उद्घाटन किया। योगी ने समरसता कुंभ में मौजूद संतो और अतिथियों का अभिनंदन किया। उन्होने कहा कुंभ भारतीय संस्कृति में मानवता का सबसे बड़ा मिलन स्थल है।
मानवता के इस संगम कुंभ में किसी के साथ कोई भेदभाव नही होता। देश और दुनिया मे कुंभ के संदेश के लिए समरसता कुंभ का आयोजन किया गया। पूरा आयोजक मंडल इसके लिये बधाई का पात्र है। योगी ने कहा अयोध्या से देश दुनिया को मानव कल्याण से जुड़ा एक बड़ा संदेश दिया जा सकता है। पहला वैचारिक कुंभ बाबा विश्वनाथ की धरती पर सम्पन्न हुआ। दूसरा नारी शक्ति से जुड़ा वैचारिक कुम्भ कृष्ण की धरती मथुरा में आयोजित हुआ। तीसरा वैचारिक कुंभ आज राम की नगरी अयोध्या में आयोजित किया जा रहा है।
चौथा वैचारिक कुंभ लखनऊ और पांचवा वैचारिक कुंभ प्रयाग में होगा। हमने इससे पहले राजधानी लखनऊ में कृषि कुंभ का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की ब्रांडिंग के लिए कुम्भ एक बड़ा नाम बन गया है। अब राजनीति करने वाले अपने को हिन्दू बताने लगे है यह सनातन धर्म की विजय है। बगैर नाम लिये राहुल गांधी पर तंज कसते हुये योगी ने कहा अब तो लोग अपना जनेऊ दिखाकर गोत्र भी बताने लगे है। उन्होने यह भी कहा कि कुंभ को बदनाम करने के लिए तथाकथित बुद्धजीवियों के जरिये साजिश रची जा रही है। विदेशी जूठन खाकर भारत मे बैठ कर भारत की संस्कृति को कोसा जा रहा है।
तथाकथित बुद्धजीवी साजिशों का शिकार हो रहे है। सनातन धर्म से वास्ता न रखने वाले सबरीमाला मंदिर में जन भावना की खिलाफत कर रहे है। एक साजिश के तहत कुंभ को पर्यावरण विरोधी और जनविरोधी करार दिया जा रहा है। जबकि कुंभ में तो लोग बिना किसी भेदभाव के जरिये पहुचते है। कुंभ विरोधी साजिशों को नाकाम करने के लिए वैचारिक कुंभ का आयोजन किया जा रहा। कुभ को पर्यावरण की क्ष्ज्ञति बताने वालों पर निशाना साधते हुये योगी ने कहा तुलसी जैसे वृक्षो की पूजा करने वाले हम सनातन धर्मियों से बड़ा प्रकृति प्रेमी कौन हो सकता है।
वर्षो पहले हमारे पूर्वजों ने बलिदान देकर अक्षयवट का किया संरक्षण पहली बार संगम तट पर स्थित किले में आस्था के केंद्र अक्षयवट का भी दर्शन कराया जाएगा। मैंने अपनी गौशाला की तरफ भजनों के स्पीकर रख उनके स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव देखे। संगीत का पशु, पक्षियों और पेड़ो पर भी प्रभाव पड़ता है। उन्होने कहा दोगले चरित्र वाला व्यक्ति कभी सफल नही हो सकता हम आज राहुल गांधी की तरह नया गोत्र बनाने लगे, जनेऊ दिखाने लगे, तो दुर्गति तो होनी ही है। भारतीय समाज और संस्कृति ने कभी छुआछूत और भेदभाव को महत्व नही दिया। आज फेसबुक और गूगल हमारे उपनिषद और पुराण से अधिक प्रामाणिक नही। फेसबुक और गूगल के ज्ञान से उबरना होगा।